पहेली बनि रहि गेल ललित बाबूक मृत्यु

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दिल्ली, मिथिला मिरर : मिथिलाक ललना ललित बाबू एकटा एहन नाम जिनका कोनो पहचानकेँ आवश्यकता नै छनि। अपन सम्पूर्ण जीवनकालमे हुनक राजनीतिक कद आन कोनो मैथिल नेतासँ बहुत ऊँच छलनि। एकर प्रमाण छल जे ओ केंद्रीय नेतृत्वक शीर्ष पर रहलाह। मुदा रेल मंत्री बनलाक बाद जे हुनका ख्याति भेटलनि ओहिसँ ललित बाबू संपूर्ण राष्ट्रमे एकटा  लोकप्रिय नेताक रूपमे उभरला। आइ हुनक पुण्यतिथि छनि, सम्पूर्ण मिथिलावासी नहि अपितु पूरा देश हुनका स्मरण क’ रहल हेतनि। संपूर्ण देशमे रेलवेक विस्तार हुनक विकासक सोचकेँ परिलक्षित कएलक। देशक मैदानी इलाका होई वा कोसीक दुरूह इलाका सभ जगह रेलवेक जाल बिछबैक परिकल्पना केनाइ ललित बाबु जेहन राजनेता क’ सकैत छलाह। असमय मृत्युक कारण हुनक परिकल्पना आधे रहि गेल। मुदा आइयो केंद्र सरकार हुनक परिकल्पनाकेँ मूर्त रूप देबामे लागल अछि। लेकिन विडंबना कहि जे हुनक गृह जिलामे आइयो रेलवेक स्थिति नीक नै अछि। समय बितैत गेल रेलवे अपन जाल बिछा रहल छल एहि बीच 2 जनवरी 1975 एहन मनहूस दिन जाहि दिन पूरा देश हिल गेल छल। भारतीय राजनीतिमे एकटा कद्दावर नेता आ तत्‍कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रकेँ बम मारी घायल क’ देने छल। अगिला दिन दानापुर रेलवे स्‍टेशन पर हुनक मृत्यु भ’ गेलनि। अफसोसक बात जे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एहि हत्याकांडकेँ विदेशी साजिशक’ हिस्सा बता देलनि। एहि घटनाक 40 साल बाद जिनका सभकेँ कोर्ट सजा देलनि, ललित बाबूक परिजन निर्दोष मानैत छथि। हुनक पुत्र लोकनि एहि हत्याकांडक जाँच दोबारासँ करेबाक माँग क’ रहल छथि।

कद्दावर नेता छलाह ललित बाबू

ललित नारायण मिश्र साफ छवि वला कद्दावर नेता छलाह। एहि कारण ओ कतेको लोकक आँखिक किरकिरी बनि गेल छलाह। हुनक हत्‍या पर कोर्टक फैसलाक बावजूद बहुत किछु एहन अछि जाहि पर अखनो धूल जमल अछि। ललित नारायण मिश्रक पुत्र आ बिहार विधान परिषदक सदस्य विजय कुमार मिश्र मानैत छथि जे एहि हत्याकांडक जांच फेरसँ होयबाक चाही। बिहारक सहरसा (आब सुपौल) क’ निवासी ललित नारायण मिश्र 1973सँ 1975 मे हत्‍या  तक भारतक रेल मंत्री छलाह। ललित बाबु तीन बेर लोकसभाक सदस्य चुनल गेलाह आ ओ राज्यसभाक सदस्य सेहो रहल छलाह। साल 1973मे रेलमंत्री बनबासँ पूर्व ओ पार्टी आ सरकारक कतेको महत्‍वपूर्ण पद पर रहल छलाह। खास बात ई जे ललित नारायण मिश्र ओहि समयमे मनमोहन सिंहक प्रतिभाकेँ भांपी गेल छलाह आ विदेश व्यापार मंत्रालयक काज देखैत ओ मनमोहन सिंहकेँ विदेश व्यापार मंत्रालयमे सलाहकार नियुक्त केने छलाह, जे बादमे भारतक प्रधानमंत्री सेहो बनलाह।

समस्‍तीपुरमे बम मारि क’ देल गेल छल हत्‍या

2 जनवरी 1975 केँ रेलमंत्रीक रूपमे ललित नारायण मिश्र बिहारक दौरा पर समस्तीपुरसँ मुजफ्फपुर तक ब्रॉडगेज लाइनक उद्घाटन करबाक लेल समस्‍तीपुर गेल छलाह। एहि दौरान ओतय बम विस्फोटमे आ गंभीर रूपसँ घायल भ’ गेलाह। ईलाजक लेल दानापुर अस्पताल ल’ जायल गेल एहि क्रममे अगिला दिन हुनक मृत्यु भ’ गेलनि। हत्याक इ गुत्थी आई धरि नै सुलझी सकल। एहि हाई-प्राफाइल हत्याकांडक जाँच प्रक्रियामे कतेको पेंच अछि। एकर जाँच आ सुनवाईमे बहुत समय लागल। मुदा गुत्थी सुलझी नै सकल। अनुसंधानक शुरूआती दौरमे बिहार पुलिसक सीआइडी अरुण कुमार ठाकुर आ अरुण मिश्रक सनसनीखेज बयान कोर्टमे दर्ज करेने छल। दूनू अपन इकबालिया बयान समस्तीपुर कोर्टमे दैत कहने छल जे कोनो प्रभावशाली व्यक्तिकेँ कहला पर ओ सभ हत्याक योजना बनेने छल। बयानमे इहो बात सामने आयल छल जे एहि हत्याकांडमे बिहारक एकटा विधान पार्षद सहित दिल्लीक’ एकटा चर्चित नेता सेहो शामिल छलाह। मुदा बादमे सीबीआइ दुनुकेँ इकबालिया बयानकेँ खारिज करैत निर्दोष बता देने छल। जाहिसँ ई गुत्‍थी नै सुलझी सकल आ हत्‍याक साजिशमे शामिल ‘प्रभावशाली’ व्‍यक्ति के छलाह हुनक नाम आई धरि पता नै चलि सकल।

घंटों विलंबसँ चलल घायल ललित बाबूकेँ अस्‍पताल ल’ जाय वाली ट्रेन

ललित नारायण मिश्र बम विस्‍फोटमे घायल भ’ गेल छलाह, बादमे हुनका इलाजमे सेहो लापरवाही देखल गेल। दानापुर अस्‍पताल ल’ जेबामे अनावश्‍यक विलंब भेल। हत्याकांडक जाँच लेल बनाओल गेल मैथ्यू आयोगक समक्ष समस्तीपुर रेल पुलिस अधीक्षक सरयुग राय आ अतिरिक्त जिलाधिकारी आरवी शुक्ल खुलासा केने छलाह जे ललित नारायण मिश्रकेँ समस्तीपुरसँ दानापुर ल’ जाय वाली गाड़ी समस्तीपुर स्टेशन पर शंटिंगमे 1.10 घंटा ठाढ़ रहि गेल। समस्‍तीपुरसँ दानापुर पहुँचयमे एहि ट्रेनकेँ 10 घंटासँ बेसी समय लागल जाहि कारण एहि आशंकाकेँ जन्म भेल जे कोनो ने कोनो हाई-प्रोफाइल साजिश त’ भेल छल।

बिहारसँ दिल्‍ली ट्रांसफर भेल मुकदमा

इ मुकदमा अनावश्‍क रूपसँ लंबा खिंचैत चलि गेल। सीबीआइकेँ आग्रह पर 22 मई 1980केँ मुकदमा दिल्लीमे सेशन ट्रायल लेल भेजल गेल। दिल्लीमे इ मुकदमा पहिने पाटियाला हाउस कोर्ट आ बादमे तीस हजारी कोर्टमे भेज देल गेल। कोर्टमे सीबीआइ 10 आनंदमार्गिकेँ खिलाफ आरोप पत्र दाखिल केलक। सीबीआइकेँ थ्‍योरीक मुताबिक आनंदमार्गि अपन गुरू पीसी सरकारकेँ जेलसँ रिहाईक लेल केंद्र पर दबाव बनेबाक लेल रेल मंत्रीक हत्या केने छल। मुदा एहिसँ इतर बिहार सरकारक रिपोर्ट बादमे एकरा खारिज क’ देलक। 1977 मे मुख्यमंत्री बनलाकेँ बाद कर्पूरी ठाकुर एकटा जाँच आयोग बनेलाह। एहि मामलेमे सीबीआइके जाँचक दिशा पर सवाल उठबैत न्यायविद् एम तारकुंडे कहने छलाह जे सीबीआइ अपन जाँचक दिशाकेँ समीक्षा करैथि। एहिक बाद तारकुंडे फरवरी, 1979 मे अपन रिपोर्टमे कहने छलाह जे सीबीआइ एहिमे आनंदमार्गिकेँ बेवजह फंसा रहल अछि। बादमे एहि रिपोर्टकेँ बिहार सरकार केंद्र सरकारकेँ पास भेज देने छल।

परिवारकेँ कहब छलनि : आनंदमार्गिकेँ बेवजह फंसा रहल अछि राज्य सरकार

बिहार पुलिसक सीआइडी सेहो एहि हत्‍याकांडमे बिहार आ दिल्‍लीक दूटा पैघ राजनेताकेँ साजिशक बात कहने छल। ललित नारायाण मिश्रक भाई आ पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र आ बेटा विजय कुमार मिश्र एहि मामलामे अपन गवाहिमे आनंदमार्गिसँ कोनो तरहक  दुश्मनीसँ इनकार केने छलाह। एहिसँ पहिने ललित नारायण मिश्रक धर्मपत्‍नी कामेश्वरी देवी सेहो मई, 1977मे केंद्रीय गृह मंत्री चरण सिंहसँ अपन पतिक हत्याक मामलाके फेरसँ जाँच करेबाक माँग उठा चुकल छलिह। कामेश्वरी देवी सेहो कहने छलीह जे एहि हत्याकांडमे गिरफ्तार आनंदमार्गी निर्दोष छथि। हालाँकि बादमे ललित नारायण मिश्र हत्‍याकांडक गुत्‍थी तखन बेसिये उलझी गेल जखन एप्रूवर विक्रम कहलनि जे सीबीआइ हुनका पर गलत बयान देबाक लेल दबाव देने छल। हुनका मुताबिक सीबीआइ हुनकासँ गलत बात कह्बेने छल।

एहनमे आश्‍चर्य नहि जे एहि हत्याकांडमे 40 साल बाद उम्रकैदक सजा पाओल चारू आरोपि रंजन द्विवेदी, संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत आ गोपालकेँ ललित नारायण मिश्रक परिजन बेकसूर मानैत छथि। आब हुनक सुपुत्र विजय कुमार मिश्र हत्‍याकांडकेँ नव सिरासँ फेरसँ जाँच करबाक मांग क’ रहल छथि। कतो ने कतौ जरूर लगैत अछि जे इ हत्या कांड कोनो साजिश छल। सत्य त’ सामने एबाक चाही किएक त’ मिथिला अपन एकटा रत्न खो देलक। जँ ललित बाबु रहितैथ त’ निश्चित रुपे मिथिला सहित सम्पूर्ण बिहारक स्थिति किछु आओर रहैत। एहि बातमे कोनो शक नै अछि। अस्तु

ललित नारायण मिश्रके शत-शत नमन!