मैथिली बाल साहित्यक उद्भव एहि जनभाषाक उद्भव कालहिं मे भ’ गेल एना मानल जाएत अछि . एहि तरहक मान्यता आ वास्तविकता सेहो जे एहि विधा कें ओहि काल मे फराक रूप नहि देल गेल. एहि भाषा मे बाल साहित्यक पहिलुक छाँह महाकवि विद्यापतिक पदावली आ मनबोधक कृष्ण जन्म मे भेंटैत छैक ओना एहि दुनू काव्य मे नेनाक लेल किछु विशेष नहि मुदा एकर किछु भक्ति पद शिक्षाक आँचर मे पएर पसारय बला किशोर मे जीवनक त्रिपद..नीति , श्रृंगार ओ वैराग्य सम्बन्धी ज्ञानक लेल किछु हद धरि उपयोगी प्रमाणित भेल .कहबाक लेल त’ बाल साहित्य पर बहुत रास प्राचीन रचनाकार लिखने छथि मुदा प्रथमतः तत्सम रूपेण बिम्बक विश्लेषण ..तें बाल मोन पर ओहि रचना सभक कोनो प्रभाव नहि .बाल साहित्यक लेल साहित्य रस सँ बोरल बिम्बक कोनो प्रयोजन नहि ..एहि तरहक रचना मे नेना -मोनक श्रृंगार होयबाक चाही..जेना,
आम छू अमरौरा छू
बाबा गाछीक औरा छू
नेनपन बीति गेलै
केकरा कान मे कहबै कू..
नीति सम्बन्धी बाल साहित्यक अन्तर्गत सीताराम झा क शिक्षा सुधा , जनसीदन क नीति पदावली , वेदानन्द झा क रत्नबटुआ प्रमुख अछि शिक्षा सम्बन्धी बाल साहित्य मे श्री गोविंदक पाकल आम आ श्री किरण जीक प्रभात कविता प्रमुख अछि .मैथिली साहित्य मे कांची नाथ झा किरण क ” वीर प्रसून पहिलुक बाल कथा संग्रह थिक. डॉ ब्रज किशोर वर्मा मणिपद्म क भारतीक बिलाड़ि ( सन १९७८ ) पहिलुक मैथिली बाल उपन्यास थिक. सुमनजीक बाल पद्य बहुत दिवसधरि बाल साहित्य केँ नवलगति दैत रहल संग संग ” शिशु” मासिक पत्रिकाक ओ संपादक छलाह जाहि मे तंत्रनाथ झाक बानर आ ईशनाथ झा वंदना बाल पद्य छपल छल.
ओहि कालक चर्चित कवि मधुपक गीत बाल साहित्य सँ भरल नहि रहितहुँ बालकंठक गीत बनि गेल छल .पत्र पत्रिका मे बटुक आ धीआ -पूता सन पत्र पत्रिका बाल साहित्य कें पनिकबैत रहल जाहि मे सरस कवि ईशनाथ , सुमन , किरण , यात्री , अमर , आरसी आ धीरेन्द्र सन कविक बाल पद्य छपैत छल .
मिथिला मिहिरक बाल स्तम्भ मे डॉ श्रीकृष्ण मिश्रक अग्रदूत उल्लेखनीय बाल साहित्य रहल .हरिमोहन झा , राजकमल , सुभाष चन्द्र यादव , मंत्रेश्वर झा आ रामदेव झा सन रचनाकारक किछु कथा बाल साहित्यक तत्व सँ विमुख रहितहुँ बाल वर्गक मध्य प्रिय रहल.
आधुनिक कालमे जीवकांत जीक तीन गोट बाल पद्य संग्रह छन्हि ..गाछ झूल झूल , छाँह सोहाओनि , आ खिखिरक बिअरि . सियाराम झा सरस केर “फूल तितली आ तुलबुल ” श्रेष्ठ बाल साहित्यक श्रेणी मे राखल जा सकैछ. गजेन्द्र ठाकुर क विविधा संकलन कुरुक्षेत्रम अन्तर्मनक क सातम खंड बाल मंडली आ किशोर जगत नेना भुटकाक लेल लिखल गेल विविधा थिक जाहि मे साहित्यक समग्र विधा मे बाल आत्मा केँ छूबाक प्रयास कएल गेल अछि. गजेन्द्र ठाकुर रचित बाल नाटक जलोदीप आ बाल कथा संग्रह अक्षरमुष्टिका सेहो बाल साहित्यक अमूल्य निधि थिक. मैथिलीक पहिलुक महिला नाटककार विभारानी जीक नाटक बलचन्दा सेहो बाल मोन केँ प्रेरित करय बाला नाटक मानल जाए .
रामदेव झाक दू गोट नीतिपरक बाल उपन्यास अछि ..इजोति रानी आ हँसनी पान वजंता सुपारी , जाहि दुनू पोथीकेँ सम्पूर्ण रूपेँ उत्कृष्ट बाल साहित्य मानल जाय. चित्रकथा मे प्रीति ठाकुरक मैथिली चित्रकथा , मिथिलाक लोकदेवता आ गोनू झा आ आन मैथिली चित्र कथा, नीतू कुमारीक मैथिली चित्र कथा लोकप्रिय बाल चित्रात्मक रूप थिक.मुक्तक मैथिली बाल ललित कला मे श्वेता झा चौधरी , ज्योति चौधरी , कैलास कामत , ईरा मल्लिक आदि चर्चित छथि. बाल चित्र श्रृंखला मे देवांशु वत्सक ” नताशा ” लोकप्रिय भेल अछि. युवा साहित्यकार ऋषि वशिष्ठ क कोढ़िया घर स्वाहा , जे हारय से नाक कटाबय , आ झूठपकड़ा मशीन ( तीनू उपन्यास ) आ माँटि परक लोक , सुफाँटि जतरा आ नित नित नूतन होय ( तीनू बाल कथा संग्रह ) एहि विधा केँ नवल ज्योति देलक.
युवा गीतकार आ ग़ज़लकार अमित मिश्रक ” नव अंशु ” सम्पूर्ण रूपेण नेनाक लेल नहि लिखल गेल मुदा एहि महक बहुत रास पद्य बाल मोन केँ छुबैत अछि , हिनक दोसर प्रकाशन हेतु तैयार पद्य संकलन ” अंशु बनि पसरि जायब ” बाल मोनक युगांतकारी काव्य प्रमाणित होयत. महिला साहित्यकार मे डॉ नीता झाक ” बिलाइ मौसी ” उल्लेखनीय बाल कथा संग्रह थिक जाहि मे चित्रात्मक लयक संग खांटी मैथिली मे बाल कथा लिखल गेल अछि .दोसर महिला साहित्यकार ज्योति झा चौधरी क देवीजी ( बालकथा संग्रह ) सर्वकालीन बाल साहित्य मे अपन विशेष स्थान राखत. शोधात्मक साहित्य मे बाल विषयक निबंध हेतु साहित्यकार डॉ दमन कुमार झा क नाम सेहो उल्लेखनीय अछि .युवा साहित्यकार जगदा नन्द झा मनु क ” चोनहाँ ‘ एकटा बाल लघु उपन्यास अछि.
भारतीय भाषा साहित्य मे बाल साहित्य केँ प्रोत्साहन आ विकासक लेल साहित्य अकादेमी ” बाल साहित्य पुरस्कार ” आरम्भ कयलक . तारानन्द वियोगी क ” ई भेंटल त’ की भेंटल ” कर्नल मायानाथ झा क “जकर नारी चतुर होय ” मुरलीधर झाक “पिलपिलहा गाछ” आ धीरेन्द्र कुमार झाक ” हमरा बिच विज्ञान” उल्लेखनीय पोथी जे बाल साहित्य अकादेमी पुरस्कार सँ सम्मानित भेल अछि. जगदीश प्रसाद मंडल केर” तरेगन ” ज्ञानवर्धक बहुद्देशीय, नीतिपरक कृति मानल जा सकैछ , ओना एकरा नेना लेल त’ पूर्णतः त’ उपयुक्त नहि मानल जाए मुदा किशोर वर्गक लेल श्रेष्ठ प्रेरक प्रसंग सँ भरल ई पोथी वतर्मान दशकक चर्चित नीतिकला थिक. विदेह शिशु उत्सव बाल साहित्यक समग्र विधाक अमूल्य कृति थिक जाहि मे डॉ रमण झा , डॉ शेफालिका वर्मा , डॉ नरेश कुमार विकल , रमा कान्त राय रमा , सदरे आलम गौहर , जगदीश प्रसाद मंडल , गंगेश गुंजन आ दमन कुमार झा सन स्थापित रचनाकारक संग-संग बालिका-कवयित्री संस्कृति वर्मा क रचना प्रकाशित भेल छन्हि .
मैथिली बाल साहित्य मे मुक्तक काव्यक अपन विशेष महत्व अछि . आरसी प्रसाद सिंह रचित अधिकार आ बाजि गेल रणडंक , चन्द्रभानु सिंहक कोइली , इलारानी सिंहक शिशु कलकत्ता , फजलुर रहमान हासमी कृत हे भाय , मनबोधक कृष्ण जन्मक एकगोट प्रसंग शिशु , सीताराम झाक परिचय पुंज , गोपाल जी झा गोपेशक नीतिकाव्य समय रूपी दर्पण मे , मायानन्द मिश्रक नवका पीढ़ीक विद्रोह , विद्यानाथ झा विदित क वन्दना , कालीकान्त झा बूच क नेना गीत, पोताक अट्ठहास , दीनक नेना, गय खुशबू गय नानी , मुन्ना कक्का सासुर चलला, रविन्द्र नाथ ठाकुरक खाट आ अर्र बकरी घास खो , क संग संग कवि मैथिली पुत्रप्रदीप क देवी वन्दना नेना क लेल प्रियगर गीति-काव्य रहल अछि जकरा सर्वकालिक साहित्यिक मान्यता देल जा सकैछ .
वर्तमान पिरहीक क्रियाशील कवि आ कवयित्री गण मे राजदेव मंडल क मुनियाँ क चिंता आ कथीक गाछ , गजेन्द्र ठाकुरक वरद करैए दाओंन ने यौ , मिथिलेश कुमार झाक बापक रोपल गाछ सिनुरिया, महाकांत ठाकुरक खगता भगत सिंहक , जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिलक बाल गीत डॉ अशोक अविचल रचित नेना , आमक गाछ आ लेलही तोरय चलल साग , डॉ शंकर देव झा क धरती आ अकाश बिच संवाद आ कोइली , पंकज कुमार झाक माय गे माय , ज्योति झा चौधरी क बचपन , दलमा आ एकटा भीजल बगरा, जगदीश प्रसाद मंडल क सुनू बौआ यौ सुनू नूनू औ आ पिता पुत्र संवाद , डॉ नरेश कुमार विकल रचित बाल गीत आ सुनू बौआ मोर , रमा कान्त राय रमाक उल्लूक शिकारी , चंद्रशेखर कामतिक भात छै नाम-नाम , शांतिलक्ष्मी चौधरी , राजीव रंजन मिश्र , आशीष अनचिन्हार , जगता नन्द झा मनु , अमित मिश्र , कुंदन कुमार कर्ण आदि वर्तमान पीढ़ीक ग़ज़लकारक बाल ग़ज़ल , शांति लक्ष्मी चौधरी क वरखा रानी आ कुम्हर, डॉ जया वर्माक बेटी , शंभूनाथ झा क न्यूटनक सिद्धांत आ पाकल आम , राजेश मोहन झा गुंजन क साओन कुमार आ चुट्टी, अमित मिश्रक बाल रुबाई , मुन्नी कामतक जरैत इजोत, इरा मल्लिक रचित छम -छम बरखा आ माँ, डॉ शशिधर कुमार विदेह रचित हम फूल बनब हम काँट बनब , अनमोल झाक अपन गाम आ मामाक गाम , नवीन कुमार आशाक हिंगलू भाय यौ टिंगलू भाय , मनोज कुमार मण्डलक खेल , दुर्गा नन्द मण्डलक हम हिन्दुस्तानी छी , चन्दन कुमार झा रचित हमहूँ पढ़बै आब उल्लेखनीय बाल मुक्तक काव्य मानल जा सकैछ.
बाल मुक्तक कथा मे अनमोल झाक भंडाफोड़ , शेफालिका वर्माक आनक बड़ाई, सावरमती आश्रम , मूर्ख राजा आ ओकर बेटा , अनिल मल्लिक दादीक गीत , वृखेश चन्द्र लाल रचित गोलबा जगदीश चन्द्र मंडल रचित बुढ़िया दादी , गजेन्द्र ठाकुर रचित तरहरि मे परलोक , दमन कुमार झा रचित हीरा मोती आ काली कांत झा बूच रचित धर्म- शास्त्राचार्य आदि उल्लेखनीय अछि. वर्तमान समय मे सभ्यताक भूमंडलीकरण सँ किछु भाषाक अस्तित्व संकट संकट मे पड़ि गेल अछि. हमरा सभ केँ एहि दिशा मे ध्यान देब’ परत .नवका पीढ़ी मे मातृभाषाक प्रति संवेदनशीलता जगाब’ लेल बाल साहित्य मे बीजगणितीय वृद्धि आवश्यक अछि
हमारा सभक भाषाक संग ई विडम्बना रहल जे प्रत्यक्ष रूपेण बाल साहित्य केँ ओछ विषय मानल जाएत अछि , एहि तरहक मानसिकता राख’ बला लोकक लेल संकेतन जे अंगरेजी साहित्य मे सभ सँ जनप्रिय कविता रहल ट्विंकल ट्विंकल लिट्ल स्टार बाल पद्य रहल ओहि तरहेँ मैथिली मे सभ सँ बेसी लोकप्रिय गीत बाल गीते रहल. आब प्रश्न उठैत अछि जे बाल साहित्यक रचना करैत काल कोन बालकक रूप मष्तिष्क मे केंद्रित कएल जाए ? गामक अशिक्षित परिवारक नेना सँ ल’ क’ प्रवासी मैथिल नेनाक मध्य तारतम्य स्थापित करबाक लेल सभ तरहक बाल साहित्य प्रासंगिक अछि ..ओना एहि दिशा मे सक्रियता पहिनहि सँ अछि ..
“माय गे माय तोँ हमरा बंदूक मंगा दे
तलवार मँगा दे
की हम त’ माँ सिपाही हेबौ .”..
देशकालक गीतक संग संग सामाजिक विषमताक गीत सेहो अनिवार्य होईछ. डॉ ब्रज किशोर वर्मा मणिपद्म बहुत बरख पूर्वहिं नेना मे काटरक प्रति सहज आ सजग लक्ष्मण रखा खींचबाक प्रयास कएने छथि…
राम छू रहमान छू
गीता आर कुरान छू
मोल बिकेबें नहि बजार मे
पहिने बौआ कान छू ..
एहि प्रकारक पद एहि भ्रम केँ दूर करैत अछि जे बाल साहित्य मे बिम्बक प्रधानता नहि होइछ ..ओना बिम्ब एहेन होयबाक चाही जे सहज हुअए जेना
युवा कवि चन्दन कुमार झाक कविताक किछु पाँति ,,,,,
झमझम बरसै छै बून्नी
छै नाचि रहल गरचून्नी
सुनिक बेंगक टिटकारी
फँसलीह कबई कुमारी
बगुला टकध्यान लगौने
बैसल छल आस धरौने
बुझू भेलै जबारी ओकरा
भरि पोखे पेलकै टेंगरा
एक दिश चन्दन गामक नेनाक ध्यान राखि कविता लिखैत छथि त’ दोसर दिश शहरी जीवन मे रमल बालक मनोदशा :
कंप्यूटर बैसल टेबुलपर
सोचि रहल छै जोड़-घटाओ ,
गुणा-भाग केर माथा-पच्ची
झटपटमे कोना सोझराओ ..
अमित मिश्र अपन कविता मे नेनपन सं मनुक्खक अलख जगयबाक उद्घोष करैत छथि
तूँ मनुख बन
डर नै तोरा पछारि सकौ
हिया नै तोहर हारि सकौ
जीत होउ, ने होउ पतन
तूँ मनुख बन, तूँ मनुख बन
सामाजिक विषमताक हिल्कोरि दिशि मैथिली बाल साहित्य पहिनहि सँ सजग अछि एकर एकटा रूप कवि काली कांत झा बूच क काव्य ” दीनक नेना शीर्षक काव्यमे भेंटैछ
कोरा मे तोरा सुताबय छौ बिनिया
जल्दी सँ अबहीं रौ नुनूक निनिया
तोहर उपास हमरो लजबै छौ
देखहीं रौ बौआ ई कौआ बजै छौ
सुनही रौ तोरे कुचरि सुनबै छौ …
एकटा आर स्थापित पुरान आ चर्चित रचनाकार पंडित गोविन्द झा कहैत छथि
ठोहि पारि क’ चिन्नी कानय
हा हमरा कुकुरो नहि मानय
खाजा मूंगबा नोर चुआबै
लै छै किओ नहि हम्मर नाम
पाकल आम पाकल आम
खो रौ बौआ पाकल आम ……( पंडित गोविन्द झा )
चर्चित गीतकार श्री सियाराम झा सरस जी बालक संग संग जुआन होइत सन्ततिक जागरण हेतु बहुत रास गीत लिखने छथि ….हुनक “जंगल में मंगल’ गीत जीवनक आयाम मे नवल गतिक संवाहक मानल जाय …
आउ थोड़े काल पान फूल बतिआइ छी
जनअरण्य छोड़ि कनेक खगमृग लग जाइ छी
जेना जेना जन संकुल बाढ़ि जकाँ पसरै अय
तेना तेना शांतिक कर्पूर सुरभि ससरै अय
जते शांति जाप’ तते सौमनस्य फ़सरै अय
सभटा सम्बन्ध स्वार्थ लस्सा मे लसड़ै अय
औल केलक हौल काव्यगंगा नहाई छी…(सियाराम झा सरस )
हिनक एकटा आर बाल साहित्यिक कविता “महाकाल गीता ‘ विचारमूलक महत्त केँ नीक जकाँ गहने अछि…….
इएह ले फुर्र द’ उड़ि गेल समय चिड़ैया
महल एकटा एक नापकेर
साठि कोठलिया
सभ कोठली मे साठि साठि
टा अलिया मलिया
चौबिस रानीक एक्कहि राजा
सेहो पड़ैया…………………( सियाराम झा सरस )
एकटा आर बालपद्य मे सरसजीक लेखनी बालमनोविज्ञान केँ गहिया क’ पकड़ि लैत अछि …..
सूर्य सुपुत्री चानो सँ बढ़ि
ई धरती अछि चिक्कन चुनमुन
अगबे आगि ने अगबे पाथर
उक्का पतङ ने कुनमुन कुनमुन …( सियाराम झा सरस )
विज्ञानक शिक्षक शम्भुनाथ झा न्यूटन क गतिक नियम मैथिली गीत जकाँ गबैत छथि…
क्रिया प्रतिक्रिया संग-संग आबय
अपन प्रभाव विपरीत जमाबय
एहि सँ चलय अछि वायुयान
ई भेल न्यूटन केर तीजै सिद्धांत .
0चंद्रशेखर कामति सन आशु गीतकार दुर्गापूजा मे मेला देख’ लेल टकाक आश धेने गरीबक नेना सभक साधन विहीन पिताक व्यथा कें गीत बना क’ गबैत छथि ..
टुन्ना गैंग पसारै यै
मुन्ना दांत चियारै यै
गुड्डू टिंकू बबलू सब्लू
मुइलो मोंछ उखारै यै.
आब की कहब भाय
हुरपेट्टे लगैए
बाजय छी कोना ?
एहि प्रकारक बाल साहित्यक मैथिली मे खगता नहि, आवश्यकता अछि जे एकर व्यापक प्रचार प्रसार रचना सँ बेसी मायक भाषाक संग आपकता राखि कएल जाए.
निश्चित रूपेँ एहि विधा केँ सोनक समान इजोत भेंटत . महाकवि विद्यापति , अयाची , उगना , गोनू झा , डाक , राजा सलहेस,बहुरा गोढ़िन -नटुआ दलाल सन मैथिलक
जनगाथा जनभाषा मे बाल वर्ग केँ अपन माटिक सुगंध प्रदान करत. वर्त्तमान वैज्ञानिक युगक नवल शोध मैथिली मे उपलब्ध हुअए एहि लेल एहि लेल बाल मोन पर मातृभाषाक राज आवश्यक अछि
शिव कुमार झा टिल्लू
ग्राम + पोस्ट : करियन , जिला समस्तीपुर ( बिहार )
सम्प्रति : शिव कुमार झा जे . एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड , फेयरडील काम्प्लेक्स (३ फ्लोर ) , मैन रोड बिस्टुपुर जमशेदपुर : ८३१००१ फ़ोन नो : ०९२०४०५८४०३ EMAIL :
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