2016 केर युवा साहित्य अकादेमी पुरस्कार पौनिहार ‘दीप नारायण विद्यार्थी’क संग भेंटघांट

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    दिल्ली-मिथिला मिररः साहित्य अकादेमी वर्ष 2016 केर युवा पुरस्कारक घोषणा कए देलक अछि। मैथिली भाषामे अहि बेर इ सम्मान मैथिली भाषाक युवा लेखक दीप नारायण विद्यार्थी कें हुनक मैथिली गजल संग्रह ‘जे कहि नहि सकलहुं’ कें लेल देल जेवाक घोषणा कैल गेल अछि। साहित्य अकादेमी 35 बरख सं कम उम्रक लेखक कें साहित्यक अकादेमीक युवा पुरस्कार दैत अछि जाहिमे अहि बेर दीप नारायणक नामक घोषणा कैल गेल अछि। दीप नारायणक इ सम्मान ओहि युवाक सम्मान अछि जे महानगर सं दूर गाम-घरमे रहि मैथिली सृजनमे अपन रचनात्मक योगदान दैय रहला अछि। एकरा आओर बेसी हर्षक विषय कहल जा सकैत अछि कि मैथिली भाषामे पहिल बेर गजल संग्रह केर हेतु कोनो युवा सृजनकर्ता कें साहित्य अकादमी पुरस्कार देल जेतनि।

    इ खबैर सामने ऐलाक बाद मैथिली साहित्य जगतमे खुशीक महौल अछि। दीप नारायण कें बहुत रास बधाई सेहो भेट रहल छन्हि एहनमे मिथिला मिरर सेहो दीप नारायण कें बधाई दैत किछु अलग करवाक परंपरा कें निभावैत दीप नारायण विद्यार्थीक साक्षात्कार अपने लोकनिक लेल लए आयल अछि। अपने कें बता दी जे दीप नारायण विद्यार्थी विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच सं कविताक पाठ कए चुकल छथि एकरा अलावे विभिन्न रेडियो, टीवी कार्यक्रममे सेहो हिनकर सहभागिता रहलनि अछि। दीप नारायण कें डाॅ. महेश्वरी सिंह ‘महेश’ पुरस्कार 2015मे एवं मिथिलांचल समासभा कानपुर, उ.प्र. सहित बहुत रास संस्थागत सम्मान पहिने भेट चुकल छन्हि। मिथिला मिररक संपादक ललित नारायण झा केर संग दीप नारायण विद्यार्थीक भेल बातचीतक विस्तारित रूप अहां सबहक लेल।

    प्र. दीप नारायण जी, अपने कें बहुत-बहुत बधाई आ शुभकामना दैत अपनेक परिचय जानय चाहब।

    उ. ललित जी अपने कें बहुत-बहुत धन्यवाद, संगहि मिथिला मिरर कें समस्त पाठक आ स्त्रोता, दर्शककें बहुत-बहुत आभार। आई बहुत नीक लागि रहल अछि। हमर मूल नाम दीप नारायण मंडल अछि मुदा हम सृजनात्मक दुनियामे दीप नारायण विद्यार्थीक नाम सं लिखैत छी। हमर पिताजीक नाम-राम पुकार मंडल छैन्ह, माताजीक नाम-धनेश्वरी देवी छन्हि। हमर जन्म जन्म 15 फरवरी 1984कऽ मिथिला/बिहारक मधुबनी जिलाक भटचैड़ा गांवमे भेल। हमर गामक नाम भटचैड़ा अछि जे मधुबनी जिलाक खजौली प्रखंडमे अवैत अछि।

    प्र. अपनेक शिक्षा-दीक्षा कतए भेल आ कतेक तक शिक्षा ग्रहण केने छी अपने?

    उ. हमर प्राथमिक शिक्षा हमर मामा शैनी प्र. मंडलक देख-रेखमे चन्द्र ना. नी. मा. वि. सुखचैना, नेपालमे भेल। ओकरा बाद माध्यमिक-म.रा.रा.प्र. उच्च विद्यालय भटचैरा, अंतर स्नातक आ स्नातक, वाणिज्य संकाय सं राम कृष्ण महाविद्यालय मधुबनी सं भेल जखन कि स्नातकोत्तर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा सं हिन्दी विषयमे केलौह।

    प्र. कहिया सं अहां साहित्य लेखन दिस एलहुं?

    उ. साहित्य लेखनक सिलसिला त बाल्यकाले सं भए गेल छल। स्कूलक समय सं हम लेखनी शुरू कय देनी रही। ओहि समय सं हम मैथिली भाषामे गजल, गीत, कविता, छोट-छाट व्यंगात्मक शैलीक लेखन शुरू कय देने रही मुदा 2011 सं हमर लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकामे छपय लागल आ ओहिठाम सं हमरा आम मैथिल कविजनक बीच हमरा स्नेह आशीर्वाद भेटए लागल। वर्ष 2014मे हमर गजल संग्रह ‘जे नहि कहि सकलहुं’ केर प्रकाशन भेल। एकरा अलावे विभिन्न रेडियो-टीवीक कार्यक्रममे हमर उपस्थिति दर्ज होमय लागल।

    प्र. अपन पेशाक विषयमे किछु प्रकाश देल जाउ?

    उ. हम पेशा सं शिक्षक छी, वर्ष 2014मे सं हम लोहनाटोल, कपसिया, बेनीपट्टीमे कार्यरत्त छी आ एकरा अलावे एकटा आओर गौरव हमरा भेटल अछि ओ अछि मैथिली साहित्य एवं सांस्कृतिक समितिमे संयुक्त सचिवक पद।

    प्र. अहांक पसंद आ अन्य तरहक गतिविधक विषयमे जानए चाहब?

    उ. स्कूलक दिन सं हमरा गजल, गीत, कविता, साहित्य लिखवामे आओर विभिन्न रचनाकारक रचनाकें पढ़व, यात्रा करब, विभिन्न मंच सं अपन नानान तरहक कविताक पाठ करब इत्यादि, एकरा अलावे हमरा चित्रकलामे सेहो बहुत बेसी अभिरूची अछि आ ओकरा हम समय निकाली पूरा सेहो करैत छी।

    प्र. मैथिलीमे साहित्यक सृजन करब कतेक भीड़हगर बुझना जाइत अछि अहांकें?

    उ. मैथिली भाषामे साहित्यक सृजन मात्र नहि कोनो काज करब सहज नहि छैक, कारण एखनो लोक मैथिली पढ़वामे, बातचीत करवामे असहज महसूस करैत छथि जे कोनो रूपे मैथिलीक स्वास्थ्यक लेल हितकर नहि छैक। हां, एकरा संग-संग एकटा बात छैक जे मैथिली अपन मायक भाषा अछि त हम सहज रूप सं लिखी लैत छी, चाहे कतबो परेशानी आ समस्या कियैक नहि हो। हम अपने संग एकटा घटना कें राखय चाहब। हम ब्लाॅक मे एकटा प्रस्वात ब्लाॅक प्रमुख कें देलियनि जे हमरा सब जखन मैथिली भाषामे बातचीत करैत छी त फेर पत्राचारक माध्यम मैथिली कें कियैक नहि बनवैत छी। अहि पर हमरा ओहिठाम सं सार्थक जवाब सेहो भेटल। हम इ कहैत छी जे जौं हमरा सब मैथिलीमे कार्य करब त भए सकैत छै जे ओकरा संज्ञानमे विलम्ब सं लेल जाए लेकिन जौं अहि दिशामे बेसी कार्य हैत त फेर शासन-प्रशासनकें सेहो अहि दिशामे उपयुक्त कार्य करए पड़त। हम कहि सकैत छी जे मैथिली भाषाकें कमाउ बनाओल जाए कसैत अछि, एकर जीवंत प्रमाण धीरेन्द्र प्रेमर्षी छैथ जे अपना-आपकें मैथिली सं जोड़ि कऽ राखने छथि आ हुनकर एकटा अंतरराष्ट्रीय नाम छन्हि।

    प्र. अहांक प्रेरणा स्त्रोत कें सब छथि अहांक व्यक्तिगत आ साहित्यक जीवेम एकरा संग-संग अहांक पसंदीदा लेखक कें सब छथि?

    उ. हमर सबलताक पहिल स्त्रोत त हमर माता-पिता छथि एकरा बाद साहित्यक क्षेत्रमे बहुत रास एहन व्यक्ति छैथ जिनका सं प्रेरणा लैत छी। धीरेन्द्र प्रेमर्षी, ऋषि वशिष्ठ, दिलीप झा, अजीत आजाद, सहित हमर आओर बहुत रास व्यक्ति आदर्शक सूचीमे छथि। एकरा अलावे हमर पसंदीदा लेखकमे हरेकृष्ण झा, नारायण झा, तारानंद वियोगी, अजीत आजाद, चन्दन कुमार झा, मनोज शाण्डिल्य सहित अन्य साहित्यकार लोकनिक नाम शामिल छन्हि, एकरा संग-संग बहुतो गोटेकें नाम छुटि गेल छन्हि त ओहो सब ओहि सूचीमे शामिल छथि।

    प्र. अहां सन जे युवा रचनाकार छथि हुनका लेल दू शब्द?

    उ. बस मैथिलीमे काज करैत रहथु, संघर्ष त छैक मुदा कार्य केनिहारक सतत विजय होइत रहलैक अछि आ होइत रहत। धैर्य सं काज लैथ आ प्रतिदिन नव रचनामे लागल रहैथ।

    दीप नारायण जी अहां मिथिला मिरर कें एतेक रास समय देलौह ओहिकें लेल अपनेकें कोट सह धन्यवाद आ उज्जवल भविष्यक कामना।

    सर अहुं कें आ मिथिला मिररकें बहुत-बहुत धन्यवाद आ समस्त मैथिलजनकें हमर प्रणाम।