मात्र 8 गोटे कें भाईसाहेब,एतेक निठोहर कोना भय गेल मैथिल समाज?

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    दिल्ली,मिथिला मिरर-बाल मुकुंद पाठक/मिथिला मिरर न्यूज डेस्कः भाईसाहेबक नाम सं सम्पूर्ण मैथिली जगत मे चर्चित मैथिलीक वरिष्ठ कथाकार-समालोचक राजमोहन झा नहि रहलाह। पछिला किछु बरख सं निरंतर बेमार रहऽ बला मैथिली साहित्यक इ पथिक ओहि बाट दिस निकसि गेलाह, जाहि बाट पर गेलाक बाद कोनो पथिक आपस घूरि नहि सकल अछि आइधरि।
    सांच कहु त हमरा राजमोहन जी सं आइधरि कोनो तरहक संपर्क नहि रहल छल, ने हुनक कहियो साझात दर्शन भेल छल, ने फोन पर बात या मैथिलीक कोनो तरहक कार्यक्रम मे हुनका देखबाक-सुनबाक सौभाग्य सेहो प्राप्त नहि भय सकल। राजमोहन झा जीक मैथिली साहित्य मे की योगदान छनि तकरो हमरा कोनो विशेष भांज नहि छल, बस मैथिलीक पत्र-पत्रिका सभ मे हुनक रचना आ हुनका संबंध मे पढ़ैत रहलौह आ मोने-मोन एहन मानैत रहलहुं जे कोनो राजमोहन झा नामक मैथिली मे एकटा पैघ साहित्यकार हेताह।
    मुदा फेसबुक पर बृहस्पतिदिन सांझ अजीत आजाद’क टाइमलाइन सं पता चलल जे राजमोहन झा आब नहि रहलाह आ सांझुक चारि बजे हमरा सभ कें छोडि़ पड़ा गेलाह, जकरा बाद सोशल मीडिया (खास कें फेसबुक) पर इ समाद राति होइत-होइत वायरल भऽ गेल। उडि़ गेल चिड़ै, खसि पड़ल एकटा पुरान गाछ सन हेडिंग लगा-लगा कें समस्त मैथिली साहित्यानुरागी अपन-अपन टाइमलाइन पर एहि वरिष्ठ साहित्यकार कें अश्रुपूरित श्रद्धांजली दैत रहलाह। सोशल मीडिया पर भाईसाहेब कें श्रद्धांजलि भेटैत रहलनि आ लोक सब खास कय ओ वर्ग जे प्रत्यक्ष ओ परोक्ष रूप सं भाईसाहेब सं परिचित नहि छलाह ओहो हुनका प्रति जानवाक आ संवेदना जतेवाक लेल आगू बढ़ैत रहलाह।
    एम्हर बृहस्पतिदिन सांझ सं शुक्रक भोर धरि एहि पोस्ट सब द्वारा हम हुनका जानबाक प्रयास करैत रहलहुं। मोने-मोन उदास होइत गेलहुं आ चलि देलहुं राजमोहन जीक पहिल आ अंतिम दर्शन करबाक लेल। मुदा ओहिठाम पहुंचलाक बाद जे विकट स्थिति ऑखिक सोझां आएल से कहबा मे स्वयं कें असमर्थ आ असहज महसूस कऽ रहल छी।  हुनका आवासक लग मे स्थित गंगा जीक कात मे बनल विद्युत शवदाह गृह मे हुनक लहास राखल छल, जकरा लग बिन ब्याहल लमशम पचास बरखक हुनक दू गोट पुत्री बैसल छलीह, एक गोटेक हाथ टूटल छलनि आ एकटा उतरी लेने छलीह आ शवदाह गृहक बाहर दू चारि टा मैथिलीक साहित्यकार सेहो देखना गेलाह।
    एतबा देखते किए ने मुदा मोन कोना दनि करऽ लागल। मैथिलीक एतेक पैघ साहित्यकार, साहित्य अकादमी पुरस्कार सं सम्मानित, मैथिली गद्य सम्राट हरिमोहन झाक पुत्र जे जीवन पर्यन्त मैथिली कें सेवा मे अपना आपकें खपा देलनि, हुनका अंतिम घड़ी मे कियो देखनिहारो नहि, परिवार कें लोक सब कें सांत्वना देनिहारो नहि! एतबे नहि जखन धरि हुनक दाह संस्कार चलैत रहल लोकक संख्या आठ सं नौ नहि भेल। की मैथिलीक एतेक पैघ साहित्यकार कें एहिना विदाइ होयबाक चाही छल? मैथिली जगतक लोक एतेक संवेदनहीन कोना भऽ गेलाह जे अपन एतेक पैघ साहित्यकार कें क्षणभरि मे बिसरि गेल। आखिर ओ व्यक्ति आ संस्था जे पटनामे स्वयं कें बड़का धारेझाक पैज कहावैत छथि कि छलाह कतय चलि गेल छलनि हुनका लोकनिक पुरषार्थ? विद्यापति पर्व समारोहक संग-संग पटनाक आन कार्यक्रम मे फोटो चमकेनिहार व्यक्ति कतय निपत्ता भय गेल छलाह? कतय हेरा गेल छल ओ हरिमोहन झा आ राजमोहन झा रचनाक प्रशंसक। कतय चलि गेल छलाह मैथिलीकें नाम पर राजनीति केनिहार ओ तथाकथित नेतागण? कतय चलि गेल छल लाखोक संख्यामे पटना आ मिथिला क्षेत्रमे रहिनाहार मैथिलीक नानान विधा सं जुड़ल लोक सब?
    हमरा मोने-मोन बड्ड आत्मग्लानि भऽ रहल अछि जे हमहुं ओहि मैथिली जगतक एकटा लोक छी, ओहि मैथिली साहित्य लेल काज करैत छी। हमरा ओहन सबटा लोकक असहिष्णुता लेल लाज होइत अछि जे राजमोहन जीक श्रद्धांजली स्वरूप अपन पोस्ट पर आएल लाइक आ कमेन्ट मे ओझराएल रहि गेलाह। अपन टाइमलाइनक ख्याति बढ़बैत रहि गेलाह मुदा अपन एहि धरोहरक नीक सं विदाइ करबाक लेल सेहो आगां नहि एलाह। श्मशान सं वापस ऐलाक बाद स्वयं पर आ ओहि समाज पर घिन्न भय रहल अछि जे राजमोहन झाक नाम पर अपन सोशल मीडियाक लाइक बढ़ेवाक चक्कर मे एकटा युग पुरूषकें ओहिना छोडि़ देलनि। मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल हो कि मिथिलाक कोनो आन क्षेत्र, ओतेक समय ओहि तथाकथित मैथिल समाज लग छलनि जे ओ बस, ट्रेन अथवा कोनो आन सवारी सं पटना आबि मैथिलीक अहि युग पुरूषकें राजशी अंतिम बिदाई दय सकैत छलैथ। मुदा एक बेर फेर तथाकथित मैथिलीक कर्णधार ओ मिथिलाक पैरोकार लोकनि अपन कारी स्याह चेहरा लोकक सोंझा राखि देलाह।
    राजमोहन झाक दाह संस्कार देखि आब हम स्वयं सं प्रश्न करवाक लेल विवश छी जे आखिर हम मैथिलीक लेल कियैक काज करी? जौं राजमोहन झा सन नाम, जौं कुमार शैलेंद्र सन नामक कियो खोज पुछारी केनिहार नहि त फेर मैथिलीक भविष्य कतय जा रहल अछि अहि विषय पर मैथिल समाज, एवं ओ तथाकथित मैथिलीक पैरोकार लोकनि कें सोचवाक चाही। मिथिला मिरर एहन-एहन विषय कें उठवैत रहत, जौं आहं सब कें सच कड़ूलगैत हो त सुसूआइत रहू आ हमरा विषय मे आलोचना करैत रहू मुदा जा धरि राजमोहन झा सन व्यक्ति कें अवहेलना होइत रहतथि हमर पत्रकारितक बागी बनल रहत।