बिहारक राजनीति मे राजा सं याचक बनैत ललित-जगन्नाथ’क परिवार

    0
    444

    दिल्ली-मिथिला मिररः ललित नारायण मिश्र जी हां इ एकटा एहन नाम भारतीय राजनीति मे उभैर क सामने आयल छल जाहि सं कतेको लोकक मुख पर प्रसन्नताक किरण उभैर क आवैत छल त एतेको लोक अहि नाम सं एतेक बेसी असुरक्षा महसूस करय लागल जे ओ ललित नारायण मिश्रक नाम कें समाप्त करवाब सुनयोजित जाल तक बिछेवा सं परहेज नहि केलक। इंदिरा गांधीक मंत्रीमंडल मे कतेको अहम पद पर अपन योगदान देनहार ललित नारायण मिश्र पहिचान देश भरि मे एकटा कुशल नेतृत्वकर्ताक रूप मे सामने आबि चुकल छलन्हि। 
    मुदा जखन ललित नारायण मिश्र भारतीय रेलक काज अपना हाथ मे लेलनि ओहिकें बाद हुनकर पहिचान देशक सर्वकालीन लोकप्रिय रेल मंत्री रूप मे लिखा गेलनि। आपातकालक सं पहिने जखन देश भरि मे कांग्रेस किरकिरी भय रहल छल तखन कांग्रेस पार्टी लग ओतेक फंड नहि छलैक जे ओ आर्थिक रूपे चुनावक सामना करैत। फंड जुटेवाक जिम्मेदारी ललित नारायण मिश्रक हाथ मे ऐलनि आ मिश्र राइतो-राइत एतेक फंड पार्टी कें जुटा देलनि जाहि सं देशक सर्वकालीन लौह नेता मे सं एक इंदिरा गांधी तक विस्मित भय गेलीह। राजनीतिक पंडितक मानी त देश स्तर पर ललित मिश्रक बढ़ैत कद कथित रूप सं इंदिरा गांधी कें आंखि मे गड़य लगलनि। आ कथित रूप सं इहै व्यक्तित्व हुनकर सुनियोजित हत्याक कारण तक बनि गेल। 
    समस्तीपुर मे ललित नारायण मिश्रक हत्याक बाद बिहार ओ देश मे राजनीतिक भूचाल मचब स्वभाविक छल मुदा कांग्रेस सरकार ओ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ओहि आगि कें शांत करबाक लेल ललित नारायण मिश्रक छोट भाई जगन्नाथ मिश्र कें बिहारक गद्दी पर बैसा देलनि। ओहि कें बाद जगन्नााथ मिश्र तीन बेर बिहारक मुख्यमंत्रीक रूप मे बैसलाह। हालांकि हुनकर पूरा कार्यकाल एको बेर नहि पुरलनि मुदा ओ तीन बेर पाटलिपुत्रक सिंहासन पर बैस राज्य नेतृत्व केलाह। 
    हालांकि ललित नारायण मिश्रक हत्याक बाद हुनक पुत्र विजय मिश्र कांग्रेस सं संबंध तोड़ैत भारतीय जनता पार्टीक संग चलि गेलाह जे राज्य मे कांग्रेस लेल एकटा पैघ क्षतिक रूप मे देखल गेल छल। विजय मिश्र लगातार दरभंगाक जाले विधानसभा सीट पर बीजेपीक विधायकक रूप मे जीतैत रहला आ एक बेर संसद तक पहुंचबा मे सेहो सफल रहल छलाह। फेर लोक सभा हरलाक बाद पुनः ओहि सीट पर विधायक बनि विधानसभा पहुंच गेलाह। ओम्हर राज्य मे कांग्रेस होइत पतन आ लालू यादवक बढ़ैत कद पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रकें एतेक परेशान क देलकनि जे ओ कांग्रेस सं दूर जेवाक लेल आतूर नजैर अवय लगलाह। अहिकें पाछा कारण छल जगन्नाथ मिश्र अपना संग-संग अपन छोट बेटा नीतीश मिश्रक राजनीतिक भविष्यक लेल सेहो बहुत बेसी चिंतित छलाह जे नीतीश कैरियर कें की हेतैक?
    नीतीश मिश्रक एकबेर झंझारपुर विधानसभा सं निर्दलीय चुनाव लडि़ अहि बात सं पूर्ण रूप सं परिचित भय गेल छलाह जे अपना दम पर अपन सर्वकालीन सीट कें बचायब मुश्किल हैत। बाद मे जगन्नाथ मिश्र बेटाक संग नीतीश कुमारक जनता दल यूनाइटेड सं जुडि़ गेलाह। 2004 मे लोक सभा चुनाव मे जगन्नाथ मिश्रक नीक स्थिति झंझारपुर लोक सभा मे रहनि आ जीतैत-जीतैत ओ चुनाव मे हारि गेलाह। आरोप मधुबनीक तत्कालीन जिला कलेक्टर पर लागल जे ओ कथित रूप सं पटनाक दवाब मे आबि जगन्नाथ मिश्र कें हरेलाह। मुदा जगन्नाथ मिश्रक बेटा नीतीश मिश्र झंझारपुर विधानसभा सं लगातार जीत जारी रखलाह आ बिहार विधान सभा मे अलग-अलग मंत्रीक रूप मे बैसैत रहलाह। 
    2013 के अंत मे बिहारक राजनीति मचल घमासान जतय बिहारक लोकक लेल अचंभित करय बला छल त ललित-जगन्नाथ परिवारक लेल इ समय एतेक उथल-पुथल करय वला छल जेकरा शब्द मे बयान करब मुश्किल छैक। बीजेपी सं संबंध खराब होइत आ नीतीश प्रेम जतय ललित नारायण मिश्रक पुत्र विजय मिश्र कें नव डेग उठेबाक लेल प्रेरित क देलक त दोसर दिस जगन्नाथ मिश्र स पुत्र सेहो नीतीश कुमार सं दूरी बनेवाक पूर्ण जोगार खोजय लगलाह। एक दिस विजय मिश्र जाले विधानसभा सं त्यागपत्र दय जेडीयूक कोटा सं विधान पार्षदक रूप मे पटना पहुंच गेलाह आ ओ सीट उपचुनाव मे अपना बेटा ऋषि मिश्र कें दय देलनि। उपचुनाव मे ऋषि मिश्र ओहि सीट सं जेडीयूक उम्मीदवारक रूप मे जीत विधानसभा मे नीतीश कुमारक हाथ मजबूत करवाक काज केलाह।
    त दोसर दिस नीतीश कुमारक कुचाइल सं बिहारक गद्दी पर बैसाओल गेल जीतन राम मांझी स्वयं नीतीश कुमारक लेल भस्मासुर बनवाक फिराक मे जुटी गेलाह। नीतीश कुमारक अहंकार ओ निर्णय लेबाक फैसला सं छटपटा रहल जगन्नाथ मिश्र ओ नीतीश मिश्रक लेल जीतन राम मांझी ओ हम एकटा नव संजीवनीक रूप मे सामने आयल आ नीतीश मिश्र बागी बनि बिहारक राजनीति मे अपन एकटा नव राजनीतिक डेग बढ़ा चुकल छलाह।
    कहियो देश स्तर पर दोसर सब सं मजबूत नेताक रूप मे अपन पहिचान बना चुकल ललित नारायण मिश्र जे कि पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह कें अपन ओएसडी बना क सामने अनलनि तखन हुनका एकटा पहिचान भेटल हुनकर बेटा अपना बेटाक राजनीतिक टिकट लेल दर-दर भटकैत नजैर ऐलाह त दोसर दिस दशक तक बिहारक मे आम लोकक टिकट कें भविष्य निर्माता रहल जगन्नाथ मिश्रक लेल सेहो अपन बेटाक राजनीकि कैरियर बचेवाक जाहि तरहक जोगार करय पड़लनि ओ बिहार ओ देशक जनताक सोंझा अछि। 
    त एकरा कि मानल जाय, कि बिहारक जनता आ कि ललित-जगन्नाथ मिश्रक नाम कें आब ओहि अनुरूपे बिहारक जनता नहि देख रहल अछि आ कि इ लोकनि अपना कृत सं स्वयं कें एतेक उपेक्षित बना लेलाह जाहि सं मिथिला ओ बिहारक लोक हिनका अपन दमदार नेतृत्वकर्ताक रूप मे देखवाक लेल तैयार नहि अछि? अहि समस्त बातक लेल किछु प्रतीक्षा त अवश्ये करय पड़त मुदा इ बात त तय अछि कि बिहार ओ मिथिला मे ललित-जगन्नाथक ओ प्रभाव आब नहि रहलनि जेकरा लेल ओ जानल जाइत छलाह।