फेर एलैया वोटक मौसम
गामक गामक हरान
जीतय खातिर लगा देने सब
अप्पन अप्पन प्राण
से लगाब’ ने कोना
पाँच साल चानी सोना
मुखिया परिषद समिति संग
फानि रहल सरपंच
वार्डो मेंबर पाछा नहि थिक
जोड़ लगाबय पंच
जनता के जखन जे से हो
नेता के हैत सिंहासन
अखन उनटा हवा बहल छै
दै छै सब आश्वासन
झूठ साँच सब बाजि भूकि
रिझबै छथि वोटर के
पर्चा पोस्टर बैनर संगे
जड़बथि तेल मोटर के
नेता कम नेता पति बेसी
कैने छथि अनघोल
आरक्षण धरि खूब सिखौलक
मौगी मनसा केर मोल
मतदाता के अखने चलती
बुझि रहलै से लोक
सब के कहै अहीं के हम छी
रहू अहाँ निधोक
हाँ दारू बंदी भ’ गेला सँ
नेता के भेल तबाही
के ककरा पर मोहर मारत
से के देतैक गवाही
ओहि चुनाव मे एकरे बलें
जीतल छलाह मुखिया
लाठी हाथे बूथ छपलकनि
सुटबा ढोरबा दुखिया
एहि बेर से सब कोना कय चलतै
सब बूथ रहत पुलीस
कनिको एमहर ओमहर करथिन
तुरत उतारत खीस
कूकूर जकाँ मूँह सूंघय लेल
बनलै आब मशीन
एक्को बुन्द जँ लेने रहबै
बूझू बाम भेल दिन
पंचायती राजक सपना
हेतय आब साकार
बहुत दिवस धरि मणि घुरिएलिए
आब ने पायब पार ।।
– मणिकांत झा, दरभंगा ।