कन्हैया जेएनयूक छात्र संघक अध्यक्ष आ कि राजनीतिक कठपुतली

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    दिल्ली-मिथिला मिररः इ दोसर एहन अवसर छल जखन कोनो बिहारी युवा देशक जानल-मानल शिक्षण संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कें छात्र संघक अध्यक्ष पदक लेल चुनल गेलाह। चंद्रशेखर बाद जखन कन्हैयाक नाम जेएनयूक अध्यक्ष पदक लेल घोषित भेल त ओहि समय कन्हैया एकटा साधारण सन नाम छल आ ओहि पैघ उपल्बधिक बाद नहि सिर्फ कन्हैयाक पैतृक गांव बिहारक मिथिला क्षेत्रक बेगूसराय जिला कें सब सं पैघ गांव बीहट कें मसनदपुर टोलक निवासीक संग-संग संपूर्ण बिहार मे बहुतायतक संख्यामे लोक मे खुशी देखल गेल छलैक मुदा वर्तमान परिस्थिति मे जाहि तरहें पैछला किछु दिन सं कन्हैया कनाम देश-दुनिया मे चर्चाक केंद्र मे रहल ओहिकें बाद बहुत किछु कहल जाय लागल। जेएनयू मे देश-विरोधी गतिविधि मे शामिल हेवाक आरोप मे कन्हैया 22 दिन तक जेल मे रहलाक बाद सशर्त जमानत पर बाहर ऐलाह। जमानत देवाक समय दिल्ली उच्च न्यायालयक न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी बहुत किछु टिप्पणी कैलनि।

    मनोज कुमारक सर्वकालीन उमर सिनेमा ‘उपकार’ कें ओ देश भक्ति गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगेल, उगेल हीरा मोती’ कें जिक्र करैत न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी कहलनि जे देशक अखंडता आ देशक वास्ते शहीद सेना कें अपमान कोनो रूपे बर्दाश्त नहि कैल जायत। अभिव्यक्तिक नाम पर कखनो एहन तरहक कार्यकें सहमति नहि देल जा सकैत अछि। एतबे नहि जेएनयू पर गंभीर प्रश्न-चिन्ह लगवैत न्यायमूर्ति कहली जे जेएनयू मे सर्जरीक आवश्यकता बुझना जाइत अछि आ अहि कें रोकवाक लेल जेएनयूक प्रबंधन आ ओहिठामक छात्र लोकनि कें अहि दिशामे पहल करय पड़तनि।

    देशद्रोहक मुकदमा एखनो कन्हैया पर चलि रहल अछि। कन्हैया कोनो ओहि आरोप सं फारिक नहि भय गेलाह मुदा जाहि तरहें कन्हैया कुमार दिल्लीक तिहाड़ जेल सं निकली जेएनयूमे भारी मड़कम मीडियाक सोंझा लगभग 1 घंटाक तक चलल अपन संबोधनमे जाहि तरहक शब्द चयन केलाह ओ बहुत किछु कहबाक लेल अधिक छल। हर एक शब्द मे राजनीति आ एकटा माजल राजनेता जेना एक-दोसराक उपर कैल गेल कटाक्ष। कन्हैयाक निशाना पर सीधे रूप सं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आ ओ तमाम हिन्दू संगठन छल जेकर सरोकार कतौ ने कतौ सरकार सं छैक। एक दिस कन्हैया कें कोर्ट इ आदेश दैत जमानत देलक जे ओ जेएनयू मे जा देशक अखंडता आ सौहार्द कें कायम राखत त दोसर दिस कोनो तरहक जौं देश आ समाज विरोधी गतिविधि जेएनयू मे हैत त ओकरा सं अदालत कें सूचना मुहैया कराओत।

    कन्हैयाक किछु बात अतिवादी प्रवृतिक रचान लगैत छल जेना स्वयं कें सर्वश्रेष्ठ बुझि बेर-बेर प्रधानमंत्री संगहि संघीय ढांचा कें निशाना बनेनाई। भारतक आजादी नहि भारत मे आजादीक मांग, इत्यादि किछु एहन बयान छल जे कन्हैयाक मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहल छल। मुदा कन्हैयाक बयान कें समाप्त भेलाक बाद जाहि तरहें कांग्रेस, नीतीश-लालू, केजरीवाल सहित कन्हैयाक अपन राजनीतिक विचार धारा वला वामदल गिद्ध जेना कन्हैयाक बयान पर टूटी पड़ल आ कन्हैया कें बयान कें सीधे प्रधानमंत्री कें चुनौतिक रूपमे देखबय लागलाह। कन्हैयाक मानी त हुनकर लड़ाई भूख, भय, गरीबी, अत्याचार इत्यादि सं अछि। कि इ सबटा चीज भारत मे 16 मई 2014 कें बाद आबि गेल की आखिर बिहारक जाहि मिथिला क्षेत्र सं कन्हैया आवैत छथि ओहिठाम कतेक दिन सं केकर शासन अछि आ पटनाक गद्दी पर बैसय वला समस्त राजनीतिक दल चाहे ओ कांग्रेस ओ कि नीतीश कुमार संचालित एनडीए आ कि वर्तमान मे लालू-नीतीश संचालित महागठबंधन, सब मिथिला कें शोषित करैत रहल। त कि कन्हैया बिहारमे जा लालू-नीतीश आ कांग्रेस कें विरूद्ध अपन अवाज उठेता

    कन्हैयाक अवाज कें जाही तरहें समस्त विपक्षी दल एक स्वरमे समर्थित कय रहला अछि ओहि सं बहुत बेसी प्रश्न उठब स्वभाविक छैक। सीपीएम नेता प्रकाश करात एक डेग आगू बढ़ैत इ कहि देलाह जे कि बंगालमे कन्हैया पार्टीक लेल प्रचार कय सकैत छथि। आब एहनमे एकटा बात सामने अवैत अछि कि जाहि बंगालमे 34 साल तक वामपंथी शासन रहल ओहिठाम पैछला 5 बरखक ममता बनर्जी के शासनकालमे भूख, भय, बेरोजगारी, आ भ्रष्टचार कोना 34 सालक सरकार सं बेसी भय जायत त कि समस्त विपक्षी दल कन्हैया कें आगू बढ़ा आ ओकरा एकटा अस्त्र बुझि कन्हैया कें सरकारक विरूद्ध ठाढ़ करवाक एकटा षड्यंत्र त नहि रचि रहलाह

    कन्हैया प्रकरण पर देशक मीडिया दू भाग मे बटि गेल अछि अहिमे कोनो दुम्मैत नहि मुदा दुर्भाग्य अहि बातक जे बहुतायत मीडिया ओहिबात कें नहि चलौलक जाहिमे दिल्ली उच्च न्यायालयक न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी बहुत किछु कहने छथि। आखिर एहन कोन बात भय गेलैक जे दिल्ली उच्च न्यायालयक आदेशक बादो, जखन कि मामला अदालत मे लंवित अछि एहनमे कन्हैया कें हीरोक रूप मे प्रस्तुत करब, आ स्वयं कन्हैयाक द्वारा बड़बोल भाषण देब कि कोर्ट अगिला सुनवाई मे कोनो असैर नहि डालत कि कन्हैया कें पत्रकार द्वारा जखन संसद पर हमला आरोप मे फांसीक सजा पाबि अफ़ज़ल गुरू पर प्रश्न पूछल गेल त बिना किछु कहने बस एतेक कहब जे ‘अफजल अखंड भारतक जम्मू-कश्मीरक एकटा नागरिक छल आ ओ हमर आदर्श नहि अछि।’ एहन बहुत रास सवाल अछि जेकर जवाब दिल्ली उच्च न्यायालय सहित सर्वोच्च न्यायालय कें सोचय पड़तनि त दोसर दिस एहनो अंदेशा लागि रहल अछि कि जाहि तरहें राजनेता कन्हैया कें हीरो बना रहला अछि एहनमे कन्हैया कहि कठपुतली नहि बनि जाइथ, जेकरा लोक एकटा हीरोक रूपमे त देखलक मुदा ओकर बादक जिनगी ओकर केहन भेल आ अछि ओकरा कियो नहि देखय आ सुनय चाहैत अछि।