दिल्ली, मिथिला मिरर : मिथिलाक भूमि विद्वान आ कलाकारसँ भरल अछि। मिथिला पेंटिंगकेँ आब कोनो तरहक पहिचानक जरूरत नै छैक। मिथिलाकेँ के कहे मिथिला पेंटिंग आब बिहार होइत सम्पूर्ण देशमे आ विश्वपटल पर अपन पहिचान बना लेलक अछि। एहि उपलब्धि पर हमरा सभकेँ गर्व होइत अछि। निश्चित रुपें एहि उलब्धि लेल एहि विधासँ जुड़ल कलाकार लोकनिक परिश्रम आ हुनक दूरदर्शिताकेँ जतेक सराहना कएल जाय कम अछि। साल 1969मे सरकारी मान्यता भेटलाक बाद दिनोदिन मिथिला पेंटिंगकेँ प्रसिद्धि भेटैत आबि रहल अछि। एकटा समय छल जखन बेसितर गृहणी सभ एहि विधासँ जुड़ल छलिह मुदा बदलैत समयक संग आब पुरुख सेहो एहि विधामे जुड़ी गेलाह। पहिने एकर बाजार सीमित छल मुदा आब विस्तारित भ’ विश्व भरिमे पसैर गेल अछि। मुख्य रूपसँ मिथिला पेंटिंग पाँच तरहक होइत अछि। भरनी , कचनी, तांत्रिक, गोदना आ कोहबर। लगभग सभ विधा अखनो प्रयोगमे अछि। एहि विधासँ जुड़ल कतेको कलाकार लोकनिकेँ विभिन्न तरहक पुरस्कारसँ पुरस्कृत कएल जा चुकल अछि चाहे ओ राज्य स्तरीय पुरस्कार होई वा देशक प्रतिष्ठित पुरस्कार। कतेको कलाकारकेँ पद्मश्रीसँ सम्मानित कएल गेल अछि जेना जगदम्बा देवी, महासुंदरी देवी, बौआ देवी आदि। एहि कड़ीमे एहि साल गोदावरी दत्तकेँ पद्मश्री सम्मान देवाक घोषणा कएल गेल अछि। ई सम्पूर्ण मिथिला सहित बिहारक लेल गौरवक बात अछि।
90 वर्षीय शिल्प गुरु गोदावरी दत्त अखनो पेंटिंग बनबैत छथि। पछिला 50सालसँ मिथिला पेंटिंगक क्षेत्रमे काज क’ रहलीह अछि। ई एहन सिद्धस्त कलाकार छथि जे देशमे के कहे विदेश धरिमे मिथिला पेंटिंगकेँ स्थापित क’ चुकल छथि। ओ कतेको देशक दौरा क’ एहि विधा पर आयोजित कार्यक्रममे अपन विचारसँ एहि विधाक प्रचार प्रसार केने छथि।गोदावरी दत्तक जन्म 1930ई. मे दरभंगा जिलाक बहादुरपुर गाममे भेल छलनि। ओ बच्चेसँ मिथिला कलामे रूचि लैत रहलिह। हुनक माँ हुनका मिथिला पेंटिंग सिखेलीह। बादमे एहि कला लेल अपन सम्पूर्ण जीवन समर्पित क’ देलिह। जकर परिणाम आब सभक सामने अछि जे भारत सरकार हुनका पद्मश्री सम्मानसँ सम्मानित करबाक निर्णय लेलक अछि। गोदावरी दत्तकेँ एहिसँ पूर्व राष्ट्रीय पुरस्कारक अलावे शिल्पगुरु पुरस्कार सेहो भेटल छनि। कचनी शैली श्रेष्ठ कलामेसँ एक मानल जाइत अछि। एहि कलामे ओ निपुण छथि। गोदावरी दत्त बेसितर पौराणिक आ धार्मिक विषय पर अपन चित्रण केलिह अछि। ओ हालही बिहार म्यूजियममे एकटा पैघ पेंटिंग बना क’ खूब शोहरत पेलनी अछि। हिनका द्वारा बनाओल गेल पेंटिंग जापानक मिथिला म्यूजियममे सेहो प्रदर्शित भ’ चुकल अछि।