पटना, मिथिला मिरर : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जखन प्रधानमंत्री छलाह तखनि मिथिलाक लेल बहुत किछु केलाह। अटल बिहारी वाजपेयी दिसंबर 2003मे 23 सालसँ केंद्र लग अटकल मैथिली भाषाकेँ संविधानक अष्टम अनुसूचीमे शामिल क’ एकटा निस्सन उपहार मिथिलाकेँ देने छलाह। एतबे नहि अपन प्रधानमंत्री कार्यकालमे अटलजी निर्मली स्थित कोसी नदी पर रेलसेतुक शिलान्यास 2003मे सेहो कएने छलाह। मिथिलाक लेल देल गेल अपन वचन पर अटलजी अटल रहलाह। एहि लेल समस्त मिथिला अटलजीक सदिखन ऋणी रहत। अटलजीक द्वारा कएल गेल घोषणा अन्य सरकार जेना खोखला साबित नै भेल ताहि बातक खुशीसमस्त मिथिलावासीकेँ छनि। शायद एहि कारणसँ आइयो मिथिलाक गाम-घरमे अटलजी सतत याद कएल जाइत रहलाह अछि। आइ मैथिलि भाषा एतेक समृद्ध भ’ गेल अछि जे दोसरो प्रदेशक विद्यार्थी सभ जे मैथिली नै जनैत छलाह एहि भाषासँ यूपीएससी आ बीपीएससी सन प्रशासनिक परीक्षा पास करय लगलाह अछि। साल 1934मे आएल भूकंपक बाद मिथिला दू भागमे बँटि गेल छल। दरभंगा-मधुबनी अलग आ सहरसा-सुपौल अलग। अटलजी कोसी महासेतुक निर्माण करा क’ फेरसँ दू भागमे बँटि गेल मिथिलाकेँ एक क’ देलाह। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोरक अंतर्गत बनल फोरलेन सड़क आर्थिक समृद्धिक लेल नव-नव रस्ता सेहो खोलि देलक। एहि पुल निर्माणक सपना देखा कतेको राजनितिक दलक नेता सभ सत्ता तक पहुंचलाह मुदा एहि दिशामे कोशिशो नहि कएल गेल। 2003मे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एहि महत्कांवाकांक्षी परियोजनाक नींव राखि मिथिलावासीकेँ सौगात देलाह। 418 करोड़ रुपैयासँ बनल एहि महासेतुक लंबाई 1.87 किलोमीटर अछि संगहि एनएच 57 पर बनल 7 किलोमीटर फोर लेन बाईपासक निर्माण करबा मिथिलाके समस्त भारतसँ जोड़बाक सफल प्रयास निश्चित रुपें मिथिलाक लेल वरदान सावित भ’ रहल अछि। बतादी जे बिहारक शोक नामसँ प्रसिद्ध कोशी नदी पर पुल बनेनाइ बड्ड मुस्किल छल, निर्माण कालमे जखन पुलक पाया बनाओल जाइत छल त ‘ ओ कोसीक तेज धारामे बहि जाइत छल।