मिथिलामे शिक्षाक वर्तमान दशा आ दिशा पर जीएस गुरू राकेश झा केर इ आलेख

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    याद नय अय जे केकरा मुँहे मुदा मिथिलाक बदहाली पर कियो बजने छलाह जे मिथिला में शिक्षाक व्यापार के छोईर आर कोनो व्यापार सफल नय भेल, उदाहरणक लेल ओ अशोक पेपर मील आ चीनी मील सबहक नाम गिनौने छलाह। हम जहन हुनक कथन पर गौर केलौं त हमरो अय बात में सत्यताक अनुभूति भेल। मुदा संगे संग एकटा यक्ष प्रश्न सेहो आँगा ठाढ़ भ गेल, जे भारतीय संविधान अपन अनु. 21(क) में देशक सब नेना जे 0 स 14 बयस के छाईत हुनक मौलिक अधिकार केर तहत हुनक प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध करेवाक भार राज्य आ हुनक गार्जियन के देने अय। ओय समाज में शिक्षाक व्यवसायिकरण कई हद तक संविधान सम्मत अछि , आखिर कोन ओ कारण रहल जे मिथिलाक शैक्षणिक आधारभूत संरचना के एतेक ने कमजोर क देलक जे फेर ओ उईठ क ठाढ़ नय भ सकल आ एकर नाजायज फायदा निजी शिक्षण संस्थान सब उठेलक आ मिथिला समाज में शिक्षाक बिक्री-बट्टा क अपन जैड़ के जमा, शिक्षाक ठेकेदार भ गेल। आऊ आई बेरा-बेरी ओ सब कारण पर चर्चा करी जे मिथिला में शिक्षाक बाजारीकरण लेल उत्तरदायी भेल।
    कोनो जगहक शैक्षणिक विकास केर आधार ओही ठामक प्रारंभिक शिक्षा के गुणवत्तापुर्ण उपलब्धता होईत अय। चुँकि शिक्षा संविधानक समवर्ती सूचिक विषय आय , ताहि ल क एकर गुणवत्ता शुनिश्चित करै के जिम्मेवारी केंद्र सरकार आ राज्य सरकार दुनू के अय। मुदा स्कूल में सरकार द्वारा बच्चा के कुपोषण स बचबै खातिर चलायल गेल मध्याह्न भोजन योजना ( मिड डे मील प्रोग्राम ) के जाही तरहे इम्प्लीमेंट करल गेल ओकर कुप्रभाव एतेक ने भयानक परल , जे सब बच्चा के हाथ में किताबक जगह कटोरा आईब गेल आ सर्व शिक्षा अभियान , सर्व भिक्षा अभियान बनि गेल। दोसर कुठाराघात प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर नितीश सरकार द्वारा बहाल शिक्षा मित्र सब केलक। कतेको साल स किताब कॉपी स दूर गामक महिला सब एकाएक काँख तर बैग टैंग विद्यालय पहुँच गेल आ विद्यालय, विद्यालय नय भ क वाचनालय भ गेल महिला सब पढाई लिखाई छोईर आपसी वार्तालाप में व्यस्त भ गेली। प्राथमिक शिक्षा, शिक्षा व्यवस्था के जैड़ होईत अय जे अय तरहे जैड़ के काइट देल गेल त गाछ सुखाईये सुखेबे करत।
    आऊ आब बात करि उच्च शिक्षा केंद्र कॉलेज आ विश्विद्यालय के। मिथिला आदौ स अपन पांडित्य के लेल प्रसिद्ध रहल। की दर्शन की साहित्य की कला सब में ई अपन वर्चस्व पताका फहराबैत रहल , मुदा विगत किछ दशक में आलस्य आ कामचोरीक बहुत पैघ रोग ई शिक्षण संस्था सबके ध लेलक। जाही ठाम मुँह मे पान कचरैत ब्रासलेट धोती में झक उज्जर बकथोथी केनिहार नैयायिक सबके कब्जा भ गेल , जेकर लसैर मे जेहो पढेनिहार काज केनिहार प्रोफेसर आ कर्मचारी सब छलाह हो हिनके सबके रंग में रैंग गेला। जेकर बहुत विनाशकारी प्रभाव उच्च शिक्षा पर परल सत्र सालक साल लेट भ गेल, परिक्षा समय पर भेनाइ बंद भ गेल, पढाई लिखाई बंद भ खाली भैर साल 10 टा प्रश्न रटा क बच्चा सब के जेना तेना क खाली ग्रेजुएशन कंप्लीट करायल गेल। ग्रेजुएट भेला के बाद ई युवा मात्र आ मात्र बेरोजगारी के फ़ौजक हिस्सा बनला।
    उपरोक्त सब कारण के लेल कतौ नय कतौ हम सब सब गार्जियन, बच्चा, शिक्षक आ सरकार सब दोषी छी। आई मात्र हमर आहाँ उदासीनताक कारणे मिथिला में सरकारी शिक्षण संस्थानक मात्र एकटा जजर्र ढाँचा टा बचल रहै गेल अय जे धीरे-धीरे अपन अंतक दिस जा रहल अय। यदी ऐहन परिस्थिती में निजी शिक्षण संस्थान सब आगाँ आईब मिथिलाक एडुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिक रूप में ढालै के प्रयास क रहल अय त हम एकरा कतौ स खराब नय मानब, मुदा एकटा बात हिनको सबके के कहबैन जे अपन सोशल रिस्पांसिबिलिटी के ध्यान राखैत मैथिल समाज के गरीब प्रतिभावान धीया-पूता सबके निःशुल्क नय, त कम स कम शुल्क पर उच्च गुणवत्ताक शिक्षा मुहैया करबौथ, जाहि स शिक्षाक अधिकार सही रूप में नेना-भुटका आ बड़का-छोटका के भेट सकै। यदि अय में हम सब सफल भ गेलौं त निश्चित रुपे हमसब अपन समृद्ध शैकक्षणिक विरासत के बचा क राखै में सफल भ जायब।
    राकेश झा, जीएस गुरु (बैंकर्स अड्डा, दरभंगा)