सुपौलक खादी भंडार बनल सरकारी उपेक्षाक शिकार

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    सुपौल, मिथिला मिरर-निशांत झा: सुपौल बजारक खादी भंडार जे अप्पन अतित सं गौरवन्वित रहल अछि, मुदा आय अस्तित्वक लेल तरसि रहल अछि। बिरौल गामक स्वतंत्रता सेनानी चंदेश्वर प्रसाद सिंह पुरान याद के ताजा करैत कहलनि जे, खादी भंडार 70 के दशक तक अनुमंडलक लोकक मूल व्यवसायिक प्रतिष्ठान रहल छल। क्षेत्रक लोग अहि सं जुड़ि कय अप्पन परिवारक भरन पोषन करैत छल। निवर्तमान समय मे उपेझाक शिकार बनल अछि।

    स्वतंत्रता आन्दोलन मे अहि खादी भंडारक भूमिका अनोखी रहल अछि। ओहि समय सं एखन धरि सैकड़ो नेता खादी भंडार आबि चुकल छथि, बहुतो एकर काया कल्पक लेल बहुत रास घोषना सेहो केलनि मुदा समय के संग सब बिसरि गेलाह। बिहार सरकारक नगर विकाश मंत्री महेश्वर हजारी पिछला साल झेत्र भ्रमन के दौरान उक्त खादी भंडार के विकाशक लेल बहुतो घोषना केलनि। परंतु ओहो बिसरि गेलाह।

    स्रवतंत्रता सेनानी कहलनि जे, वर्तमान समय मे राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार खादी के नजरि अंदाज कय रहल अछि। परंतु सरकार के नहि बिसरबाक चाही कि महात्मा गाँधी अंग्रेजक दासता सं मुक्तीक चर्खा एवं खादीक अस्त्र बनेबाक आह्वान के आत्मसात कय स्वावलम्बीत भय चर्खा सं स्वं वस्त्र बनने छल। परिणाम मे मैनचेस्टर आ लंकासायरक उद्योग धारासाई भय गेल छल।

    आय बेहद दुखक विषय अछि जे, आय निवर्तमान सरकार अहि स्वावलम्बनक प्रतीक खादी के नजरि अंदाज कय रहल अछि, मुदा बहुत जल्दिये समय परिवर्तित होयत।