डाॅली तालुकदारकें आशीर्वाद स्वरूप शिव कुमार झा टिल्लूक कलम सं निकल इ रचना

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    हे बेटी जन्मलि किए असाम
    अबितहुँ हमरे उजड़ल गाम
    बढ़बितहुँ मैथिली गीतक नाम
    एहि मिथिला मे !
    अहाँ के स्वर केँ शिवक प्रणाम
    डॉली गान कतेक गुणग्राम
    स्वर भांगल नहि कतहु विराम
    एहि मिथिला मे !
    बसितहुँ जत’ सिया के ग्राम
    होइतय मोहक स्वर अविराम
    जगितय गान ने छनुक विराम
    एहि मिथिला मे !
    दियौ अप्पन गुण छिड़िआइ
    समेटथि मिथिला माटिक दाइ
    हुनकर ज्ञान केँ धेलक बेमाय
    एहि मिथिला मे !
    पसरय सुरभित कंठ सुगंध
    ग्राम नगरि प्रेमक अनुबंध
    पुरुबसँ पच्छिम धरि मकरंद
    एहि मिथिला मे !