काठमांडू,मिथिला मिररः मधेस आन्दोलनक पसाही आब पहाड़ तक पहुँच गेल छैक। नेपालक आधा स अधिक जनसँख्या मधेसी,मुस्लिम, महिला, पहाड़क पिछड़ल वर्ग लगायत समस्त उपेक्षित वर्ग आन्दोलित छैक। देशक उन्नति प्रगति अवरूद्ध छैक मँहगाई, काला बजारी उतरोत्तर बढि रहल छैक। भूकम्प पीड़ित सबहक दुर्दशाक देखनाहर केओ नहि छैक। पहाड़ मे भूखमरी व्याप्त छैक, सहयोग मे आएल चाउर बेचल जा रहल छैक। सरकार अपन पीठ अपने थपथपा रहल छैक, भजन मँडली मार्फत वाह-वाही लूटि रहल छैक। नेपालक राजधानी मे आन्दोलित बर्गक रिले अनशन जारी छैक राज्य पक्षके एहि बातक कनिको चिन्ता नहि छैक जे आन्दोलन लम्बा समय तक चलने अवाञ्छित गतिविधि बढि सकैत छैक। स्थितिक जटिलता और बढि सकैत छैक।
मधेस आन्दोलन जखन जखन उत्कर्ष पर पहुँच लगैत छैक राजधानी मे केन्द्रित होबऽ लगैत छैक तहन तहन प्रायरू कोनो ने कोनो एहन तिकड.म सन्चालन मे आबि जाइत छैक जे आन्दोलन दिगभ्रमित होबऽ लगैत छैक किछु लोक एमहर किछु लोक ओमहर बँटा जाइत छैक। प्राथमिकता ओझल मे परऽ लगैत छैक सैऽह हाल पुनरू चरितार्थ भ गेल छैक। उपेक्षित अपहेलित वर्ग स माफी माँगऽ के लहर चलि रहल छैक
चुनाव समय मे नेता सबहक अपहेलित वर्गक दुआरि पर जा कऽ बैसब, जलपान करब, छोट बच्चा के काँख कोरा लेनाइ ( सिनेमा के एहन दृश्य मे ओ बच्चा सू-सू अवश्ये कऽ दैत छैक) तकर फोटो घिचैनाइ, ततेक ने लोक देखैत आएल अछि जे एहन सब बात भभटपन या नाटकीएते बुझाइत अछि। एखनुका बहुचर्चित चाहपानी आ माफीनामा के गलते तऽ नहि कहल जा सकैछ, लेकिन दैनिक आचार व्यवहार मे भेदभाव उन्मूलन के कोनो ठोस पहल नहि कए, सिर्फ एक दिन के माफीए माँगि लेला स कतेक कारगर हएतै से गहीँर मनोवैज्ञानिक बात बूझब मुसरी बाबूके बड दुरूह बुझएलनि। मुदा ओहो अपन बाल सँगी रामजी राम स भोरे भोरे जा कऽ माफी माँगि अएलाह। ओमहर तकरा बाद तुरते रामजी राम टोल टोल मे घोल कऽ देलकै जे मुसरी बाबूके भरिसक दिमाग सरकि गेल छन्हि ओहिना हमरा स माफी मँगैत छलाह। तकरा बाद स मुसरी बाबूके देखिते सब हँसि दैत छन्हि।
एमहर मुसरी बाबूक कहब छन्हि जे माफी मात्र मँगने त लोक पूरा नहियो त अर्द्ध पागल त अवश्ये बूझत नाटक करैत अछि से त कहबे करत। आइ काल्हि त नाम मे नाटकीयता ‘थर’ लिखऽ मे स्पेलिँग मे नाटकीयता, अन्दर बाहर के व्यवहार मे नाटकीयता पहाड़ स अरद्धाँग सटा कऽ मधेसक उद्धार मे नाटकीयता अर्थात सर्वत्र नाटके नाटक व्याप्त हालति मे इहो माफी परिकरण नाटके बूझएतै जा धरि ठोस रूप मे व्यवहार मे रहल भेदभाव के उन्मूलन नहि हएतै आ विशेषतः एहि बर्गक आर्थिक हालति मे सुधार के उपाय नहि हएतै। अतः एहि नाम पर वा अन्य कोनो प्रसँग स डलर कमाइ छी त डलर दिऔ रूपया अछि त रूपैया दिऔ अन्न दिऔ अवसर दिऔ सँगे बैस कऽ खाली फोटोए नहि खिचबिऔ। मुसरी बाबू एहि बात पर विशेष जोर दऽ रहल छथि जे आव पुनः हदबन्दी स विशेष जे जमीन छैक तकरा अधिग्रहण करबाक हेतु सरकारी प्रयास शुरू होबए जा रहल छैक, एहन नहि होअए जे मधेसक जमीन पहाड़ मे सनेस चलि जाए आ एहि ठामक विपन्न वर्ग तकिते रहि जाए कहबिओ छैक जे घरके देवता मुँह ताकए पूरी जाए बनचौरी।