‘आदर्श पुतहु’ बनबाक ट्रेनिंग देत एमडीडीएम

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मुजफ्फरपुर, मिथिला मिरर : समयकेँ संग परिवर्तन अबैत छैक इ सत्य थिक। कहियो महिलाकेँ मात्र घर आँगन तक सीमित राखल जाइत छल। मुदा आब महिला मात्र घोघमे नै सिमटल अछि अपितु ओ चान धरि पहुँचबाक कुबत रखैत अछि। आब कोनो एहन क्षेत्र नै अछि जाहिमे महिला अपन उपस्थिति नै दर्ज करेने होइथ। हमर समाजमे अनेको एहन महिलाक उदाहरण भेटत जे अपना आपमे सभ तरहें निपुण छथि। हरेक पुरुखकेँ इच्छा रहैत छनि जे हुनक जीवन संगिनी नीक होइन। हरेक साउस चाहैत छथि जे हुनक पुतहु नीक भेटय। जे घरक काजक अलाबे शिक्षित, संस्कारी आ सर्वगुण संपन्न होइन जे हुनक परिवारकेँ नाम रौशन करैथि। एहि कड़ीमे बिहारक मुजफ्फरपुर जिलाक महंत दर्शन दास महाविद्यालय (एमडीडीएम) आब बचिया सभकेँ आदर्श पुतहु बनबाक गुर सिखाओत। ‘बेटी मेरा अभिमान’ क तर्ज पर हुनका सभके ट्रेनिंग देल जायत। एहन तरहक पहल लेल लोक सभक सलाह सेहो लेल जायत। ट्रेनिंगकेँ दौरान बचिया सभकेँ मात्र चूल्हा-चौका केनाई नै सिखाओल, हुनका सभके बहुत तरहक जानकारी देल जायत।  एहि महाविद्यालयमे पछिला सालसँ ‘पहल’ कार्यक्रम चलि रहल अछि। एहिक तहत हरेक महिनाक दोसर आ चारिम शनिकेँ दुपहरिया 12 बजेसँ दू बजे धरि विशेष क्लास चलाओल जाइत अछि। जाहिमे बचिया सभके नैतिक शिक्षा, योग, बैंकिंग, बागवानी आ प्राथमिक उपचारकेँ बारेमे जानकारी देल जाइत अछि। एहि कार्यक्रमकेँ तहत बचियाकेँ आदर्श बहू बनबाक गुर सेहो सिखाओल जायत। एहि लेल बचियाकेँ जागरूक कएल जायत। ट्रेनिंग लेल बाहरसँ विशेषज्ञ बजाओल जायत।

प्राचार्य डॉ. ममता रानी बतेलनि जे छह हजार बचिया पढ़ैत छथि। हुनका पढ़ा-लिखा क’ योग्य बनेबाक संग एकटा नीक पुतहु बनेबाक गुर सेहो सिखेबाक जरूरत छैक। बचिया  सभक व्यक्तित्व व कौशल विकास लेल इ एकटा और पहल अछि। बचिया सभके समस्या सुलझेबाक कौशल, तनाव सम्हारबाक गुणक संग मैरिज स्किल आ सामाजिकताकेँ सेहो ट्रेनिंग देल जायत। ट्रेनिंगक शुरुआत जल्दिये होयत। एमडीडीएम छात्रसंघक कोषाध्यक्ष अंकिता चौधरी बतेलनि जे हरेककेँ ख्वाहिश रहैत छनि जे हुनका घरमे सुसंस्कारित आ आदर्श पुतहु अबैथ। कोनो बच्चामे संस्कार माँ-बाप आ घरक अन्य सदस्य लोकनिसँ भेटैत अछि। जँ कॉलेजमे सेहो एहि तरहक बात पर ध्यान देल जायत त’ नीक वातावरण तैयार होयत। ओतहि छात्रा सभक कहब छनि जे जँ नीक पुतहु बनबाक गुर सिखाओल जायत त’ एहिसँ नीक बात की भ’ सकैत अछि। आखिरकार घर त’ हर महिलाकेँ सम्हारय पड़ैत छैक। ई जरूरी नै छैक जे नीक पुतहु मात्र चूल्हा-चौका करय। नैहर होई वा सासुर ककरो सम्मान देनाइ कॉलेजमे पहिनेसँ सिखाओल जा रहल अछि। पढ़ल-लिखल लड़कीकेँ सेहो इ जिम्मेबारी बनैत छैक जे अपन मंजिल त’ जरूर प्राप्त करी संगे अपना आपके एकटा नीक लोक सेहो बनाबी ताकि अहाँ अपन परिवार, समाजमे सेहो योगदान द’ सकी। समय बदली रहल अछि बेटी-बेटामे कोनो बेसी फर्क नै आब बुझल जाइत अछि। एहनमे परिवारकेँ कोना साथ ल’ अपन नाम रौशन करी, अपन मान सम्मान बढवी तकरो व्यवहारिक ज्ञान भेनाई जरूरी छैक।