नैन जूड़ाय छल
मन जूड़ाय छल
जूड़ा जाइत छल चानि
कोना जियायब
अपन संस्कृति
पीबा लेल नहि पानि
गाछक जड़ि मे
पानि पटै छल
तुलसी चौरा घैल
कीचेन गार्डेन
बनि रहलै आब
गमला फैशन गेल चैल
धूरा माँटि कोना
कय लागत
गाड़ियो एसी भेल
कादो लेपब सपना भेलै
केस मोकदमा जेल
होइछल शिकार
पहिने खड़िया के
दौरय छल
गामक गाम
उपटल जंगल
गाछी विरछी
के चुबबै आब घाम
बसिया बड़ी
भात चलै छल
आमक चटनी संग
से फ्रिजक बसिया
खाइत खाइत लोक
भय गेल अछि तंग
अजुका दिन मे
पहिने होइ छल
झाड़ू बाढ़नि के विश्राम
अखन टाइल्स पर
जँ पोछा नहि लागय
बुझू विधाता बाम
पर्यावर्णक संरक्षण हित
अछि ई पाबनि चलल
मणिकांतक अछि
एक निहोरा
सदा रहय ई बनल ।।
मणिकांत झा, दरभंगा