पवित्र प्रेमक स्नात
अहँक अरुदाक बात
नहि बिसरब औ बहिना के !
भ्रातृधर्मक अहिवात
रहत खहखह तन गात
करब रक्षा औ बहिना के……
राति पूनम दिन चकचक दिनमान छै
अहँक विजयक पथ भकभक जहान छै
ने कोनो अर्थक उपहार
आत्म श्रद्धा त्योहार
हिय राखब औ बहिना के ……..
जतेक बरखा अकाससँ झड़ै अछि
ओतबे भैयाके’ कीर्ति बढ़ै अछि
राखब मान माय- तात
करब किनको ने कात
जोगि धरबै यौ मयना के ….
तिलक कुमकुम संग सूतकेँ निहारू
सभ वरख भेँटब हियसँ सकारू
कोशी कमलाके धार
पुरुखाके विचार
नहि छोड़ब औ वयना के….