दिल्लीकें जेएनयूमे मण्डन मिश्र एवं ब्रह्मसिद्धि पर राष्ट्रीय कार्यशाला’क आयोजन

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    दिल्ली, मिथिला मिरर: दिल्लीकें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयकें सामाजिक विज्ञान संकाय सभागारमे रविदिन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषदक अनुदान सं मण्डन मिश्र एवं ब्रह्मसिद्धि पर राष्ट्रीय कार्यशाला’क आयोजन कएल गेल। कार्यशालाक आरम्भमे कार्यशालाक आयोजक प्रो. देवशंकर नवीन प्रसन्नता व्यक्त करैत कहलनि जे, ‘सब युगक चिन्तक’क विचार कोन कारण समकालीन आ कोन कारण शाश्वत होईत अछि, चिन्तन पद्धति  सं तय होईत अछि, विषय मात्र सं नहि। ओ कहलनि जे, ब्रह्मसिद्धिक हि‍न्‍दी अनुवाद एवं गहन वि‍चार सं स्‍पष्‍टत: अहि दि‍शामे नब तथ्‍य उजागर होंएत आ मंडन मि‍श्रक कृति‍कर्मक आधुनि‍क व्‍याख्‍या होएत।

    अहि अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालयके डा. धनंजय पाण्डेय, लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठकें प्रो. सतीश के. एस. एवं प्रो. महानन्द झा तथा जेएनयू संस्कृत केन्द्रक प्रो. रामनाथ झा अप्पन-अप्पन बात रखलनि। केन्द्रक अध्यक्ष एवं विख्यात कवि प्रो. गोविन्द प्रसाद कार्यक्रमक अध्यक्षता केलनि। अतिथि सत्कार केन्द्रक प्रो. देवेन्द्र चौबे एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. गंगा सहाय मीणा केलनि। स्वागत भाषणमे प्रो. देवेन्द्र चौबे कहलनि जे, पहिल बेर भारतीय भाषा केन्द्रमे एहेन कार्यक्रम आयोजित भेल अछि। जाहि सं भारतीय ज्ञान परम्पराके एकटा पक्ष पर हम खुलि कय गप्प कए सकब।

    प्रो. महानन्द झा कहलनि जे, ई कार्यशाला सात दिनक एकटा ज्ञानयज्ञ अछि, जाहिमे सब अपन-अपन पात्रताक अनुसार फल प्राप्त करताह। प्रो. रामनाथ झा कहलनि जे, मण्डन मिश्रकें भारतक अनेक ज्ञान परम्परा जेनाकि न्याय, मीमांसा, वेदान्त, व्याकरण एवं शाक्त सिद्धान्तक समन्वयकके रूपमे देखल जेबाक चाही। अहि ज्ञान परम्पराकें बुझनाई भारतकें बुझयकें बराबर अछि।

    अन्तमे प्रो. सतीश के. एस. वेदान्तक परम्पराक जानकारी देलनि आ श्रोताक अनेक जिज्ञासाकें समाधान केलनि। विदित हो कि ई कार्यशाला 18 सं 24 मार्च धरि चलत।