सेंट लुइस (अमेरिका),मिथिला मिरर-काली कान्त झा ‘तृषित’: बिदेश भ्रमण मे अएबाक समय गामक प्रौढ़ावस्थाक लोक सभ आग्रह कएने छलाह जे विदेशक हालचाल सभ स अवगत करबैत रहिह. तदनुरुपे हुनका लोकनिके किछु सामग्री पठबैत तकर श्रव्य दृश्य सेहो देखा सुना देबाक हेतु प्रबंध मिला देने छलिएन. पठाओल सामग्री मे मिथिला मिररक पाग सम्बन्धि गतिविधि एवम विभिन्न क्षेत्रक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व सभ स कएल गेल बातचीतक औडियो भीडियो सभ छलैक ताहि पर हमरा त दू टा बाते सुनऽ पड़ल जे आओर पहिने किएक नै पठौला. ओहि प्रौढ़ मंडली मे सभ सँ बेसी मुखर आ छिद्रान्वेषी लोक मुसरी बाबू छथि से हुनक प्रतिक्रिया बड रोचक लागल तैं हुनक आग्रह अनुसार ई समाद-बारी मिथिला मिरर के पठा रहल छी.
मिथिलामिरर के मार्फत लेल गेल इन्टरव्यू सर्ब श्री शारदा सिन्हा, रंजना झा ,सीमा झा , सत्या मिश्र , राम सेवक ठाकुर, राम बाबू झा, शिवांश झा आदि लोकनि मध्ये सिर्फ शारदा सिन्हा जीक गीत प्रायः सुनैत रहला स बूझल छलन्हि बाँकी प्रतीभा सभ सँ अनभिज्ञ छलाह से ओ कहैत छथि जे बड प्रसन्नता भेल ई उदीयमान प्रतिभा सबहक जानकारी पाबि कऽ, सही मे मियिला एक स एक विलक्षण प्रतिभा सँ भरल अछि मुदा झँपाएल अछि तैं मिथिला मिररक इ कार्य अत्यंत सराहनीय छैक मिररक उतरोत्तर उन्नति प्रगति के कामना करैत सम्पादक ललित नारायण झाजी केँ बहुत बहुत शुभाशीष एवम शुभकामना व्यक्त कएने छथि. नेपाल मे धनुषा जिलाक रुपैठा गामक निवासी ओलोकनि बच्ची मैथिलि ठाकुर आ दूनू तबला बादक के क्षमता अदभूत कहि रहल छथि मुदा ततबे दुख व्यक्त क रहल छथि महाबल मिश्रजीक मिथ्या आश्वासन घटिआ व्यवहार प्रदर्शन बला बात पर. कहैछथि जे बड़का लोक छथि तैं डरे लोक नै कहतन्हि नहि त गाम घर मे त एहन चालि पर महाबल मिश्रा के बदला मे महा मल मिश्र नाम राखि दितैन. एकर अतिरिक्त पागक प्रसंग मे मुसरी बाबूक कथनछन्हि जे पागक रूप मे एहन परिवर्तन कराओल जाए जाबि स इ माथ पर नीक जकाँ बैसल रहि सकै.
पुरातनपन्थी मुसरी बाबू सँ हमरा इ उमीद नहि छल मुदा तकर विपरीत ओ बड़ सशक्त ढंग सँ डा॰ बीरबल झाजीक पाग बचाउ अभियान एवं सभक हेतु पाग प्रति समर्थन जनबैत ओतए कार्यक्रम मे महिला सभ जे पाग पहिरलखिन्ह तकरा देरे स सही, सर्बथा उचित बात कहि रहल छथि आ एहि प्रति प्रसन्न्ता व्यक्त करैत कहै छथि जे मिथिलाक संस्कृति के रक्षा महिले लोकनि सँ होइत आएल अछि. पुरूष लकनि त बेसी ठाम भाषणे मे आगा छथि मुदा मैथिलानी सभ त घर घर मे रीत परम्परा, आचार व्यवहार,लोक कला गीत भीत चित्र अरिपन आदि अनेक रूपे बचौने आबि रहल छथि से जहन ओ सभ पाग के माथ पर उठा लेलखिन्ह त आब एकर संरक्षण सम्बर्द्धन हएबे करतै आ आब एहि मे पुरूष बर्ग पछुअएता त आओर लाजक बात भऽ जएतै. मुसरी बाबूक हिसाबे, महिला लोकनि के पाग माथ पर रखिते भारत के रूपैया पर मिथिलाक्षर मे सेहो लिखबाक निर्णय हएब तकरे शुभ लक्षणक अछि.
समाद- बारी ( मार्फत:-काली कान्त झा “तृषित” )