धरती फाटल गरमीक मारल कोना मटिमंगल करबै ना
सूखल सिंगराही संग नौला कत’ आब दंगल करबै ना
बड़ी पोखरि भरल सेमारे
लागल विषनारिक पथारे
दलदल मे परबै ना !
पसरल गामो मे नाला
नाक बन्न केने छथि बाला
जलक बिनु मरबै ना !
नवकी पोखरि दुर्गन्धा
उजड़ल कचनार सुगंधा
कत’ सँ गढ़बै ना
आँखिक ओ पानि मरल सन
लागय जलस्रोत जरल सन
त्रासल मरि जरबै ना !
शिव कुमार झा ‘टिल्लू’