मायानगरी मुंबई मे मैथिली रंगमंचक जोड़न

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    मुंबई,मिथिला मिरर-राम नरेश शर्माः रंगमंच ओ नाटक कोनो सभ्यताक सब सं पैघ सांस्कृतिक रीढ मानल जाइत छैक आ एहनमे जौं मुंबईमे कोनो मैथिल रंगमंच नहि हो त इ कतेक कचोटक बात कहल जा सकैत अछि। दहेज मुक्त मिथिलाक अध्यक्ष पंकज झा एकदिन गप्प-सपक क्रम मे कहला जे मुंबई में मैथिली नाटक कें कोनो टीम नहि अछि ताहि लेल हमसब कोनो सामाजिक मुद्दा पर नाटक देखै सं वंचित रहि जाय छी। पंकज झा’क बात सुनी हम हुनका आश्वस्त केलियैन जे हम प्रयास करै छी जे बहूत जल्दिये एकटा टीम बनेवाक दिस कोनो सार्थक डेग उठायब।

    तकर बाद हम प्रयास में लागि गेलहुं। एहि संबंध मे अंधेरी मे एक्टर आ रंगकर्मी संजीव पूनम मिश्र संग मुलाकात केलहुं भेंटघांटमे ‘इप्टा’ बेगूसराय कें पूर्व सचिव आ भोजपुरी एक्टर परमानंद शर्मा सेहो छलाह। संजीव मिश्र के ई प्रस्ताव बड्डनीक लगलैन आ ओ एहि प्रस्ताव कें स्वीकार केलाह आ कहलाह अहां रंगकर्मी, फिल्मकर्मी आ समाजसेवा सं जुड़ल सब लोकक एकटा बैसार राखू जाहि ठाम हम सब विस्तार सं चर्चा करब।
    दिनांक 12 जुलाई 2015 के आगामी अंतर्राष्ट्रीय मैथिल सम्मेलनक लेल कमलकांत झाक अध्यक्षता मे मुंबईक उपरनगर नालासोपारा मे एकटा बैसार छल आ एहि बैसारक तुरंत बाद हमरा सबहक बैसार सेहो भेल जाहि में रंगमंच आ फिल्म जगत सं जुड़ल निम्न लोक सभ उपस्थित भेलाह। अभिनेता आ रंगकर्मी संजीव पूनम मिश्र, ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’ फेम राजीव सिंह उर्फ गजराज, सजना के अंगना में सोलह सिंगार फेम राहुल सिन्हा, सीआइडी फेम रामबहादुर रेणु, बॉलीवुडकें गीतकार अमिताभ रंजनी, शॉर्ट फिल्म निर्माता सुमित सुमन, रंगकर्मी कुनाल ठाकुर, भोजपुरी एक्टर परमानंद शर्मा, रंगकर्मी भास्कर झा, रंगकर्मी अखिलेश मिश्र, मॉडल वरूण मंडल सहित अन्य कला प्रेमीगण।
    एहि बैसारमे समाजसेवा सं जड़ल सेहो व्यक्ति सब छलैथि जाहि मे दहेज मुक्त मिथिला पं. धर्मानंद झा, पंकज झा, धर्मेंद्र झा, राजेश राय, सगुन मैथिल, रोशन मैथिल, प्रकाश कमती, सुशील मंडल आ अन्य व्यक्तिगण संगहि पूर्व फिल्कर्मी आ समाजसेवी शुभ चंद्र मिश्र, प्रो. कृष्ण कुमार झा ‘अन्वेषक’ मैथिल नेता कमलकांत झा, मधुबनी इप्टाक पूर्व नाट्यकर्मी आ मैथिल नेता धनंजय झा, ज्योतिष प्रफुल्ल मिश्र, पत्रकार कृष्ण कुमार झा आदि।
    अहि बैसार मे इ निर्णय लेल गेल जे पटनाक नाट्य संस्था भंगिमा आ दिल्लीक मैलोरंग जकाँ एकटा बढियाँ नाट्य मंडली कोना बनत ताहि पर सब अपन विचार रखलाह। संजीव मिश्रक अहि प्रस्ताव पर सबकेयौ अपन विचार राखैत एकरा ध्वनिमत सं पारित कैलनि। उपस्थित समस्त लोकजन अहि संस्थाकें तन, मन ओ धन सं संग पुरवाक बात कहलनि।   धनंजय झा कहलाह अहां सब पहिल नाटकक शुरूआत विरार सं करू हम हॉल कें संग-संग कॉस्ट्यूम, सबटा वाद्ययंत्र आ लाइटिंग के बंदोबस्त सेहो क देब आ कोनो तरहक धनक समस्या नञि आबए देब।
    अंत मे फिल्मकर्मी आ रंगकर्मी लोकनि अपन विचार व्यक्त केलाह जे हमरा सबकें किछु समय दियअ जाहि सं हमसब फिल्म आ नाट्य जगत से किछु आरो लोक कें जोड़ब आ संपूर्ण रूप-रेखा बना क अपने सबलग उपस्थित हैब।