अनन्त काल धरि साहित्यिक आकाशमे जिबैत रहताह यात्री जी

0
530

दिल्ली, मिथिला मिरर-रामबाबू सिंह: रविदिन मैथिली हिन्दी साहित्यक जाज्वल्यमान नक्षत्र वैद्यनाथ मिश्र यात्री यानी कि बाबा नागार्जुनक जयंती अछि। अहि जयंतीक अवसर पर हम हिनका मोन पारि रहल छिऐन्ह। ओना किछु शब्दमें हिनका मोन पारब सुरुजके दीप देखाएब जकाँ बुझाइए तथापि अपन माटिक ओ महान मनीषी केर श्रधांजलि स्वरूप किछु लिखैत छी।

अपन जीनगीमे सदिखन घुम्मकड़ प्रवृत्तिके रहनिहारि बाबा वैद्यनाथ मिश्र यात्री यानी हिन्दीक नागार्जुन जे हिन्दी साहित्यमे प्रगतिवादके अपनौलनि। जहिना कथा तहिना कविता आ तहिना हिनकर उपन्यास चर्चित रहल। कहल जाएत छैक जे बलचनमा उपन्यास जे हिन्दी मे बड्ड चर्चित भेलनि ओ लिखल पहिने मैथिलीमे गेल छल मुदा प्रकाशक नहि भेटलनि तखन बाबा अहि किताबके हिन्दी मे लिखलनि आ बलचनमा पहिने हिन्दी मे प्रकाशित भेलनि। तहिना हिन्दीमे वरुण के बेटे, रतिनाथ की चाची ई सभ चर्चित संग्रह छनि आ मैथिलीमे “पत्रहीन नग्न गाछ” रचना पर बाबा केर साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छनि संगहि अनेको महत्वपूर्ण रचना हुनकर छनि।

एखन मोन पड़ैए बाबाक जयंतीक अवसर पर बाल बियाह आ वैधव्य पर रचित #विलाप। मार्मिकता सँग अद्भुत कथा काव्य कहल जा सकैए जाहि पर कतेको जगह पर नाटकों खेलाएल जाएत अछि। किछु एना रहय

जे मोन नै पड़ैए केना रहि
लोक कहैए नेना रहि
अँगनामे ओंघराइत रहि
कनिया पुतरा खेलाइत रहि
मरबा पर बजाकS बहिन ल गेल
किदन कहाँदन भेल आ विआह भ गेल

एहन चीज सभ छैक विलाप केर कथा काव्यमे, तकरा बाद सत्तापक्षके जमिकS विरोध करनिहार बाबा यात्री जी,
“इंदिरा जी इंदिरा जी क्या हुआ आपको”
“हाथी घोड़ा पालकी जय जवाहर लाल की”

बाबा बौद्ध धर्ममे चलि गेल रहथि आ तेँ हिनकर नागार्जुन नाम पड़लनि। घर वापसी भेलनि मुदा हिन्दीमे नागार्जुनक नाम सँ रचना करैत रहलाह। वैद्यनाथ मिश्र यात्री दरिभंगा जिलाक तरौनी गामक रहनिहार, हिनकर जन्म ज्येष्ठ पूर्णिमाक सन 1911 मे भेल रहनि। बाबा कहियो ठाम नहि रहलनि। भारतक कोने कोन तँ सहजहि घुमलाह मुदा बौद्ध धर्म अपनेलाक बाद श्री लंका जापान मालदीप सभक यात्रा करैत रहलाह।

बाबा यांत्रिक आगमन मैथिली साहित्य लेल एकटा नव युगक आरम्भ होयत छैक। हिनकर प्रभाव एखन तकके पीढ़ी पर हजारो कलम बाबा यांत्रिक अनुयायी छथि आ ई क्रम चलिते रहत ते हिनक जयंतीक अवसर पर बाबा यांत्रिक पर किछु लिखब बहुत मोश्किल अछि। शब्दमे व्यान नहि कएल जा सकैए।

एकटा चीज मैथिलीक सन्दर्भमे बाबा कहने रहथिन-
दक्षिण से हो कि वाम से !
हमको मतलब काम से !!
बाबा के मतलब छलनि जे काज हेबाक चाहि।

एखन हमरा मोन पड़ि रहल अछि…
भगवान हमर ई मिथिला सुख शांति केर घर हो !
आदर्श भS सभक ई इतिहासमे अमर हो !!
एहन सन मिथिला वन्दना केर रचना यात्री जीक कलम सँ होयत अछि। नवका पीढ़ीक लेल साहित्यक ओ आइकॉन बनलाह जे अनन्त काल धरि बनल रहताह।
#अहि_धरिगर_कलमक_सिपाही_केर_कोटिशः_नमन