मिथिला विभूति स्मृति समारोह – दिल्ली

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    दिल्ली,मिथिला मिरर-प्रवीण नारायण चौधरीः दिनांक ३० नवम्बर दिल्लीक फिक्की अडिटोरियम मे मिथिला विभूति स्मृति समारोह भव्यताक संग मनाओल गेल। एहि कार्यक्रमक आयोजन भारतक एक सर्वथा पुरान आ मजगुत संस्था श्अखिल भारतीय मिथिला संघश् द्वारा कैल गेल। मैथिली कार्यक्रम एतेक भव्य रूप मे आयोजनक एकटा शिखर उदाहरण एकरा कहल जा सकैत अछि। जाहि तरहक गहिर विचारधारा आ विकासवादी नीति संग कार्यक्रम केर आयोजन कैल गेल ताहि हेतु अध्यक्ष विजय चन्द्र झा व समस्त आयोजक समितिक दूरदर्शिता झलकि रहल छल। जखन कि कार्यक्रम मे मैथिलीक जे रस आ तत्त्व सामान्यतया भेटैत छैक तेकर घोर कमी बुझायल, तथापि विकासवादी परिवर्तन हेतु देखल गेल सपना मे पुरान आ पौराणिक विचारधारा तथा नीति केर प्रयोग किछु निहित व मिश्रित संदेश पठबैत प्रतीत भेल।

    कार्यक्रमक प्रमुख अतिथि भाजपा केर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, दिल्ली भाजपा केर प्रभारी एवम् राज्यसभाक माननीय सांसद प्रभात झा छलाह। संगहि मिथिला-मैथिली आन्दोलनक वरिष्ठतम् पुरोधा डा. बैद्यनाथ चैधरी बैजू, मधुबनी सँ माननीय सांसद हुकुमदेव नारायण यादव, झंझारपुर सँ माननीय सांसद विरेन्द्र कुमार चैधरी, मधेपुरा (सहरसा) सँ माननीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार डा. गंगेश गुंजन, गुवाहाटी सँ मैथिली-मिथिला केर ध्वजावाहक प्रेमकान्त चैधरी, गाँधीनगर (गुजरात) सँ डा. महादेव झा, अर्थशास्त्री एवं भारतीय अर्थ सेवा अधिकारी डा. संजीव मिश्रा, दरभंगा सँ कम्युनिस्ट पार्टी नेता तथा मैथिली-मिथिलाक वरिष्ठ सेनानी राम कुमार झा, मिथिला संस्कृतिविद् शंकर कुमार झा केर विशिष्ट आतिथ्य एवं आयोजक संस्थाक अध्यक्ष विजय चन्द्र झा केर अध्यक्षता मे संपन्न एहि भव्य कार्यक्रम केर उद्घाटन सत्र संपन्न भेल। तहिना मैथिली गीत-संगीत केर शिखरपुरुष पंडित हरिनाथ झा, मिथिलाक लता स्वरकोकिला रंजना झा एवं सुप्रसिद्ध सिने कलाकार सह गायिका अंजु झा उर्फ रंगीली भौजी द्वारा विद्यापति सांगीतिक संध्या सँ कार्यक्रमक दोसर आ अन्तिम सत्र संपन्न कैल गेल। सांगीतिक संध्यामे विशिष्ट उपस्थिति सुप्रसिद्ध कत्थक नर्तकी नलिनी चैधरीक छल।
    उद्घाटन सत्र मे उपरोक्त मंचस्थ वक्ता लोकनि द्वारा मैथिली-मिथिलाक चर्चा कम मुदा अखिल भारतीय मिथिला संघक विशाल इतिहास पर बेसी केन्द्रित देखायल। युवा शक्ति केँ पूर्ण रूप मे नकारैत काल्हिक कार्यक्रमक प्रथम सत्र अपन पीठ – अपनहि सँ ठोकू, मुन्डे-मुन्डे मतिर्भिन्नाः व श्मैथिल अहंकार केर चरम प्रदर्शन जेकाँ लागल। एकत्रित अपार भीड़ विभोर छलाह, विचारमंथन सँ हृष्ट-पुष्ट मुदा मैथिली लोकगीतक अकाल सँ प्यासल दर्शक लिलोह आ हताश बुझेलाह। एक बेर तऽ एना लागल जे कविता वाचनक कोनो कार्यक्रम नहियो रहैत राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी लोकनि स्वयं ई खानापूर्ति कय देता – एहि लेल पूर्व सांसद महाबल मिश्राक तुक्का, सांसद पप्पू यादव केर हिन्दी भाषण बीच मैथिलीक फकरा आ मुख्य अतिथि प्रभात झा द्वारा पप्पुगान कवितात्मक तथा कव्वाली शैली मे युगलबंदीक बेजोड प्रस्तुति केलक।
    सांसद हुकुमदेव नारायण यादव द्वारा राखल बात जरुर मैथिल कें अपन जैड मजगुती हेतु खेत कें जोति-कोरि समतल बनाय कतहु पाइन खसेला सँ संपूर्ण खेत एक रंग पटेबाक उद्धरण संग अत्यन्त प्रेरणास्पद छल। मैथिली केर प्रयोग जँ हम सब अपनहि नहि करी, हरेक कामकाज लेल संवैधानिक भाषा मैथिलीक प्रयोग नहि करब तऽ भाषणे टा मे मैथिली बचेबाक ढोंग सँ कि होयत – एक महत्त्वपूर्ण चुनौती भरल संदेश देलनि सांसद यादव। अर्थशास्त्री डा. संजीव मिश्रा द्वारा देल गेल संबोधन मे मैथिली व मिथिलाक सनातन संरक्षण हेतु बाजार बनेबाक अत्यन्त प्रेरक संदेश छल। जहिना मधुबनी पेन्टिंग आइ संसार मे मिथिलाक पताका फहरा रहल अछि, तहिना आरो-आरो विन्दु पर मैथिली केर ब्रान्डिंग जरुरी अछि डा. मिश्रा कहलनि। मुख्य अतिथि द्वारा अत्यन्त भावुक संदेश देल गेल जे जाति-पाति सँ ऊपर उठि अपन भाषा व संस्कृति संग आत्मसम्मानक अनुभूति कयला सँ मिथिलाक असल विकास होयत।
    कार्यक्रम मे मंच ओ दर्शक बीच सेहो युगलबंदी होइत तखन नजरि पडल जखन मिथिला-मैथिली आन्दोलनक वरिष्ठतम अभियंता डा. बैद्यनाथ चैधरी बैजू कें मंच पर आसन ग्रहण हेतु उद्घोषणा एवं सम्मानक घोषणा कैल गेल। एहि उद्घोषणाकक तुरन्त बाद दर्शक दीर्घा सँ युवा मैथिलक समूह मिथिला राज्य निर्माण सेनाक सेनानी लोकनि द्वारा मिथिला राज्य जिन्दाबाद, बैजू बाबू जिन्दाबाद केर नारा लगायल गेल। एहि तरहक वातावरण सँ खौंझाइत सभा-अध्यक्ष विजय चन्द्र झा द्वारा आपत्ति जनायल गेल। ओ अपन उद्गार प्रकट करैत कहलनि जे कोनो जिन्दाबाद या मुर्दाबाद एहि मंचक परंपरा नहि रहल, संस्थाक नीति राज्य निर्माण प्रति अलग अछि, जाहि विचारधारा सँ डा. बैद्यनाथ चैधरी बैजू व मिथिला राज्य अभियानी लोकनि कें बेर-बेर अवगत करायल जा चुकल अछि। जाबत मिथिलाक समस्त जनसमुदाय द्वारा एहि दिशा मे स्वीकृति नहि भेटत, ताबत धरि एहि संस्थाक आयोजन मे मिथिला राज्य पर चर्चा नहि कैल जायत। मिथिलाक सबसँ बेसी गरिमामयी संस्थाक रूप मे रहल अखिल भारतीय मिथिला संघ केर मंच सब दिन सर्वपक्षीय सम्मेलन हेतु प्रसिद्ध रहल अछि। एहि मंच पर किनको लेल जिन्दाबाद वा मुर्दाबाद करबाक परंपरा नहि रहल अछि – सेहो स्पष्ट करैत अध्यक्ष विजय चन्द्र झा विकास हेतु प्रतिबद्धताक नारा मात्र संस्थाक उद्देश्य रहल से कहलनि। कतेको रास प्रधानमंत्री, कतेको रास उपराष्ट्रपति, विभिन्न दलक नेता आ मंत्री केर साझा स्थल आ कतेको दशक सँ मैथिली तथा मिथिला लेल कैल गेल अनेको महत्त्वपूर्ण कार्य मात्र लक्ष्य अछि जाहि दिशा मे सब कियो एकजुट बनबाक धारणा राखल गेल।
    सांसद पप्पू यादव द्वारा कैल गेल संबोधन मे मात्र फोटो टा मे मिथिलाक सब विभूति केँ समेटब मुदा यथार्थ मे आइयो मिथिला मे जातीय विभेद चरम पर रहबाक कठोर टिप्पणी कैल गेल। पूर्ण समावेशिक समाजक निर्माणक दिशा मे कोनो उपलब्धिमूलक कार्य नहि करब मिथिला आन्दोलनक सब सँ पैघ कमजोरी रहबाक बात स्पष्ट कैल गेल। ओ समाजक अगुआवर्ग आ ब्रह्म केँ जाननिहार ब्राह्मणक बाहुल्यता मात्र रहबाक सच पर आंगूर उठबैत चेतौनी भरल संदेश देलनि जे कथनी एवं करनी मे एकता सँ मिथिलाक पिछड़ापण जरुर दूर होयत। मिथिला राज्यक सपना आम जनवर्गीय सहभागिता सँ संभव होयत अन्यथा ई सपने रहि जायत।
    दर्शक-दीर्घा मे एक मिश्रित वातावरणक सृजना भेल आ बुद्धिजीवी तर्क करैत देखेलाह जे स्वयं सांसद आ सामाजिक नेतृत्वकर्ता रहैत – मिथिलाक धरतीपुत्र होयबाक आत्मगौरव सँ वंचित जे अपनहि भाषा मे नहि बाजय ओ स्वयं बेईमान होयबाक संदेश दैत अछिय मंच कें पूर्ण रूप मे राजनीतिक ओ जातिवादी विचारधारा सँ मात्र अपन निजी स्वार्थपूर्ति आ सत्तासुख लेल आइयो पिछड़ल कें पिछड़ल रखैत अछि। पप्पु यादवक बेवाक टिप्पणी जे उपस्थित दर्शक बीच 85 प्रतिशत ब्राह्मण मात्र रहबाक सच्चाई मिथिलामे विद्यमान वर्तमान सामाजिक समरसताक असल रूप प्रदर्शित करैत अछि। एकर कारण कतहु न कतहु पैछला 200-300 वर्षक सामंतवादी युगक जहर अछि जे समाजक हर वर्ग बीच एकता नहि होमय दय रहल अछि। तर्क चलि रहल छल जे एहि बीमारी वा कमजोरी कें दूर करबाक भार पुनः एक नेतृत्वकर्ता अपना पर नहि लय ओकर दोषारोपण ब्राह्मणवर्ग पर किऐक दैत छथि, कि ई काज एक राजनेता व मिथिलाक धरतीपुत्रक रूप मे पप्पु यादव सहित पिछडा समाजक नेतृत्वकर्ताक अपनो नहि जे हर वर्ग कें एकताक सूत्र मे बान्हथि? कम सऽ कम पप्पुजी जिनका मे लोक मिथिला राज्यक मुख्यमंत्री होयबाक दर्शन करैत अछि, जिनक विद्वताक चर्चा कतेको उच्चवर्गीय नेता सँ बहुत ऊपर गानल आ मानल जाइछ, तिनकर राजधर्म मे एहि तरहक जातिवादी कूचर्चा कतहु सँ शोभा नहि पबैत अछि। ओ स्वयं सशंकित छथि तऽ समाज कें एकताक सूत्र मे केना बान्हल जा सकत? प्रश्न गंभीर अछि, मिथिला पुनर्निर्माणक एहि महान शत्रु केँ दमन जरुरी अछि। अपनहि नेता अनकर हाथे जातिवादिताक दमनपूर्ण नीति मे बिकाइत अछि, बिहार प्रति गर्व होइत छैक, मिथिला प्रति ओ स्वयं निराश अछि। एतेक तक जे पप्पूजी द्वारा देल गेल हिन्दी मे भाषण सँ कतेको लोक हूटिंग तक केलनि जेकरा अन्त मे अध्यक्ष विजय चन्द्र झा द्वारा हुनकर वात्सल्यप्रेमक भावसँ आदेश दैत संसदभवन मे मैथिली बाजि दु-भषिया सबहक नौकरी बचेबाक बात कहि सान्त्वना देल गेल।
    मंच पर अफरातफरी सँ गंभीर दर्शक दीर्घा समारोह सँ बेसी महत्त्वपूर्ण कार्य करैत देखेलाह। आपसी घमर्थन आ बहस मे बड़ पैघ मर्म आबि रहल छल। जरुरत तऽ एहि बातक छैक जे ब्राह्मण केँ एकाधिकार वा मिथिला निर्माणक पेटेन्ट नहि सौंपि, मैथिली भाषा व मिथिला संस्कृति लेल स्वयं सर्जक बनि फेर सँ लोरिक, सलहेश, दीनाभद्री आदि जनवर्गीय लोकदेवता समान रक्षक बनैथ। जिनकर जे मातृभूमि अछि ओ वगैर कोनो जातीयताक भावना मात्र सच्चा मातृभूमि पुत्र बनि मिथिला निर्माण लेल सोचब तखन सनातनकालीन मिथिलाक रक्षा हेबे टा करतैक। मिथिला पुनर्निर्माणक प्रतिबद्धता प्रकट कैल जाय, एकर लोक-संस्कृतिक रक्षा कैल जाय, एकर सर्वकालीन विकास लेल पूर्वाधार निर्माणक बात हो, गैर-ब्राह्मणवर्ग कें मिथिला-मैथिली पर जन्मसिद्ध अधिकार होयबाक स्वयंसिद्ध तथ्य प्रकट कैल जाय – एहि समस्त बातक वातावरण बनयबाक लेल मंच पर मिथिलाक पंच पाण्डव सांसदक संग जानकीरूपी रंजिता रंजन केर जिम्मेवारी राम कुमार झा द्वारा देल गेल।
    मंच उद्घोषक एवं मिथिलाक एक महान सृजनशील स्रष्टा किसलय कृष्णक जतेक प्रशंसा कैल जाय ओ कम होयत कारण एहि समारोहक असल मर्म हुनकर सुन्दर उद्घोषण द्वारा बेर-बेर सबकें ललकारैत रहल छल। अधिकारवादी संग नेतृत्वकर्ता पर जिम्मेवारी केँ आत्मसात करबाक उद्बोधन हुनक उद्घोषणक विशेषता छल। जखन कि आयोजन पक्ष अपन निश्चित विचारधारा सँ सीमित परिस्थिति बनबैत रहलाह तथापि कुशल उद्घोषण सँ किसलय कृष्ण नहि मात्र मंचासीन विभूति केँ परंच उपस्थित दर्शक व विभिन्न ठाम सँ आयल अन्य-अन्य विभूति लोकनि केँ सेहो तत्परता संग मिथिला पुनर्निर्माण प्रति जागृति पयबाक आह्वान कैल गेल। उद्घोषणाक क्रममे क्रमशः डा. राजेन्द्र विमल, डा. मनोरंजन झा, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, अजित आजाद आ स्वयंरचित विभिन्न कवितांश राखि कार्यक्रम मे उपस्थित डा. देव शंकर नवीन, अक्षय कुमार चैधरी, प्रो. अमरेन्द्र झा, विमलकान्त झा, अमरनाथ झा, प्रवीण नारायण चैधरी, मिथिला मिरर’क संपादक ललित नारायण झा, कौशल कुमार, राहुल कुमार राय, संजय झा नागदह, विमल जी मिश्र, प्रो. विद्यानन्द मिश्र, कामनानन्द मिश्र आदिक योगदानक चर्चाक संग-संग उपस्थिति हेतु स्वागत-अभिनन्दन-उद्गार प्रकट कैल गेल।
    डा. बैद्यनाथ चैधरी बैजु एहि कार्यक्रमक किछु मिश्रित प्रतिक्रियावादी माहौल सँ किछु आहत बुझेला। ओ अपन संछिप्त संबोधन मे मैथिली साहित्य ओ भाषा प्रति अगाध-अविस्मरणीय योगदान देनिहार 5 गोट ठाकुरक नामधारी कें मोन पारलनि। ज्योतिरिश्वर ठाकुर, विद्यापति ठाकुर, कर्पुरी ठाकुर, ब्रज मोहन ठाकुर तथा डा. सी. पी. ठाकुर केर नाम लैत ओ समस्त दर्शक सँ समर्पित भावना सँ अपन पहिचान प्रति सतर्क रहबाक आह्वान केलनि। संगहि अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा निर्धारित सब सीमा-देवाल सँ ऊपर उठि सुप्रसिद्ध मैथिली गीतकार सियाराम झा सरसक नारा एकमात्र संकल्प ध्यान मे – माँ मैथिली संविधान मे कहैत वर्तमान समाधान हेतु संघर्षक नारा भीख नहि अधिकार चाही – हमरा मिथिला राज्य चाही केर गर्जना कयलनि। एहि घोषणा सँ आह्लादित प्रेक्षागृह करतलध्वनि सँ गुंजायमान भऽ गेल।
    ज्ञात हो जे एहि समारोह द्वारा परंपरानुरूप एहि बेर 4 गोट स्रष्टा-अभियानी लोकनि कें मिथिला विभूति सम्मान सँ सम्मानित कैल गेल, जाहि मे श्री प्रेम कान्त चैधरी (गुवाहाटी), डा. महादेव झा (गाँधीनगर), श्री सुधिकान्त झा (नई दिल्ली) आ श्री प्रकाश झा (मैलोरंग) छथि। एहि महा-समारोहक सफलतम आयोजन हेतु दिन-राति एक कयनिहार डा. विद्यानन्द ठाकुर, ऋषि कुमार झा मलंगिया, प्रकाश झा, शंभुनाथ मिश्र, डा. ममता ठाकुर, राधानाथ झा, रौशन कुमार झा, संजीब झा व संस्थाक समस्त सदस्यगण सहित मैलोरंग टीम सक्रिय छलाह।
    सांगीतिक संध्याक सत्र मे कत्थक नर्तकी नलिनी चैधरी जोशी द्वारा विद्यापति गीत पर भाव नृत्यक प्रस्तुति सँ भेल। तदोपरान्त हरिनाथ झा, रंजना झा व अंजू झा केर सुमधुर विद्यापति गीत केर प्रस्तुति कैल गेल। एहि सत्रक संचालन मैथिली संगीत व मिथिला संस्कृतिक विशिष्ट जानकार विद्वान् शंकर कुमार झा द्वारा कैल गेल। कार्यक्रमक कमजोरी कही आ कि क्रान्तिकारी डेग, गीत-संगीतक प्रस्तुति बीच विद्वानक लंबा उद्बोधन आ मात्र विद्यापति-गीतक प्रस्तुति सँ आयोजित सांगीतिक संध्यामे लोक-उत्साह केर प्रत्यक्ष हत्या होइत प्रतीत भेल। स्वयं विद्यापतिक अवधारणा विरुद्ध जनवाणी यानि मैथिली लोक-गीतक एकहु टा प्रस्तुति नहि करबाक आयोजन-नीति सँ एहि सत्रक दुर्दशा भेल जेना लागल। सांगीतिक संध्या मे गीत तथा संचालन बीच सुर एवं तालक कमी सँ दर्शक-दीर्घा मे समस्त अपेक्षित जोश समाप्त प्राय भेला सँ दोसर सत्र मरहन्ना सन बनि गेल छल। अन्त-अन्त मे सब छान-पग्घा केँ तोडैत हरिनाथ झा द्वारा हे गे बुधनी माय, जुल्फीवाली कनिया कमाल करैत छी गाबि जोश अनबाक प्रयास कैल गेल परंच ताबत धरि दर्शकदीर्घा मे मात्र सुन्दर-सुन्दर कुर्सी सब श्रोतारूप मे देखा रहल छल।
    कार्यक्रमक अन्त मे संस्थाक अध्यक्ष व मंचक अध्यक्ष द्वारा गायक हरिनाथ झा, गायिकाद्वय रंजना एवं अंजू संग मंच-संचालक किसलय कृष्ण केँ प्रतीक चिह्न दय सम्मानित कैल गेलनि, धरि समस्त म्युजिशियन लोकनि मुह तकैत छूछ सम्मान सँ विभूषित भेलाह। मैथिली मंच पर संगीत देनिहारक कोनो पूछ नहि होयबाक भावना सँ आहत कीबोर्ड पर शानदार प्रदर्शन करनिहार हँसमुख शशि मात्र अपन विहुँसैत मौन प्रतिक्रिया दैत एहि रिपोर्टक लेखक प्रवीण केँ हृदय छलनी-छलनी कय देलाह।