मुजफ्फरपुर, मिथिला मिरर: राजभवनक अनुमति के बिना बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मे एमबीए कोर्स संचालित हेबाक मामला प्रकाश मे आयल अछि। जाहि मे छात्र सब सं लाखो रुपैयाक वसूली कायल गेल अछि। मुदा आब छात्रक भविष्य पर ग्रहण लागि गेल अछि। जाहि सं छात्र अपना के ठकल महसूस कय रहल अछि। दूरस्थ शिक्षा मे भेल एमफिल घोटालाक तर्ज पर एमबीए घोटाला भेल अछि। छात्र सब एकर जांचक मांग केलक अछि।
दरअसल, वोकेशनल कोर्सक तहत विश्वविद्यालय मे एमबीए कें पढ़ाई होइत अछि। अहि मे दू टा शैक्षणिक सत्र एखन लंबित अछि। पहिल 2014-16 व दोसर 2015-17’क सत्र। पुरान कोर्स 2014-16 के चारिम सेमेस्टरक परीक्षा एखन धरि नहि भेल अछि। ओतहि, नव सत्र 2015-17 मे पहिल सेमेस्टरक जून मे भेल परीक्षाक रिजल्ट दिसंबर मे जारी भेल। हाल ई अछि जे, एखन धरि दोसर सेमेस्टरक लेल परीक्षा फॉर्म नहि भरल गेल अछि।
सूत्रक अनुसार एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर मे 92 टा विद्यार्थी एडमिशन फॉर्मक 500 व परीक्षा शुल्क 100 रुपैया जमा केलक। एडमिशनक समय 25 हजार रुपैया फीस जमा भेल छल। अहि के बाद परीक्षा फॉर्म भरबा मे 1250 रुपैयाक डिमांड ड्राफ्ट जमा केलक। सेकेंड सेमेस्टरक परीक्षा के लेल सेहो अग्रिम 15 हजार रुपैया जमा करा लेल गेल अछि। अहि तरही एकटा छात्र के चारु सेमेस्टरक परीक्षा देबा मे 70 हजार रुपैया खर्च होईत अछि।
जहन कि दू टा सेमेस्टरक हिसाब स प्रति छात्र लगभग 42 हजार रुपैया खर्च भय गेल। अहि हिसाब स 92 गोट छात्र करीब 38 लाख रुपैया जमा केलक अछि। उम्हर, चारिम सेमेस्टर के 40 गोट छात्रक परीक्षा नहि भेल अछि।