1 सितम्बर क कुशी अमावश्या थिक, गाम-गाम खरहोइरमे कुश उखारैत मैथिलजन

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    मधुबनी,मिथिला मिरर-सुजीत कुमार झा: बृस्पतिदिन अर्थात 1 सितम्बर 2016 क कुशी अमावश्या थिक। आइ भोरे सँ मिथिलाक गाम-गाममे मैथिलजन खरहोइरमे कुश उखारैत देखल गेलाह। मिथिलामे कुशक कतेक महत्व होइछ अहि बात सँ सब कियो परिचित छी। चाहे वृद्ध होइथ आ कि युवा लोकैन्ह सब कियो भोरे उठि हाथमे खुरपी लय खरहोइरमे जा कुश ताकि ओकरा जतन सँ उखारैत नजैर ऐलाह। मिथिलामे कोनो तरहक देव-पितृक काजमे कुशक आवश्यकता होइत अछि आ ओ कुश कुशी अमावश्याक दिन मात्र उखाड़ल जाइत अछि।

    की अछि कुश उखाड़वाक परम्परा अहि पर प्रकाश दैत मैथिलीक चर्चिर रचनाकार सह वरिष्ट पत्रकार मणिकांत झा कहैत छैथ जे, एहन तरहक किम्बदन्ति मिथिला मे रहलैक अछि जे जिनकर पिताक देहांत भ गेल होइन्ह आ एकटा बरखीक बाद हुनका तर्पण करवाक रहैत छैन्ह ताहि लेल ओ लोकैन्ह कुश उखरैत छैथ। ओना एहिमे एहन कोनो बात नहि छैक जे दोसर आओर कियो कुश नहि उखाइड़ सकैत छैथ। कुशक बेसी उपयोग पूजा-पाठमे होइत अछि ताहि सं एकरा कियो व्यक्ति उखाइर सकैत छैथ आ एहन पूजा-पाठक कार्यमे कोनो तरहक दोष नहि होइत अछि।