मंगरौनी,मधुबनी-मनीष चंद्र मिश्रः अप्पन मिथिला में ऐतिहासिह धरोहरक कमी नइ अछि। समूचा विदेह क्षेत्र सांस्कृतिक आ पौराणिक रूप सं विश्वक पटल पर बड्ड महत्व राखइत अछि। मिथिला के अनुपम धरोहर सभ सं परिचय के क्रम में चलि आई दर्शन करी मधुबनी जिलाक मंगरौनी गामक एकटा पौराणिक मंदिर के। अहि मंदिर के खास बात इ अछि जे अहि मंदिर में भगवान महाकालक 11हो अवतारक दर्शन भ जाइत अछि।
स्थानीय लोकसभ मानैत छथि जे शिव के एहन अजगुत मंदिर संसार में दोसर ठाम कतौ नइ अछि। भगवान शिव के देवाधि-देव कहल जाइत छैन्हि आ हुनकर 11हो टा रूपक दर्शन कराबह बला अई मंदिर के श्री एकादश रूद्र महादेव मंदिर के नाम से ख्याति प्राप्त अछि।
कांचीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी सेहो अइ मंदिर के देख आश्यर्य प्रकट केलाह आ एहन अद्भुत शिवालय के अद्वितीय होबाक बात कहला। शंकराचार्य साल 1997 में मंगरौनी आयल रहथि। मंदिरक पुजारी कहला जे बीच में किछु समय के लेल शिवलिंग के आकार आ बनावट में लगातार परिवर्तन देखल गेल। शिवलिंग के बनावट के कखनो भगवान राम त कखनो हनुमान जेना त कखनो पहाड़, गणेश आदि रूप में परिवर्तित होइत देखलथि। और ई प्रक्रिया एखनो धडि़ जारी अछि।
सभ सोमवारी क अइ मंदिर में विराट पूजा के आयोजन कायल जाइत अछि। कहल जाइ छै जे पूजा के बाद महाप्रसाद के ग्रहण केला के बाद शिवभक्त के सब कष्ट दूर भय जाइत छैन्हि। भगवान शिव के अहि अनूपम रूपक दर्शनक लेल दूर दराज स भक्त आइब भोला बाबा सं आशीर्वाद मांगइत छथि।
एकादश शिव लिंग केर स्थापना तांत्रिक मुनिश्वर झा साल 1953 में केने रहैथ। शिवलिंग के निर्माण कारी रंगक ग्रेफाईट पत्थर सं भेल छई। महादेवक स्थापना केनिहार बाबा मुनिश्वर झाक समाधी मंदीरक प्रांगणे में छैन्हि। संगहि मंदिर परिसर में सरस्वती, पार्वती, विष्णु आदि के मंदिर सेहो बनाउल गेल अछि।