दिल्ली-मिथिला मिररः माथ कें झपवाक परंपरा प्रायः सब धर्ममे रहलैक अछि चाहे ओ सनातन धर्म ओ आकि मुस्लिम, सिख अथवा इसाई मुदा एकरा सब सं इतर जौं बात करी त मैथिल संस्कृति विश्वक सब सं पुरान संस्कृति मानल जाइत छैक आ अहिमे सेहो माथ कें झपवाक परंपरा तखन सं शुरू छल जखन लोक घास-पातक संसार मे छल। कहबाक अभिप्राय जे मैथिलक माथ पर जे पाग रहैत अछि ओकर इतिहास ओतेक समृद्ध छैक जेकरा तह मे जायब त बहुत बेसी रोचक बात सामने आयत। पाग पहिरवाक परंपरा कतेक पुरान छैक एकर अंदाजा अहि बात सं लगाओल जा सकैत अछि कि जखन मनुक्ख कें कपड़ा पहिरवाक बोध नहि छलैक तखन ओ अपन तन कें पात स झपैत छल आ ओहि समय सं मैथिलक पाग कें शुरूआत भय चुकल छल।
कालांतरमे जखन 15-16 शताब्दीमे कागज कें चलन भेलैक त पाग मे सेहो पातक संग-संग कागजकें उपयोग होमय लागल, बाद मे ओहि मे कपड़ा दय ओकरा नव रूपमे प्रस्तुत करवाक कोशिश कैल गेलैक मुदा मैथिलक मर्यादा पाग कें किछु तथाकथित जातिवादी प्रवृति कें लोक जन-जन कें पाग कें वर्ण विशेष मे विभक्त कय ओकरा एकटा अलग जगह दय देलनि। नोकसान केकर भेलैक? नोकसान भेल मैथिल संस्कृतिक आ ओकर परिणाम इ भेल जे मिथिलामे हिमाचली टोपीक परिचालन बढि़ गेलैक, एतबे नहि मिथिला मे अंग्रजीया हैट-कैप सेहो अपन एकटा नीक बजार बनेवा मे सफल भय गेल मुदा ओहि तथाकथित जातिवादी उन्मादी प्रवृति कें व्यक्तिक मोन मे अहि बातक कोनो ख्याल नहि ऐलनि कि मिथिलाक अहि पाग कें जौं जन-जन सं जोडि़ देवैय त इ पाग वैश्विक स्तर पर उद्योगक संग-संग संस्कृति संवर्धनक लेल सेहो एकटा नव बाट प्रसस्थ करत।
वर्तमानमे मिथिलामे पाग कें सांस्कृतिक सरोकार सं जोडि़ देल गेल अछि आ ओकर प्रयोग ब्राह्मण आ कायस्थ समाज करैत छथि मुदा आ ओहोठाम विवाह मे पागक जगह दोसर तरहक पगडि़ ओ कि मौरक परिचलन शुरू भय गेल अछि। मुदा ओ जे तथाकथित व्यक्ति मैथिल पाग कें जाति विशेष सं जोड़ला आब ओ चुप्प छथि, कारण हुनकर जे लक्ष्य छल ओकर पूर्ति आब भय गेलैक अछि। अहिठाम एकटा प्रश्न उठैत अछि जे अगर ओ व्यक्ति जे पाग कें जाति विशेषक धरोहर कहलनि जतवेक दोखी ओ ततबे दोखी मिथिलाक ओ अन्य-अन्य वर्ग जे ओहि तथाकथित व्यक्तिक बात कें अपन वैचारिक सहमति दय मिथिलाक धरोहर कें सिमित मात्र माथ पर समेट कय छोडि़ देलाह।
मिथिलाक ओहि गौरव कें मारवाक लेल मैथिल अगुआक संग-संग मिथिलाक किछु नामी व्यक्ति से जिम्मेदार छथि जे मिथिला मे रहि मैथिल पागक जगह पर हिमाचली टोपी लहरावैत रहैत छथि। हां, वर्तमानमे युवा लोकनिक सोचमे किछु अंतर अवश्ये एलनि अछि आ पागक सीमा जाति विशेषक माथ सं उतरि आओरो दोसर माथ तक पहुंचल अछि जे एकटा सुखद संकेत कहल जा सकैत अछि। हालांकि अखनो तक ओहि दिशामे जाहि तरहक शुरूआत हेवाक चाही ओ नहि भय पाबि रहल अछि। अगर मैथिल समाज पाग कें जाति विशेषक धरोहर बनेवाक लेल जिम्मेदार छथि त किछु जिम्मेदार पाग स्वयं सेहो छैक जेकर स्वरूप लोक कें बेसी काल तक ओकर पहिरवाक लेल इजाजत नहि दैत छैक। वर्तमान पाग मे किछु बदलावक आवश्यकता जरूर बुझना जाइत छैक जेकरा लेल मिथिला मिरर लग बहुत बेसी व्यक्तिक सुझाव आबि चुकल अछि।
पहिल बेर कोनो व्यक्ति ओ संस्था पागक संवर्धन ओ ओकर स्वरूप कें नव दिशा दय ओकरा जातिक बंधन सं मुक्त करा मिथिलाक जन-जन तक पहुंचेवाक प्रयास अंग्रेजी भाषाक जानल-मानल विद्वान डाॅ. बीरबल झा ‘मिथिलालोक’ नामक संस्थाक संग ‘पाग बचाओ अभियान’ चलावय जा रहला अछि। डाॅ. झा मिथिला मिरर सं बातचीत करैत कहला जे हम डिजाइनर सं संपर्क मे छी आ पाग मे एहन तरहक किछु नव स्वरूप देवाक कोशिश रहत जाहि सं पाग कें सदिखन पहिर ओकरा अपन पहिचानक रूपमे राखल जा सकै। डाॅ. कहैत छथि जे पागक अगिला स्वरूपमे कोनो तरहक परिवर्तन नहि कैल जेतैक हां पाछू सं किछु एहन तरहक प्रयास कैल जेतैय जे पाग माथ पर अटकी सकै। मिथिला मिरर समस्त मैथिल सं अपील कय रहल अछि कि पहिल बेर अगर कोनो मैथिल अहि दिशामे किछु करवाक प्रयास कैलनि त ओकरा सार्थक सहयोग दय पागक गरिमा कें बचा कय राखि।
संगहि एक बेर फेर मिथिला मिरर जोर दय अहि बात कें कहि रहल अछि कि पाग सिर्फ झा, मिश्र, ठाकुर, सिन्हाक माथ पर नहि अपिुत राय, साहु, राम, यादव, पासवान, मल्लिक, मोहम्मद सहित मिथिलाक समस्त व्यक्तिक संग-संग विश्व जनमानसक माथ पर हेवाक चाहि आ हां इ एकाधिकारमे नहि छैक। कारण बाबा वैद्यनाथ मिश्र यात्री नागार्जुन कहने छथि, अंतिम विनय दयालू बस आब एकटा जे, इ पाग विश्व भरिमे सबकेर माथ पर हो। भगवान हमर मिथिला सुख शांतिक घर हो। तै पाग व्यक्तिक नहि, ओ मिथिलाक गौरव थिक। ओ अटल बिहारी वाजपेयीक माथ सेहो जा सकैत अछि, त डाॅ. अब्दुल कलाम, नरेन्द्र मोदी, नीतीश कुमार ओ आज़म खानक माथ पर सेहो।