मताल सं महात्मा बनेवाक नीतीशक ‘सुशासन’ ड्रामा

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    दिल्ली-मिथिला मिररः अपने सब चौकू जुनि इ कोनो नव सिनेमाक नाम नहि अपितु बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अर्थात सुशासन बाबूक पुरान आ नव कृत पर एक दम फिट बैसैत समाचारक सुर्खी थिक। लालू-राबड़ीक पंद्रह सालक कथित कुशासन सं त्रस्त बिहारक जनताकें जखन नीतीश कुमार नामक मुख्यमंत्री भेटल त समस्त बिहारी जनता मे किछु विश्वास जगलैक जे आब हमर दिन नीक आबय बला अछि। किछु हद तक जनता अपन स्वप्नकें साकार होइत देखबो केलक। मुदा प्रथम कार्यकाल मे बिना कोनो प्रवेश परीक्षा लेने सरकारी स्कूलमे शिकक भर्ती कय नीतीश कुमार बिहारक शिक्षा व्यवस्थाकें दीर्घ काल तककें लेल गर्त मे दऽ देलाह, तइयो राज्यक जनता दोसर कार्यकालमे किछु नव हेवाक बाट जोहैत रहल। नव बाट तऽ भेटलैक मुदा ओकर परिणाम बहुत बेसी दुःखदायी छलैक।
    ओहिकें बाद बिहारक जनताकें जे नव सौगाता भेटल ओ इ छल जे ब्लॉक, सं लय जिला स्तर तक आ कहि त गाम-गाममे दारूक सरकारी दोकान खोली देल गेल। नीतीश कुमारक अहि फैसला पर जमि कऽ बवाल भेलैक मुदा ओहि सं सुशासन बाबू आ हुनकर अवकारी विभागक मंत्री पर कोनो विशेष प्रभाव नहि पड़लनि। स्थिति एतेक भयावह बनय लागल कि छोट-छोट बच्चाक पढ़वाक लेल जे सरकारी स्कूल बनल अछि ओकरो बगलमे दारूक ठेका खोलि देल गेल।
    सांझ परिते बिहारक हर गांव, मुहल्ला मे दारू पियाकक जमघट लागय लागल। मुदा अहि सरकारी ठेका कें हटेवाक साहस केकरा लग होइत। गाम, घरमे दारू पियाक आ ओहि सं जुड़ल वैध, अवैध धंघा फरय, फुलाय लागल। जखन-जखन राज्य मे दारू आ शराबक दोकान विरोध मे अवाज उठाओल गेल तखन-तखन सरकार दिस सं एकेटा दुहाई दैत एकरा राजस्व सं जोड़ि राजकोषीय व्यवस्थाक लेल बंद करब उचित नहि समझल गेल।
    बिहारक कतेको ठाम अहि बात कें लय प्रदर्शन तक भेलैक। बेसीठाम राज्यक महिला अपन घर बचेवाक लेल स्वयं आगू आवैत उग्र रूप तक धारण केलीह आ जमिकय दारू ठेका मालिक आ दारू माफिया तक सं लोहा लेलीह। कतेको ठाम त इ आंदोलन सफल रहल मुदा कतेको ठाम आंदोलन सं जुड़ल पुरूष, महिला कें समाजक कंस सब सं बहुत बेसी प्रताड़ित सेहो होमय पड़ल।
    भाजपाक बढ़ैत प्रभाव आ अपन राजनीति भविष्यके ंअंधकार मय होइत देखैत देरी सब सं पहिने नीतीश कुमार अपन राजनीतिक विरोधी लालू यादवक संग मिल गेलाह आ ओहिकें बाद कागचेष्ठी जेना शराबबंदीक नारा दय बिहारक गद्दी पर बैसवामे सफल सेहो भय गेलाह। चुनावी घोषणा पत्रक अनुरूपे नीतीश बिहारमे 1 अप्रैल 2016 सं पूर्ण शराबबंदी लागू सेहो कय देलनि। संगे-संग राज्य विधान मंडल सहित समस्त सरकारी ऑफिसमे सामुहिक शपथ लेल गेल जे ‘नहि पीब आ नहि पीबय देबै’ मुदा अहि बातकें तखन सब सं पैघ चोट लागल जखन हुनके पार्टीक विधान पार्षद मनोरमा देवीक घर सं शराब पकड़ायल।
    राज्यमे अचानक भेल शराब आ ताड़ीबंदी सं एक दिस पियाक लोकनिक हालत बिगड़य लागल त दोसर दिस शराबक तस्करी अपन चरम पड़ पहुंच गेल। पुलिस सूबेक विभिन्न इलाका सं प्रत्येक दिन शराबक संग, पियाक आ तस्कर कें गिरफ्तार करय लागल। एतबे नहि सीमावर्ती नेपाल आ उत्तर प्रदेशक सीमा पर त शराबी सबहक तांडब लगातार देखय जाए लागल। लोक भारत सं नेपाल, आ बिहार सं यूपी चलि गेल आ ओहिठाम सं भरिपेट शराब पीब वापिस आबि गेल। जौं बॉर्डर पर कड़ाई भेल त राइत ओहिठाम गमा क दोसर दिन वापिस आएल।
    शराबक तस्करी ट्रेनमे होमय लागल। लोक दारूक जगह नानान तरहक स्प्रीट, दबाई इत्यादिक सेवन कय अपन स्वास्थ्य कें खराब करवाक कठोर डेग उठाबय लागल। कतौ ने कतौ प्रशासन सेहो कथित रूप सं माल उगाहीमे जुटी गेल अछि। नीतीश कुमार बिहार छोड़ि आब यूपीमे शराबबंदी लेल मोर्चा खोलने छथि मुदा एकटा बात अहि ठाम राखब आवश्यक भय जाइत अछि कि, आखिर शराब कहियो बंद भय सकैत अछि? आब त नशेड़ी सबहक पलायन होमय लागल अछि ओहो दारूक लेल। नीतीश कुमारक शराबबंदी आब लोकहित सं बेसी राजनीतिक एजेंडा देखना जा रहल अछि जाहिमे दिल्लीक कुर्सी पर बेसी ध्यान देल गेल अछि आ लोकक स्वास्थ्य पर कम। अगर इहै करवाक छल सुशासन बाबू त राज्य भरिमे अपने घरे-घरे दोकान आ ठेका खोलवाक क सबकें मताल कियैक बनेलहूं?