विवाह बिलम्ब मे कारण आ निवारण- काली कान्त झा “तृषित”

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    मिथिला मिररक विशेष साप्ताहिक श्रृंखलामे आइ मिथिला प्रख्यात ज्योतिषाचार्य सह समालोचक काली कांत झा ‘तृषित’ अपने कें ज्योतिषीय विषया पर अपने लोकनिक समस्या आ ओकर समाधान पर प्रकाश डालताह. जौं अपने सबहक कोनो प्रकारक ज्योतिषीय समस्या हो त अपने सब मिथिला मिरर कें मेल कऽ अपन समस्याकें राखि सकैत छी.

    प्राचीन मिथिलाक अनुपम देन अछि ज्योतिष, जे जीवनक भूत भविष्य आ बर्तमानक दिगदर्शन करा दैत छैक. ई धारणा सेहो मिथ्या छैक जे ज्योतिष अकर्मण्य वा भाग्यवादी बना दैत छैक. कर्तव्यक प्रमुखता त निर्बिबादे छैक. इहो देखल गेल अछि जे केहनो कर्मवीर प्रतिकूल समय मे कएल निर्णयक चलते  सब किछु गंवा चुकला आ कतेक लोक समय के अनुकुलता के फायदा उठा कऽ उन्नति के शिखर पर पहुँच गेला. समय के अनुकूलता वा प्रतिकूलता के संकेत ज्योतिष शास्त्र बाहेक आओर केओ नहि दऽ सकैत अछि.

    एहि तरहे समय के संकेत पाबि कऽ एखनुक प्रतिस्पर्धा आ जोखिम भरल कार्य व्यबसाय मे सेहो कर्मनिष्ठ व्यक्तिक सफलता बहुत सहज भऽ जाइत छैक. ई बात अकाट्य छैके “ विवाहो जन्म मरणम च यदा यत्र भबिष्यति” तथापिओ बेटीक विवाह मे बिलम्ब हएब माता पिताक हेतु पैघ चिन्ताजनक बात भऽ जाइत छैक. नीक कुल शील उच्च शिक्षा दीक्षा सुन्दर रूप रंग आदि रहितहुँ बेटीक विवाह तय हएब कठिनाह भेल बात सँ बहुत गोटे अवगत हएब. एहि आलेख मे महिला विवाहक बिलम्ब के प्रसंग उठाओल गेल छैक आ जन्म कुन्डलीक अध्यन विश्लेषण सँ देरी हएबाक कारण स्पष्ट भऽ जाइत छैक. एकरा लेल लग्न एवम चन्द्र कुन्डलीक सँगे नवाँश के सेहो विचार हएब आवश्यक रहैत छैक.

    कुन्डली अनुसार कारण पृथक पृथक भ सकैत छैक. तकर संक्षिप्त विवरण दैत बिलम्बक कारण के समाधान जे सरलतापूवर्क अपने सम्पन्न क सकैत छी तही पर जोर देल गेल छैक एवम इ लिखल उपाय प्रयोग मे प्रभावकारी आ सफलतादायक प्रमाणित भेल छैक तैं प्रस्तुत कएल गेल अछि,आग्रह एतबे जे पूर्ण विश्वास आ श्रद्धापूर्वक एकर पालन कएल जाय.

    जौं किनको बिशेष जिज्ञाशा होअए त मात्र “मिथिला मिरर” के माध्यम सँ मेल पठा सकैत छी. विवाह मे बिलम्बकारी भूमिका मे प्रायः शनि राहु एवम मंगल रहैत छैक. चन्द्र अगर दुख स्थान मे होअए या चन्द्रमाक सम्बन्ध अगर सप्तम भाव सँ होअए,पाप ग्रह सँ प्रभावित होअए त प्रायः दू तीन अवसर चूकलाक बादे विवाहक संभावना बनैत छैक. मंगल ग्रह के क्रुर ग्रहसभ सँ दुष्प्रभावित भेनाइ आ नवांश लग्नेश के बक्री भेला सँ सेहो विवाह मे अति बिलम्ब आ निर्बहन मे सेहो बाधा उत्पन्न होइछ. इ सभ विषय कुन्डली सँ ज्ञात भ सकैत छैक. कुन्डली होअए अथवा नहि बिलम्बकारी स्थिति मे निम्न प्रयोग कऽ सकैत छी.

    उपाय :-

    प्रातःकाल स्नान आदि सँ निवृत भऽ कऽ आसन पर आबि कऽ माँ गौरा पार्वतीक फोटो वा शिव पार्वतीक

    फोटो राखि धुप दीप नैवेध अर्पित करी,लाल फूल चढ़बैत सुयोग्य पति प्राप्तिक हेतु प्रार्थना करैत निम्न

    मन्त्र कें १०८ बेर ( १ माला ) जाप हएबाक चाही. शीघ्रताक हेतु ११ माला जाप करबाक प्रावधान छैक से संभव नहि होअए त ५ माला जाप करब श्रेयस्कर.

    मंत्र:- हे गौरी शंकर अर्धाङ्गी, यथा त्वं शंकर प्रिया.

    तथा माँ कुरू कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम.

    एकर अतिरिक्त रामायणक बालकांड के २३४म दोहा स २३६म दोहा के बीचक निम्न चौपाई के सस्वर

    अर्थात् मुँह स अवाज निकाली कऽ एक आवृति पाठ करब आवश्यक रहत. इ पाठ कम स कम चालीस

    दिन तक होबहिक चाही. इ सब कन्या के स्वयं करबाक हएतन्हि,बर्जित अवधि मे माय वा बहिन पूरा

    कऽ देथिन्ह.

    चौपाइ:- जय जय गिरीवर राज किशोरी, स प्रारम्भ करैत मन्जूल मंगल मूल वाम अंग फड़कन

    लगे तक.