मधुबनी, मिथिला मिरर-पारस कुमार ठाकुर: पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव सं भारतीय संस्कृति पर मंडरा रहल खतरा सं युवा पीढ़ी के बचेबाक लेल एवं समाज मे भारतीय संस्कृतिक परिचम लहरेबाक लेल श्रीमद्भागवत कथाक आयोजन समय के आवश्यकता अछि। ई बात खजौली प्रखंडक रसीदपुर गाम स्थित नर्मदनेश्वर महादेव मंदिर परिसर मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दोसर दिन कथावाचक हृदयनाथ शास्त्री जी महराज कहलनि।
ओ कहलनि जे, कोनो भी ग्रंथक महत्व बुझलाक बाद ओकर श्रद्धा आ भक्तिक समावेश बढ़ि जाइत अछि। सात दिन भक्तिभाव स एकरा जे कोनो प्राणी सूनि लेत हुनका मनवांछित फल प्राप्त भय जायत अछि। ओ कहलनि जे, की कारण अछि जे, कियो अप्पन पुत्रक नाम रावण आ कंस नहि राखैत अछि। कियैक त ओ बुराईक प्रतीक अछि। तकर बादो बुराई के सहज रूप स अपनाओल जा रहल अछि।
शास्त्री कहलनि जे, जतय धर्मका काज होईत अछि ओतय साक्षात भगवान श्रीकृष्ण निवास करैत छथि। अहि के लेल धर्मक कार्य मे सहयोग एवं बुराई के विरोध करबाक चाही। कथा श्रवण के सुनबाक लेल पंडाल मे भक्तक भीड़ देखल गेल। अहि पुनित कार्य मे ग्रामीण प्रफुल्ल झा, नूनू झा मैथिल, सुरेंद्र झा, मन्नु झा, अभिनेश झा, विक्की झा, नीलकमल झा, गणपति झा, गुलाब झा, श्यामला देवी, अमला देवी, राष्ट्रपति पुरस्कार सं सम्मानित चांद दाय दीदी सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद छलाह।