अपना माटि-पाइन सं दूर रहितो अमेरिका केन्‍सासमे मनौलनि बरसाइत

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    दिल्ली-मिथिला मिररः बहुत नीक लगैत अछि देखवा आ सुनवामे जे अपन मैथिल मिथिला सं दूर रहितो अपन मैथिलत्वकें जिया कऽ रखने छैथ। चाहे कोनो ठाम रहैथ, कोनो पद पर कार्य करैत होइथ मुदा जखन संस्कारक बात अवैत अछि त कोनो भी रूपे ओकरा निर्वहन करवामे पाछू नहि हटैत छथि। लोहा, शुभंकरपुर कें रहनिहाइर माधवी ठाकुर मार्च 2016मे अमेरिकाक केन्‍सास शहरमे शिफ्ट भेलीह अछि। बरसाइत छलैक आ ओहो पतिक दीर्घायुक लेल त ओ पावनि कोना छोड़ति। अमेरिका मे गेना तीन मास करीब भेल छन्हि त बहुत बेसी मैथिल सं संपर्कित सेहो नहि छथि मुदा तैयो बरसाइत पूर्ण विधि-विधान सं मनौलनि।
    मिथिला मिरर कें संपादक सं बातचीत करैत माधवी कहली जे हम जाहिठाम छी ओहिठाम किछु भारतीय महिला मित्र जरूर बनलीह अछि मुदा ओ सब भारतक विभिन्न प्रांतक छथि आ हुनका लोकनिमे बरसाइत नहि मनाओल जाइत छन्हि। तथापि माधवी अपना घरक बालकनिमे विविपूवर्क बरसाइत पूजा केलीह। सात समुद्र पर, असगरोमे ओ सब समान कें जोगार माधवी केने छलीह जेकर कार्य पूजामे होइत अछि। सिंदूर, पिठार सं लय ओकरी धरि सब समान लए विधान पूर्वक बरसाइत मनवैत माधवी कहैत छथि जे कतौ रहब ओहिकें इ अर्थ नहि छैक जे अपन संस्कार बिसरि जाएब। निश्चित रूपहिं इ सोच ओहि व्यक्ति लोकनिक लेल एकटा सीख हेतनि जे अपना संस्कार सं मुंह फेरैत छथि आ कि अपना सभ्यता, संस्कृति कें हीन भाव सं देखैत छथि।