दिल्ली, मिथिला मिरर : हमर देशमे हरेक साल लगभग 200सँ बेसी पाबनि-तिहार मनाओल जाइत अछि। हरेक पाबनि-तिहारक पाँछा मात्र मान्यता वा परंपरा टा नै होइत छैक। एकर पाँछा जुड़ल रहैत छैक ज्ञान, विज्ञान, स्वास्थ्य, प्रकृतिसँ जुड़ल किछु बात। हरेक साल 14 वा 15 जनवरीकेँ तिला संक्रांति मनाओल जाइत अछि। इ पाबनि पौष मासमे मनाओल जाइत अछि। एहि दिन सूर्य मकर राशीमे प्रवेश करैत अछि एहि कारण तिला संक्रांति मनाओल जाइत अछि। ओना त’ सालमे 12 संक्रांति होइत अछि मुदा मकर संक्रांतिक महत्व एहि लेल विशेष होइत अछि, कएक त’ एहि दिन सूर्य मकर राशीमे प्रवेश करैत छथि। मकर राशीमे सूर्यक प्रवेश भेलासँ दिन बढैत जाइत अछि आ राइत छोट होइत जाइत अछि। मकर संक्रांतिकेँ देशमे माघी, पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी आ बड़ी संक्रांति आदि नामसँ सेहो जानल जाइत अछि। मकर संक्रांतिकेँ दिन गुजरातमे अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्वस सेहो मानाओल जाइत अछि।
की अछि मान्यता
हिन्दू पौराणिक कथाकेँ मुताबिक भगवान सूर्य अपन पुत्र शनि लग जाइत छथि, ओहि समय भगवान शनी मकरकेँ प्रतिनिधित्व करैत छथि। एहन मान्यता अछि जे एहि दिन जखन कोनो पिता अपन पुत्रसँ भेट करवा लेल जाइत छथि, त’ मत भिन्नताकेँ बाबजूद हुनक बीच मतभेद खतम भ’ जायत अछि आ खुशीक माहौल बनि जाइत अछि।एकटा दोसर खिस्सा प्रचलित अछि जे भीषम पितामहकेँ इच्छा मृत्युक वरदान भेटल छलनि। जखन ओ वाणक सज्जा पर सुतल छलाह तखन उत्तरायणकेँ प्रतीक्षा करैत छलाह। निज उत्तरायणकेँ दिन गंगापुत्र भीष्म अपन आँखी बंद केलाह जाहिसँ हुनका मोक्षक प्राप्ति भेलनि।
आचार्य पंडित देवेंद्र झा कहैत छथि जे सूर्य एहि दिन मकर राशिमे प्रवेश करैत छथि जाहि कारण एकरा मकर संक्रांति कहल जाइत अछि। एहि दिनसँ सूर्य उत्तरायण भ’ जायत छथि। शास्त्रमे उत्तरायणकेँ समय देवताक दिन आ दक्षिणायनकेँ देवताक राइत कहल जाइत अछि। एहि दिन स्नान, दान, तप, जप आ अनुष्ठानकेँ अत्यधिक महत्व अछि। मिथिलासँ प्रकाशित पंचांगकेँ मुताबिक संक्रांतिक पुण्यकाल 15 जनवरीकेँ बताओल गेल अछि। निर्णय सिंधु आ धर्मसिंधु दुनुकेँ मुताबिक प्रदोषकालमे या निशीथ कालमे तिला संक्रांति होयबा पर 40 घड़ीकेँ पुण्यकाल होइत अछि। एहि तरहें अगिला दिन 15 जनवरीकेँ 12 बजे दिन धरि संक्रांति जन्य पुण्यकाल मानल जायत। खरमासक समाप्ति आ संक्रांति 14 के मानल जाएत। एहन मान्यता अछि जे शनिदेवके घरमे सूर्यक उपस्थिति हेबाक दौरान शनि हुनका कोनो कष्ट नै दैइन, एहि लेल तिला संक्रांति पर तिलक दान कएल जाइत अछि।
तिल आ गुड़ सेवनक व्यवहारिक पक्ष
तिलमे कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम आ फॉस्फोरस पाओल जाइत अछि। एहिमे विटामिन बी आ सी सेहो प्रचुर मात्रामे होइत अछि। ई पाचक, पौष्टिक, स्वादिष्ट आ स्वास्थ्यवर्धक होइत अछि। गुड़मे सेहो अनेक तरहक खनिज पदार्थ होइत अछि। एहिमे कैल्शियम, आयरन आ विटामिंस भरपूर मात्रामे पाओल जाइत अछि। गुड़ जीवन शक्ति बढ़बैत अछि। शारीरिक मेहनतक बाद गुड़ खेबासँ थकावट दूर होइत अछि आ शक्ति भेटैत अछि। गुड़ खेबासँ हृदय सेहो मजगूत होइत अछि संगे कोलेस्ट्रॉल सेहो घटैत अछि। तिल आ गुड़ मिला क’ खेबासँ शरीर पर सर्दीक असरि कम पड़ैत अछि। यैह कारण अछि जे तिला संक्रांति जे सर्दीमे मानाओल जाइत अछि आ एहनमे शरीरकेँ गर्म रखबा लेल तिल आ गुड़क सेवन बहुत उपयोगी अछि।
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त-
पुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 12:36 तक (15 जनवरी 2019)
महापुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 09:01 तक (15 जनवरी 2019 को)