मिथिला मिरर साप्ताहिक योग पर आधारित कार्यक्रम मिथिलाक योग मे आइ योगाचार्य रवि व्योम शंकर झा ‘उत्तानपदासन’ पर जानकारी, ओकर विधी आ ओहि सं होइवला लाभ पर चर्चा करताह।
विधि
पीठ कें बल सुइत रहु, पैर सॅ माथा तक पूरा सीधा राखू, हाथ बिलकुल बगल मे तरहथि नीचा मुहै माईट सॅ चिपकल रहय, सांस करेजा मे भरिकय दुनू पैर के धीरे-धीरे (30 डिग्री) पर उठाबू, सांस ता धरि उठा कअ राखू, जाधरि अपनेक सामर्थ्य अछि, पैरक बुढ़वा आँगुर खिचकअ और सीधा राखू, संगहि अइख सॅ आँगुर केर देखइत रहू।
लाभ
ढोढ़ी यानि नाभि कें बिलकुल (मध्य) मे रहैत अछि जाहि जाहि कारण पेट ठंढा एवम् गुजगुज-मुलायम रहैत अछि आ ओहि कारण पेटमे गैसक कोनो शिकायत नहि होइत अछि, आ पेट हल्लुक रहैत अछि आ तन-मन मे स्फूर्ति बनल रहैत अछि। जौं व्यक्ति अहि आसनकें नित्य पांच मिनट धरि करताह त पेट सं संबंधित कोनो बिमारी नहि हैत आ अपने लोकनि दीर्घकाल तक युवा बनल रहब। संगहि अहि आसन केलाक बाद अपने जौं आंकड़-पाथड़ खायब त सेहो पचाबय वला क्षमता अहांक शरीरमे भेटत।
सावधानी
बवासीर, कमरदर्द, वाला साधक कनि सहज आ आराम सं अहि आसन कें करैथ।
– योगाचार्य: रवि व्योम शंकर झा