पुरूष कें जन्म देबयवाली नारी, बेचारी नहि भऽ सकै छथि-मृदुला सिन्हा

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    दिल्ली, मिथिला मिरर-राहुल कुमार रायः मिथिलाक नारी-नहि छथि बेचारी विषय पर रविदिन,2 अगस्त 2015 काॅन्सटिट्यूशन क्लब, मे मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली द्वारा पहिल विद्यापति स्मृति व्याख्यानमाला के आयोजन कायल गेल। एहि कार्यक्रमक अध्यक्षता महामहिम राज्यपाल गोवा आ सुप्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला सिन्हा कायलनि। ‘मिथिलाक नारी-नाहि छथि बेचारी‘ एहि विषय पर व्याख्यानकर्ता रूप मे पद्मश्री सं सम्मानित सुप्रसिद्ध साहित्याकर डाॅ. उषा किरण खान आ मैथिलीक साहित्यकार करूणा झा अपन बहुमुल्य शब्द सं संबोधित कायलनि। एहि विषय पर संस्थाक सदस्यलोकनिक द्वारा सेहो चर्चा कायल गेल जाहिमे अमरनाथ झा आ हेमन्त झा शामिल छलाह। 
    कार्यक्रमक शुरूआत बाबा विद्यापतिक प्रतिमा पर माल्यापर्ण कय विधिवत रूप सं भेल। बेरा-बेरी व्याख्यानकर्ता द्वारा व्याख्यान देल गेल कार्यक्रमक अंतिम चरण मे महामहिम द्वारा ‘मिथिलाक नारी- नाहि छथि बेचारी’ विषय पर विस्तृत रूप सं चर्चा करैत उपस्थित बुद्धजिवी लोकनिक मोन कें आत्मविभोर कय देलनि।
    महामहिम अपन संबोधन मे नारी के परिपेक्ष मे कहलनि जे- ‘पुरूष कें जन्म देबयवाली नारी बेचारी नहि भय सकैत छथि’। मिथिलाक नारी के संबंध मे चर्चा करैत बीच-बीच मे मिथिलाक पारंपरिक गीत के चिरितार्थ करैत रहलि ओ भारतवर्ष मे नारी केें पूरूष द्वारा देल गेल सम्मान के उदाहरण दैत कहलि जे‘ विश्व मे कोेनो एहन देश नहि जतय एकटा नारी कें एक गाम सं दोसर गाम कान्ह पर पुरूष चढा कोशो दूर पैदल चलि सम्मानक संग पहुंचाबय छथि, आखिर किएक? किएक त नारी हुनक मान-सम्मान,इज्जत होइत अछि आ ओहि इज्जत पर कोनो तरहक आंच नहि आबनि। हमसभ बराबरी के दलदल मे पड़ल रहैत छी कहैत रहै छी जे हमरा बराबर कें अधिकार मिलय मुदा हम कहब जे बराबर नहि छी कारण जे एकटा पुरूष के जन्म देबयवाली नारीके बराबरी नहि कयल जाय सकैत अछि।
    महामहिम इहो कहललि जेे ‘जाहि पुरूष के परमानंद के प्राप्ति के लेल जंगल जाय धोर तपस्या आ त्याग करय पडै छैक तखन जा के कहि परमानंद के प्रप्ति होइ छनि मुदा एक साधारण सं साधरण नारी के चाहे ओ बकरी चरबैवाली किएक नहि होई हुनका जखन प्रसव-वेदना के अंत समय आबय छैय अर्थात जखन प्रसव-वेदना अपन चरमोत्कर्ष पर होई छैक तखन महिला के मोन बैरागी भय जायत छैक दुनिया-दारी सभसं नाता-रिश्ता छुटि जायत छैक मोन हुनक छण भरिक लेल बैरागी भऽ जायत छन्हि मुदा जखन ओ नेन्ना के ‘रेहों-रेहों’ के आवाज सुनै के संग परमानंद अर्थात बैराग के प्राप्ति कय लय छथि।’
    एकटा सामा-चकेवा के गीत छै ’बाबा के सम्पतिया गे बहिनि, आधा देबौ गे बांटि’ तखन देखियौ जे कतेक होशियार आ सशक्त छै ओ बहिन कहै छथिन‘ बाबा के सम्पतिया हो भैया, भतिजबे भोगहु आब, हम परदेशिया हो भैया, हमरो मोटरिया के आस, सेनुरबा केहो आस’। एतबे नहि जखन अपना सभहक ओहिठाम जेनउ के गीत जखन भीख मांगै लेल जायत छैक बरूआ अपना दादी सं भीख मांगैत कहै छथिन जे ‘हमरा जल्दी भीख दिय हम मंत्र लेबाक लेल काशी जायब तखन हुनक दादी कहै छथिन ‘बाबा तोहर पढल पंडितबा, घरहि वेद पढहु’ एहि तरहक बात गीत के मादे एकटा पुरूष नहि, नारी अपना नेन्ना के कहि रहल छथिन। 
    कार्यक्रमक अंत मे संस्थाक सदस्य संजीव सिन्हा उभरैत नव युवा पीढ़ीक साहित्यकार लोकनिक लेल अगिला बरख अर्थात 2016 सं 1 लाख टकाक पुरस्कार राशि देबाक घोषणा सेहो केलनि।एहि कार्यक्रम मे दीप प्रज्वलित नहि कायल गेल किएक त किछु दिन पूर्व देशक पूर्व राष्ट्रपति आ प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाॅ. ए.पी. जे. अब्दुल कलामक निधन भय गेल छलनि हिनक निधन पर शोक व्यक्त करबाक लेल 1 मिनटक मौन सेहो राखल गेल। एहि मंच के संचालन किसलय कृष्ण केलनि।