दिल्ली,मिथिला मिरर-सम्पादकीयः मिथिलाक इतिहास आ भूगोलक विषय में शायद दुनिया निक जेना जानैत अछि। सभ्यता आ संस्कृति मिथिला कें विरासत में भेटल अहि। वर्तमान में मैथिल अपन अलग पहिचानक लेल लड़ाई लडि़ रहल छथि। अलग मिथिला राज्यक मांगक लेल आंदोलन आब शनैः-शनैः सड़क सं संसद धरि देखल आ सुनल जा रहल अछि। मुदा मिथिला राज्यक मांगक बादो आई मैथिली कें जतय हेवाक चाहि ओ नहि अछि। नइ मैथिली भाषाक ओ पहचान भय सकल आ नइ मैथिली काला वा कि साहित्य विश्व स्तर पर अपन कोनो खा़स पहिचान बनेवा में कामयाब भेल।
एहन बात नहि अछि कि हमरा ओहि ठाम कहियो पंडित, ज्ञानी आ कि विभूति लोकनिक कमी रहल। गुरू-शिष्यक परंपरा सं लय दशकर्म में हमरा लोकनि सदिखन अलग पहचान रखलौ। मुदा समयक संग हमरा लोकनि अपना-आप कें प्रचार नहि कय सकलौ। सिर्फ प्रचारे मात्र नहि अपितु मैथिलीक प्रति बहुसंख्यक रूप में प्रवासी वा गैरप्रवासी मैथिलक उपेक्षा सेहो मैथिलक मार्ग प्रशस्त करवा में सब सं पैध अवरोधक बनल। एकटा सर्वेक मानी त मैथिली विश्वक दोसर सब सं मधुर भाषा अछि, मुदा आई मैथिलीक जे स्थिति अछि ओ अपने लोकनिक सोझा अछि।
भारतक संग नेपाल में मैथिली कें संवैधानिक भाषाक अधिकार भेटल अछि। नेपाल में मैथिली प्रति किछु गोटे समर्पित भाव सं लागल छथि मुदा भारत में अहिक बहुत पैघ कमी देखल जा रहल अछि। भारत में सेहो किछु गोटे प्रतिवद्ध रूप सं मैथिलीक उद्घार में लागल छथि, मुदा हुनका लोकनि के नित नव समस्या सं दू-चाइर होवाह पड़ैत छनि। दोसर दिस मैथिल लोकनि के मानसिकता कें सेहो बदलवाक ज़रूरत छनि। खा़स कय ओहि मैथिल समाज कें जे अपना आप के समृद्ध बुजहैत छथि। इ कहवा में कोनो अतिश्योक्ति नहि कि ओहि मध्यवर्गीय समाजक कारणें मैथिली उपेक्षित अहि।
कम सं कम ओहि समाज के सोचवाक चाहि कि मैथिली एकटा समृद्ध भाषा थिक आ अहि भाषा सं अर्थोपार्जन सेहो भय सकैत अछि। संवैधानिक भाषा हेवाक बाद सं आब भारत में किछु प्रतिवद्ध युवा मैथिल लोकनि देशक सब सं उच्च प्रतियोगिता परीक्षा अर्थात सिविल सेवा तक सेहो उतीर्ण कय मिथिला मान-सम्मान बढे़वाक लेल आगु एलथि। इ कर्तव्य ओहि मैथिलानी कें छनि जे घर में छथि आ शिक्षित छथि। कम सं कम हुनका सब कें अपन बच्चा कें अहि बातक ज्ञान देनाई आवश्यक जे मैथिली सं अहांक पहचान जुड़ल अछि, मैथिलीये सं अहाकं सभ्यता आ संस्कृति जुड़ल अछि।
इतिहास गवाह अछि की आइ धरि संपूर्ण विश्व में जे कियो महान् कहेलनि ओ सब अपन मातृ भाषाक बदौलत। चाहे ओ गुरू रविंद्र नाथ ठाकुर होइथ वा कि सेक्स पियर, जेम्स वाॅट, एडिसन, पास्क्ल, न्यूटन, ग्राहम बेल आ एहन-एहन सैकड़ों नाम। लेकिन हुनका लोकनिक संग एकटा खास बात इ छल जे हिनका लोकनिक लेखनी आ कृत के कामयाबीक बाद हुनकर समाज हुनक कृति आ नामक मार्केटिंग कैलनि। मुदा बात जखन विद्यापतिक आवैत अछि कथित रूप सैकड़ों संस्था बाबा विद्यापतिक नाम के दोहन कय अपन आजिविका चलेवाक कार्य करैत छथि। भाषाक ज्ञान रखनाइ निक बात थिक आ जतेक भाषा सीख सकी ओ व्यक्तिक लेल ओकर पहचान के आओर प्रगाढ़ करवा में मदद करैत अछि। विश्वक सब भाषा सीखु मुदा मैथिली के इ कहि अपमानित केनाई कि इ भुच्चर आ गवारक भाषा थिक इ अधिकार बहुसंख्यक मैथिल कें के देलक ?
23 नवंबर 2013 कय ज़ी टीवीक कार्यक्रम डांस इंडिया डांसक सेट पर मशहूर भोजपुरी गायक पवन सिंहक गीत ‘जि़ला टाॅप लागेलु‘ पर एकटा प्रतिभागी नृत्य प्रस्तुत केलक जेकरा देख मोन प्रसन्न भय गेल। आइ भोजपुरी विश्वक हर जगह धमाका कय रहल अछि हर मंच पर भोजपुरिया सब शान सं भोजपुरीक लेल लड़ी रहल छथि। नइ हुनका लोकनि कें भोजपुरी बजवा में कोनो शर्म होईत छनि आ नहि ओ अपना बच्चा कें इ संदेश दैत छथि कि भोजपुरी बुरवक लोकक भाषा थिक। बस एतवे अंतर अहि मैथिल आ भोजपुरिय में। जाहि ठामक संस्कृति मैथिली सं कम समृद्ध रहितो आइ हर मंच पर जगह लय रहल अछि आ मैथिली अपन आंखि सं नोर बहेवाक लेल विवश अछि।
हम समस्त मैथिल जन सं हाथ जोडि़ विनती करैत छी जे मैथिलीक विषय में अपने लोकनिक हृदय में जे विचार अछि ओकरा त्यागी अहि सोच लय आगु बढ़ल जाउ कि मैथिली सांस्कृतिक भाषाक संग आर्थिक भाषा सेहो बनि सकैत अछि। ख़ास कय हम किछु मैथिल विभूति के आग्रह करवनि जे ओ लोकनि आओर जा़ेर-शोर सं मैथिलक प्रचार में लागौथ। मुख्य रूप सं सर्वश्री महेंद्र मलंगिया, डा. राजेंद्र विमल, धिरेंद्र प्रेमर्शी, रूपा जी, मुरली धर, सिया राम झा सरस, डा. चंद्रमणि झा, डा. भीम नाथ झा, युवा नाट्यकार आनंद कुमार झा सहित ओ नाम जे हम नहि लेलौ सब सम्मानित मैथिलजन, मैथिलीक विकासक लेल आओर जोर-शोर सं प्रयासरत्त होइथ।
ज़रूरत अछि मैथिलक सोच बदलवाक। जौं सोच में बदलाव हेतै त मैथिली विश्वक हर मंच पर अपन उपस्थिति दर्ज करवायत।