विद्यापतिक प्रबास, बनौली गामक बास

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    समय के काल खंड जीवन मे बड़ आरोह अवरोह के सामना करबैत छैक. महाकवि विद्यापति के जीवन मे सेहो एहन एकटा समय आएल छलन्हि जे मुसलमानी आक॒मण के कारण सुरक्षाक हेतु महाराज शिवसिंहक आज्ञा सँ महारानी लखिमा सहित प्रबासी बनल छलाह. हुनक प्रबासक ओ महत्वपूर्ण समय एखनुक नेपालक बनौली गाम मे बीतल छलन्हि ताहि प्रसंगक इ एकटा गीत छैक. मिथिला मिरर मे स्थान पाबि कऽ इ लिखित दस्तावेजक रूप मे स्थापित भऽ जएतै ताहि लिप्सा सँ प्रस्तुत कऽ रहल छी.

    विद्यापति के बास बनौली

     जनक जानकी रामायण के नगर जनकपुर धाम रे.

     सटले दक्षिण विद्वत विप॒क बास बनौली गाम रे..

    विद्यापति कवि जतऽ प्रबासी बनल छला से गाम छै.

    लखिमा रानी एतहि छलीह से,सुनिऔ कतेक प्रमाण छै..

    उगना प्रिय कवि बसल छला से डीह एतहि विद्यमान रे.

    जनक जानकी रामायण के …

    एतहि लिपिर्मय भेल भागवत,दुर्गा भक्ति तरंगिणी लिखलन्हि.

    बोधगम्य भऽ गेल भागवत, पंडित जन से बचा कऽ रखलन्हि..

    गाम गाम एखनहुँ तक होइछ, बाचन कथा पुराण रे.

     जनक जानकी रामायण के …

    राजमार्ग विद्यापति पकड़ब, विद्यापति खुरपेरिया अओतै.

    विद्यापति स्मारक द्वारे, सोझे डीहक लग पहुँचौतै..

     लखिमे सर छै लछमी सागर, सुनिऔ सकल सुजान रे.

    जनक जानकी रामायण के …

    द्रोणवार बंशी राजा के कुलदेवी संसारी मइया.

    जिनकर मूर्ति सुरक्षित एखनो शीश नबाबथि बाबू भइया..

    अही राज्य मे लखिमा रानी रहली ससम्मान रे.

    जनक जानकी रामायण के …

    डीहक उत्तर पूर्ब कोन्ह पर, विद्यापति पोखरि छै एखनो.

    हुनकर बास बनौली इएह अछि तै मे नहि शंका अछि कखनो..

    शत् शत् नमन “तृषित” ई नगरी मैथिल तीर्थ समान रे.

    जनक जानकी रामायण के नगर जनकपुर धाम रे..

    रचना :- काली कान्त झा “तृषित”

    काली कांत झा ‘तृष्ति’ केर इ गीत मैथिलीक सब सं दमदार अवाजक जोड़ी धीरेन्द्र प्रेमर्षी आ रूपा झा’क अवाज मे रिकाॅर्ड अछि।