डाॅ.बीरबल झा’क अगुआई मे चलि रहल पाग बचाउ अभियानक समर्थन करैत सेंट लुईस अमेरिका सं मैथिलीक स्थापित गीतकार, साहित्कार आ समालोचक सह ज्योतिषविद् काली कांत झा “तृषित” एकटा गीत लखलनि अछि। इ देखल जाउ इ गीत मिथिला मिररक मार्फद सं।
अभियान गीत-रचना: काली कान्त झा “तृषित”
मिथिला के सम्मान पाग छै, मैथिल के पहिचान छै.
माथ माथ पर होअए सुशोभित, तकरे इ अभियान छै..
मिथिला क्षेत्रक सब छी मैथिल, छोट पैघ के भेद कहाँ.
स्वयं जनकजी हर चलौलनि, मालिक या हरबाह कहाँ..
सब छी एके एके रहबै, फूटने नहि कल्याण छै.
माथ माथ पर होअए सुशोभित…
गीत अतीतक गबिते रहबै, से नहि आब जरूरी छै.
टाँग पकड़ि कऽ घीचब छोड़ी, से उद्घोष जरूरी छै..
एक सूत्र मे पागे बन्हतै, उगना केर वरदान छै.
माथ माथ पर होअए सुशोमित…
महिला पुरूष कि बच्चा बुच्ची, चाहे बृद्ध जवान छै.
पाग प्रतिष्ठा पागे परिचय, पागे शान गुमान छै..
“तृषित” भाग्य के पाग जगौतै, मिथिला भूमि महान छै..
माथ माथ पर होअए सुशोमित, तकरे इ अभियान छै..