पप्पूक गीत ओ माधव-विकासक अवाज लाओत आंदोलन मे क्रांति

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    दिल्ली-मिथिला मिररः जहिना-जहिना मिथिला राज्य आंदोलन अपन नव रंग-रूप मे आबि रहल अछि ओहिना-ओहिना समाजक विभिन्न क्षेत्रक समग्र मैथिल लोकनि अपना-अपना हिसाब सं अहि आंदोलन रूपी यज्ञ मे अपन कर्तव्य रूपी शाकल्यक आहूति द रहला अछि। कोनो भी आंदोलन कें सफल बनेवा मे रंगमंच आ कलाकार लोकनिक सेहो बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहैत छैन्हि। मिथिला राज्य आंदोलन कें आओर बेसी धरगर बनेवा लेल गायक विकास झा आओर माधव राय दुनू गोटे आंदोलनक लेल गीत गाबि मिथिला राज्य आंदोलन कें आओर बेसी आक्रमक बनेवाक काज केलाह अछि।

    गीतकार आलोक रंजन पप्पू अपन कमल सं मिथिला राज्य लेल जे गीत लिखलाह अछि ओ निश्चित रूपहिं समस्त मिथिला, मैथिली सं जुड़ल व्यक्तिक शरीर मे नव क्रांतिक संचार करवा मे मिलक पाथर साबित हैव। अहि गीत कें अपन मधुर ओ क्रांतिकारी स्वर सं सजौलथि अछि मिथिलाक सुपर स्टार गायक ओ अभिनेता विकास झा। अछि सलाइ मे आगि जड़त कि बिना रगड़ने, पायब मिथिला राज्य कतहु कि बिना झगड़ने। जा धरि देह मे प्राण रहत हम लड़बे टा करबै। हमर अधिकार अछि मिथिला राज्य, हम लैये के रहबै। हमर अधिकार छी मिथिला, राज्य ल के हम रहबै। हमर अधिकार छी मिथिला राज्य, लैये क रहबै। जन्म-भूमि ई बैदेही के पाहुन बनि श्रीराम एला, कवि कोकिल विद्यापति हमर सौसे जग मे नाम केला। मीठ बोल अछि हमर मैथिली बजबे टा करबै। हमर अधिकार छी मिथिला राज्य, लैये के रहबै।
    कर्मभूमि कालिदासक ई मण्डन मिश्रक नाम जतए। लोरीक आ सल्हेसक धरती, उपजय पान मखान एतय। क से कौवा, ब से बौआ, पढ़वे टा करबै। हमर अधिकार छी मिथिला राज्य, लैये के रहबै। तपोभूमि स्वर्गो स सुन्दर, जाति पांति कें नै फूट करु। “पप्पू” के वस एक निहोरा, मैथिलजन एकजुट रहु। “विकास”क मिथिला वंदन सब कियो सुनबे टा करबै। हमर अधिकार छी मिथिला राज्य, लैये के रहबै।
    तहिना मिथिलाक सुपर हीट गायक ओ अभिनेता माधव राय अपन शब्द ओ अवाज सं मिथिला आंदोलनक लेल नव गीत गाबि समस्त आंदोलनी कें आओर बेसी उत्साहित करवाक कार्य केला अछि। अपन रचना मे माधव लिखैत छैथ। ‘मैथिली बाजब, मैथिली सुनब, मिथिले मे रहबै। त अहि बेर मिथिला नया साल मे मिथिला राज्य बनाये क छोड़बै। हमरा भाषा कें लग कोईलीक तान अछि फिका, सब सं पैघ अपन भाषा यौ, सब सं अलग तरीका। गीत गोसाउनीक लाल किला मे जाइये क गेबै त अहि बेर नया साल मे मिथिला राज्य बनाये क रहबै। जै धरती पर राम आ सीता कण-कण मे बसैयै। से भाषा सम्मानक खातिर आई तरस रलह यै। अपना माय लै खून बहेवै, सब सं हम लड़बै। अहि बेर नया साल मे मिथिला राज्य बनाये क रहबै।
    मिथिलावासी सं करी निहौरा आगु बढि़ क आबु, जाइत पाइत कें भेद हटा कें सब मैथिल कें जगाबु। चाहे रहु कोनो शहर मे मैथिली टा बजबै, त अहि बेर नया साल मे मिथिला राज्य बनाये क रहबै। गंगा कैसेट सं बनल अहि कैसेट पर माधव बहुत बेसी उत्साह सं मैथिल कें जगेवाक कार्य केलाह अछि मुदा गीत मे एक ठाम भोजपुरी भाषा आबि एकरा खांटी मैथिली हेवा सं वंचित क देलक अछि। गायक माधव राय सं मिथिलाक मिरिर विशेष आग्रह क रहल अछि जे अहि गीत मे सं ओ भोजपुरी शब्द हटा अहि गीत कें पूर्ण रूप सं मैथिली गीत बनेवा दिस कार्य करैथ।
    विकासक गीत पूर्ण रूप सं खांटी मैथिली गीत अछि आ अहि मे कतौ कोनो आन भाषाक प्रयोग नहि भेल अछि। दूनू गीत मे क्रमशः कवि सीता राम झा, सिया राम झा सरस, ओ भीमनाथ झा’क स्लोगन अहि गीत कें आओर बेसी उत्कृष्ट बनेवाक काज करैत अछि। मिथिला मिरर जखन माधव राय सं अहि संबंध मे बात केलक त हुनकर कहब छलैन्हि जे ओ भोजपुरी टोन कैसेट कंपनीक अछि आ हम ओकर अधिकार क्षेत्र मे जा कोनो हस्तक्षेप नहि क सकैत छी। आउ समस्त मैथिलजन अहि गीत कें सुनु आओर मिथिला राज्य आंदोलन कें आओर बेस प्रखर बनेवाक दिस सार्थक डेग बढ़ावी।