दिल्ली-मिथिला मिररः भारतीय एवं नेपाली मिथिला सहित दुनू देशक विभिन्न शहरमे बरसाइत अर्थात बट-सावित्रीक व्रत श्रद्धा-उल्लास संग मनाओल गेल। ठाम-ठाम नव-विवाहित आ सोहागिन सब भोरे-भोरे सं सैज-धैज कऽ पूजा-पाठक ओरियान कऽ बर (बरगद) कें गाछ लग जा विधिवत पूजा-अर्चना कैलनि। नव-विवाहिता लोकनि एक दिन पूर्वहि सं अरबा-अरबाइन भोजन कऽ नियम निष्ठा सं अपन पतिक दीर्घायुक लेल पूजा पाठ कैलनि। नव-विवाहिताक पूजामे अंकुरी, दूध, लावा, विषहरा, डाली-हारी, बियेन इत्यादि सब सामान आ पूजाक विधिक लेल उपयोग मे आनल गेल सामग्री पूजाक स्थलक शोभा आओर बढ़ा रहल छल।
नव-विवाहिता लोकनिकें खोइछ दऽ सावित्री-सत्यवानक कथा सुनलाक उपरांत सब पविनैतिन कें खोइछ सब उपस्थित हकार पुरनिहैरकें अंकुरी, फल-फलहारीक नैवेद्य दऽ सब कें सम्मानित कैल गेलनि। इ मिथिलेमे संभव अछि जाहिठाम पत्नी, पतिक दीर्घायुक लेल यमराज तक सं लड़ि जाइत छैथ, इ मैथिलानीये टा कऽ सकैत छथि जे भरल सभामे अपन पवित्रताकें सत्यापित करवाक लेल अग्निकुंडमे प्रवेश कऽ जाइत छैथ। इ मिथिलेटा मे संभव अछि जाहिठामक धीया धरतीमे समाहित भए अपन पतिक सम्मानकें रक्षा करैत छथि। निश्चित रूप सं बरसाइत पतिक दिर्घायुक हेवाक कामनाक संग-संग इ प्रकृतिक संरक्षणक लेल सेहो एकटा बहुत पैघ पावनि मानल जाइत अछि।