एसआइआर मे आबि रहल समस्या पर सर्वोच्च न्यायालय सख्त, चुनाव आयोग केँ देलक निर्देश

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मिथिला मिरर, पटनाः पश्चिम बंगाल मे चलि रहल स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआइआर) अभियानक दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) केँ देल जा रहल धमकी आ दबावक संग-संग हिंसक घटनाक शिकायतक आधार पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर चिंता व्यक्त कएलक अछि। न्यायालय कहलक जे मतदाता सूची तैयार करबाक प्रक्रिया लोकतंत्रक मूल आधार अछि, आ जे अधिकारी एहि कार्य मे लगल छथि, हुनका सुरक्षा सुनिश्चित केनाइ राज्य आ चुनाव आयोग दुनूक जिम्मेदारी थिक आ ई अनिवार्य रूपेँ करए पड़त।

याचिका मे दावा कएल गेल छल जे बीएलओ जखन घर-घर जा मतदाता सूची के सत्यापन करैत छथि, तऽ बहुत ठाम हुनका संग स्थानीय असामाजिक तत्व, दबंग आ राजनीतिक रूप सँ जुड़ल लोकसभ द्वारा धमकी देनाइ, डर देखेनाइ आ कतहु-कतहु मारिपीट तक कएल जा रहल अछि। एहन भयाक्रांत माहौल सिर्फ अधिकारीक कार्य मे बाधा नहि पहुँचा रहल अछि, बल्कि सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न लगा रहल अछि। सुप्रीम कोर्ट कहलक कि बीएलओ केँ रोजाना “डेस्कक काम” नहि करऽ पड़ैत अछि, हुनकासभ केँ गांव-मुहल्ला घूमि-घूमि, फॉर्म भरबाक, पहचान पत्र जाँचबाक, परिवर्तन/सुधारक फॉर्म जमा करबाक आ डिजिटल एंट्री करबाक जिम्मेदारी निभाबए पड़ैत छनि। एहन मे अगर ओ धमकीक माहौल मे काज करताहा, तऽ मतदाता सूची निर्माणक विश्वसनीयता खतरा मे पड़ि सकैत अछि।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत आ न्यायाधीश जॉयमाल्या बागचीक पीठ कहलक जे बीएलओ पर हमला आ डर देखेबाक मामला केँ “हल्का मे लेबाक लाएक” नहि अछि। न्यायालय चुनाव आयोगक प्रति निर्देश जारी करैत कहलक जे चुनाव आयोग द्वारा दू सप्ताहक भीतर ई बताओल जाए की बीएलओ केँ सुरक्षा देबाक लेल कोन-कोन कदम उठाओल गेल अछि, आ ओ लोकनि भविष्य मे एहन तरहक कोनो घटना सँ आहत नहि होथि एहि बात केँ सुनिश्चित कयल जाए।