दिल्ली,मिथिला मिरर-मनीष झा बौआभाइः २५ जून २०१७ (रविदिन) दिल्लीक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालयक सम्मुख सभागारमे संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित एवं मैलोरंग रेपर्टरी द्वारा प्रस्तुत नाटक धूर्तसमागम सफलतापूर्वक संपन्न भेल. तेरहम शताब्दीमे लिखल गेल एहि नाटक (प्रहसन) केर मूल रचनाकार कवि शेखराचार्य ज्योतिरीश्वर ठाकुर छलाह जे तत्कालीन मिथिलाक कर्नाटवंशीय राजा हरदेव सिंहक शासनकालमे एहि नाटकक रचना केने छलाह . भारतीय साहित्यक इतिहासमे ई पहिल एहेन नाटक अछि जे लिखित साक्ष्यकें रूपमे प्राप्त होइत अछि . एहि तरहें गद्य विधाक प्रथम सर्जकक रूपमे कवि ज्योतिरीश्वरक मैथिल हएब हमरा लोकनिकें गर्वानुभूति करबैछ. एहि नाटकक कथावस्तुक केन्द्रमे एहेन विषय राखल गेल अछि जकर मंचन देखला उत्तर आजुक वर्तमान परिस्थितिमे सेहो समसामयिकताक बोध करबैछ. धूर्तक प्रवेश समाजमे सभदिना व्याप्त रहल अछि आ ओएह प्रसंगकें एहि नाटकक माध्यमें देखाओल गेल अछि. कामपिपासु ओ पाखंडी गुरु-शिष्यक कामवासनाकें उजागर करैत एहि कथामे एक वेश्याक प्रति हिनका लोकनिक कामान्धता ओ ओकर प्राप्ति हेतु गुरु-शिष्य मध्य भेल कलह केर निपटारा हेतु न्याय केनिहार न्यायाधीश द्वारा स्वयं धूर्तइ क’ हिनका लोकनि स’ छीनि ओतय स’ बैलाए देल जाइ छनि. एहि तरहें सभस’ पैघ धूर्त न्याय देनिहारे साबित होइत अछि. एहिमे डेग-डेग पर समाजक धूर्त लोकक प्रभावक चर्चा ओ प्रसंग अछि आ इएह मूल कारण अछि जे एकर नाम धूर्तसमागम अछि.
पाँच गोट कोरस एवं सहयोगी अभिनेता (नितीश कुमार झा,निखिल कुमार,विवेक कुमार,केशव कुमार,रौशन कुमार) क प्रवेशक संग प्रारम्भ भेल नाटकमे हिनका लोकनिक मूक एवं सांकेतिक अभिनय समाजक धूर्त वर्ग आ ओकर छल-छलावा बला स्वभावकें उद्घाटित करैत अछि. नाटकक सूत्रधार नट (रमण कुमार) एवं नटी (पूजा प्रियदर्शनी) द्वारा नाटकक रचनाकार,रचनाकाल,प्रदर्शनकाल ओ समाजक तत्कालीन स्थितिक चरित्र चित्रण कें रेखांकित करबाक क्रममे एक दोसराक संग तालमेल बैसेबामे फिट छलाह आ ई दुन्नू गोटे अपना-अपना चरित्र संग न्याय करैत बूझि परलाह. मंचनक प्रारम्भ ओ मध्यमे गीत-नृत्यक सेहो अद्भुत सामंजस देखबामे आएल. संवाद प्रस्तुतिमे बाबा विश्वनाथ (मुकेश झा) ओ हुनक शिष्य बंगट लाल (जितेन्द्र कुमार) प्रेक्षककें कखनो पेट पकड़ि क’ त’ कखनो ठहक्का लगा-लगा हँसबा लेल निरंतर बाध्य करैत रहलाह आ नाटकक पूर्ण रोचकता बना रखलनि.
जितेन्द्र कुमार एहि सं पूर्व मैलोरंग द्वारा आयोजित नाटक “जल डमरू बाजय”मे भुखला के चरित्रमे अपन दमदार अभिनय स’ प्रेक्षक लोकनिक पसीनक अभिनेता बनि गेल रहथि मुदा वर्तमानमे मुम्बई प्रवासक कारणें दीर्घ अन्तरालक पश्चात दिल्ली ओ मैलोरंगक एहि मंच पर एक बेर फेर स’ आर बेसी निस्सन अभिनयक संग प्रस्तुत भेलाह अछि. मुकेश झा (मैलोरंग रंगमंडल प्रमुख) विभिन्न नाटकमे मुख्य अभिनेताकें रूपमे निरंतर सोझा अबैत रहलाह अछि तैं स्वाभाविक अछि जे हिनका स’ आब बेसीक अपेक्षा कएल जाइत अछि. अमली,देह पर कोठी खसा दिय’,एकादशी आदि नाटकक माध्यमें एक मांजल निर्देशकक रूपमे सेहो सफल रहलाह अछि मुदा एक अभिनेता केर रूपमे महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक “ओरिजनल काम” मे कम्पनी केर चरित्र अभिनयक बहुत दिनक बाद हिनक मूल अभिनय प्रतिभा एहि नाटकक माध्यमे सोझा आएल जाहिमे ई पूर्ण समर्पित नजरि एलाह कारण हिनक जे चरित्र छल से एक कामुक ओ पाखंडीक छल आ से चरित्र समूचा नाटकमे परिलक्षित होइत रहल. एक कंजूस धन्नासेठ ठाकुर (संतोष कुमार) हिनको एक धूर्तक रूपमे देखाओल गेल जे नाना प्रकारक बहन्नाबाजी क’ एको आना खर्च हेबा स’ कन्नी कटैत रहैत छथि. साधु-सन्यासी होथि वा दास-सेवक कोनो दान पुण्य स’ अपनाकें बंचेबाक जोगारमे लागल रहैत छथि. संतोष कुमार अपन अभिनय वैशिष्ट्यता हेतु जानल जाइत छथि. एक छोटे सन भूमिका रहितो अपन भाव-भंगिमा ओ संवाद अदायगी स’ प्रेक्षकक प्रसंशा बटोरबामे अहू बेर सफल रहला.
एहि नाटकमे दू गोट महिलाक मुख्य भूमिका अछि जाहिमे सुरतप्रिया (मनीषा झा) मास-मास भरिक व्रत रखैत ब्राह्मण भोजन करा जतय पुण्य अर्जित करय चाहैत छथि ओत्तहि हुनक कामातुर पिपासा कामदेवक आलिंगन हेतु आतुर सेहो देखल जाइत अछि.
एहि ठाम रचनाकारक एक साहस त’ स्पष्ट रूप स’ देखल जा सकैत अछि जे सुरतप्रिया जाहि प्रकारे कामातुर छथि ओ धर्मक अढमे पाखंडकें सेहो उजागर करैत अछि. मनीषाक संवाद ओ मुद्रा मध्य कने आर सामंजस बैसेबाक गुँजाइश देखना जाइत छल, तथापि अपन चरित्रमे उतरबाक सफल प्रयास केली. दोसर महिला पात्रक रूपमे अनंगसेना (सोनिया झा) अपन रूप सौन्दर्य स’ कामसम्मोहित पुरुष वर्गक उपभोगक वस्तु बनल नगर भरि चर्चित छथि. सोनिया अपन चरित्र संग न्याय केली हिनक भाव-भंगिमा ओ नृत्य नीक छल मुदा संवाद प्रस्तुतिमे कने आर आत्मविश्वासक आवश्यकता बुझना जाइत छल. प्रसंग छल असज्जाति मिश्रक शिष्य बन्धुवंचक द्वारा जोर-जबर्दस्तीक क्रममे ओकरा झटकबाक संग जे प्रतिक्रिया छल से ताहि ठाम हुनक ओ क्रोध एवं संवादक प्रवाह खुलिक’ सोझा एबामे असमर्थ रहल. सोनिया आब मैथिली रंगमंच,धारावाहिक ओ सिनेमाक एक सक्रिय महिला रंगकर्मी छथि तैं हुनका स’ एतबा अपेक्षित.
गुरु-शिष्य दुन्नूक मध्य फसाद अनंगसेनाक प्राप्तिक लेल होइत अछि आ मामिला ओझराइत देखि स्वयं अनंगसेनाक सलाह पर असज्जाति मिश्र (ऋतुराज) ओ हुनक शिष्य बन्धुवंचक (मनोज पाण्डेय) केर सोझा न्याय हेतु प्रस्तुत होइत छथि. एहि ठाम गुरु-शिष्य दुन्नू पर न्यायदाता ओ हुनक शिष्यक धूर्तइ भारी पड़ि जाइत अछि आ अनंगसेना पर कब्जा क’ हिनका लोकनिकें ओतय स’ बैला देल जाइत छनि. मनोज पाण्डेय अपन चरित्र निमाहमाक एक नीक प्रयास केलनि आ पूर्वक अभिनय स’ बड्ड बेसी सुधार देखबामे आएल अछि. ऋतुराजक अभिनयमे आर सुधारक गुँजाइश जेनाकि प्रेक्षक संग कने तालमेल बैसेबाक प्रयास कएल जा सकैत छल. प्रेक्षक संग तालमेल बैसेबामे मुकेश झा,जितेन्द्र कुमार,संतोष कुमार,सोनिया झा आ मनोज पाण्डेयक भूमिका नीक रहल जकर अनुसरण ऋतुराज द्वारा कएल जा सकैत छल,तथापि देल गेल भूमिकाक निर्वाह नीक स’ कएलनि. ओना मैलोरंगमे प्रवेश केनिहार नव कलाकार लोकनिकें एहि सम्बन्धमे कतेको बेर टोकलियनि अछि आ से अपेक्षानुसार आगाँ सुधार देखबामे आएल अछि मुदा इएह अपेक्षा प्रदर्शित होमय बला नाटकक मुख्य निर्देशक ओ सहायक निर्देशक लोकनि स’ सेहो अछि.
उक्त नाटकक जतबा चरित्रक चयन ओ प्रस्तुति छल से उपयुक्त छल जेकि प्रकाश झाक निर्देशन ओ श्याम सहनीक सहायक निर्देशनकें स्वप्रमाणित करैत छल. मूल सम्वादमे प्रयुक्त क्लिष्ट शब्दकें वर्तमान प्रेक्षकक अनुसारे किछु हल्लुक शब्दमे परिवर्तित क’ ओकरा बोधगम्य बनेबाक प्रयास सेहो नाटकक एक रोचक बिन्दु छल. आलेख प्रस्तुति एवं निर्देशन हेतु बधाइ केर पात्र छथि मैलोरंगक निदेशक ओ वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. प्रकाश झा. संगीत परिकल्पना ओ वाद्य-वादनमे राजेश पाठक,अनिल मिश्रा ओ दीपक ठाकुर उपयोगी सिद्ध भेलाह. मैलोरंग प्रस्तुत अन्यान्य नाटकक गायनमे राजीव रंजन (रॉकस्टार) केर सुनैत रहला स’ हुनक रंगमंचीय पार्श्व गायनक सुगंध पुनः ओहिना भेटल जे अपेक्षित छल. एहि बेर मैलोरंगक मंच स’ एक अद्भुत गायकी प्रतिभाकें लगीच स’ देखबाक ओ चिन्हबाक अवसर भेटल,पहिने त’ विश्वास करब मोसकिल छल जे ई स्वर लाइव गायकीक अछि,मुदा हुनका जखन मंच पर परिचय हेतु आमंत्रित कएल गेल त’ अवाक रहि गेल रही. गायनमे पूर्ण शास्त्रीय पुट ओ मृदु स्वरक मलिकाइन सुष्मिता झा केर पार्श्व गायकी स’ समस्त प्रेक्षक मुग्ध भ’ गेल रहथि.
मैलोरंगे केर बहन्ने सही मैथिली मंच पर अपनेंक स्वागत अछि सुष्मिता जी. एहिठाम एक बात स्पष्ट करब आवश्यक अछि जे मैथिली कला- संगीतमे स्वर साधना वा अभिनय साधना स’ मंच पर मैथिलानी केर भूमिका सभ दिने स’ पुरुषक अपेक्षामे कम रहल अछि आ ताहि मिथककें तोड़बाक प्रयास करैत मैलोरंग एत्तेक महिला रंगकर्मीकें सक्रिय क’ लेने अछि जे रंगमंच वास्ते सदति अपन समर्पणताक परिचय देइत रहलीह अछि आ एहिमे स’ आब त’ किछु निर्देशन केर जिम्मा सेहो सम्हारबा लए सोझा एलीह अछि. वस्त्र विन्यास,ध्वनि,साज-सज्जा,प्रकाश,मंच परिकल्पना आदि सेहो ततबे सुन्नर. द्विदिवसीय आयोजनक क्रमशः चारि शोमे उपस्थित प्रेक्षक ओ रंगप्रसंशकक प्रमाण इएह छल जे बहुत गोटेकें ठाढ़ भ’ क’ वा निच्चामे बैसि देखबा लेल बाध्य होमय पड़लनि. अनेकानेक दृष्टिकोण स’ ऐतिहासिक महत्त्वक एहि नाटकक मंचन सफल रहल. मंचक प्रारंभिक सञ्चालन ओ समापनक घोषणा दीपक यात्री केलनि.
मैलोरंग द्वारा रंगकर्ममे सक्रिय युवा रंगकर्मीकें प्रोत्साहन हेतु श्रीकान्त मंडल पुरस्कार आ वरिष्ठ साहित्य-संस्कृतिकर्मी कें जीवन भरिक उपलब्धि हेतु ज्योतिरीश्वर सम्मान स’ सम्मानित कएल जाइत रहल अछि. बर्ख २०१६ केर श्रीकान्त मंडल पुरस्कार प्रसिद्ध युवा रंगकर्मी अमरजीत रायकें प्रदान कएल गेल आ ज्योतिरीश्वर सम्मान हेतु पं. गोविन्द झाक नामक घोषणा कएल गेल अछि. पं. गोविन्द झा ९६ बरखक उमेरमे लेखनीमे सक्रिय छथि मुदा अतिवृद्ध हेबाक कारणें पटना स’ एबामे शारीरिक रूपे असमर्थ छथि आ मैलोरंगक समूह ई निर्णय लेलक अछि जे एक शिष्ट मंडल द्वारा हुनका ई सम्मान हुनक पटना आवास पर जाय हस्तगत कएल जाएत. ज्योतिरीश्वर कृत धूर्तसमागम ओ ज्योतिरीश्वर सम्मान-२०१६ केर घोषणाक संग कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न भेल.