दिल्ली,मिथिला मिरर-राहुल कुमार रायः जमाना बदैल गेलैये, पाहुन, रेहुक मुड़ा, अपन कनिया कैसेटक माध्यम सं मिथिलाक प्रबुद्ध वर्ग हो आ कि युवा वर्ग सभहक दिलोदिमाग पर राज केनिहार मिथिलाक सुप्रसिद्ध गायक सुरेश पंकज मिथिला मिरर’क भेंटघांटक एहि अंक मे उपस्थित छथि तअ आउ सुरेश पंकज आ मिथिला मिररक सह-संपादक राहुल कुमार राय संग भेल भेंटघाटक खास अंशः-
सुरेश पंकज जी, नमस्कार,
मिथिला मिररक भेंटघाटक एहि कार्यक्रम मे बहुत-बहुत स्वागत अछि।
उ.-नमस्कार…..
प्र.-अपन छोट सन परिचय मिथिला जनमानस कें सोझा राखल जाउ
उ.-नाम जानिते छी सुरेश पंकज समस्तीपुर जिलाक अन्तर्गत सरायरंजन क्षेत्र छैय आ ओहिमे एकटा छोट सन बस्ती खजूरी छैय ओतय के हम निवासी छी ओना मिथिलांचलक कलाकार कें त ने कोनो गाम, आओर ने कोनो जिला भऽ सकैय छैय, ओ तऽ समग्र मिथिलांचक छैय।
प्र.-अपनेक प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कतय सं भेलैय आ कतय धरि भेल?
उ.-हमर शिक्षा-दीक्षा बचपन मे तऽ कम भेलैय मुदा जखन उम्र बढलै तऽ ज्यादा नहि हम आइ.ए छी।
प्र.-इ शैक्षणिक दृष्टि सं भेल संगीत मे?
उ.-संगीत मे प्रभाकर छी अर्थात बी.ए।
प्र.-आहांक संगीतक गुरू के छलाह?
उ.- हमर पहिल गुरू स्व. बाबू अनूप सिंह छलाह आ दोसर गुरू बनारस के छैथ।
प्र.-अपनेक द्वारा गाओल स्वर मे पहिल रिकाॅर्डेड कैसेट कोन छल?
उ.-हमर पहिल रिकाॅर्डेड कैसेट मैथिली मे छल ‘जमाना बदैल गेलैये’ सन् 1987 मे। ओहि समय हेमकान्त भाई के मैथिली मे ‘सनेश’ निकलल छलैन आ ओहि बरख मे 6 मासक बाद हमर कैसेट निकलल छल ‘जमाना बदैल गेलैये’।
प्र.-देखल जा रहल अछि अपनेक पहिल कैसेट ‘जमाना बदैल गेलैये’ हिट ओहिके बाद ‘पाहुन’ सेहो जबरदस्त हिट रहल,तऽ अपने पाहुन कैसेट के जबरदस्त सफलता कें कोन तरहे देख रहल छियै?
उ.-जमाना बदैल गेलैये कैसेट निकलल छल ओहि समय मे हमरा मैथिलीक जानकारी नहि छल भाषा मे ओतेक जानकारी नय छल लेकिन ओहि बीच मे हम देवघर बाबा के कैसेट निकाललियैन लागातार आ ओकर बाद जखन हमर पाहुन कैसेट निकलल त ओकर बारे मे कि कहल जाए, एकटा अनहोनी बात कहल जाए, इ हमरा एतेक प्रसिद्ध कायलक जे एशियाक सत्रह देशक बेवसाइट पर आहांक पाहुन कैसेट यैए एफ.एम रेडियो के त छोडि़ दियौ, इ लगभग 15 लाख सं बेसी मे निकैल चुकल छैय।
प्र.-एखन धरि अपनेक आवाज मे लगभग कतेक रास कैसेट निकैल चुकल अछि?
उ.- 5 भाषा मे लगभग 67 टा कैसेट निकलल अछि मुदा जे ख्याति हमरा मैथिली मे भेटल ओ आओर कोनो भाषा मे नहि।
प्र. एतेक रास कैसेट ओहिमे एतेक रास गीत गएलौं ओहिमे सं कोनो एहन गीत अछि जे आहांके सभ सं बेसी पसिनगर लागैये?
उ.-देखियौ कलाकार के कैसेट जे करैय छैय ओ कोनो एकटा गीत पर निर्भर भऽ कऽ नहि करैय छैय ओकरा दिमाग मे यैह रहैय छैय जे गीत कऽ रहल छी ओ जनमानस मे सभ गीत हिट हुए मुदा श्रोता के जे मांग छनि, कतौ कहै छथिन ‘कोहबर घर गेलौ पिबैते-पिबैते, कतौ कहै छैथ ‘आहां झुलि गेलियै यै’ कतौ कहै छैथ बीबीसी बजेलकै ‘लिहुइर-लिहुइर कऽ रोपै बहिना’ कतौ कहै छथिन रविन्द्र जी के ‘प्रिये पिराणनाथ सादर प्रणाम’ त ओहिमे गीतक अपन-अपन एगो भाव छै, जेना शिक्षक के जे आहां झुलि गेलियै इ हमरा बेहद पसंद अछि।
प्र.- तयौ कोनो एहनो गीत होइ छैक जाहि दिस बेसी झुकाब भऽ जाइ छैक?
उ.-जे नव उम्रक श्रोता छथि हुनका ’दमादम मस्त कलन्दर होइये कतेको घायल’ पैरोडी, हे ललमुनियां आ प्रबुद्ध वर्ग के लेल ‘आहां झुलि गेलियै, हमर जे भाई सभ जे पिबैय-उबैय के प्रशंसक छथि हुनका ले ‘कोहबर घर गेलौं पिबैते-पिबैते’ हम अपने लेल नहि श्रोता के लेल गेलौं।
प्र.-देखल गेलैये जे गायक लोकनि एतेक उँचाई पर पहुंचैय छैथ ओहिमे गीतकार के कम योगदान नहि रहलैनि अहि, तऽ अपनेक कोन-कोन गीतकार योगदान देलनि अहि?
उ.-देखियौ गीतकार कें तऽ सर्वोपरि स्थान छैक, तकर बाद दोसर स्थान संगीतकार के आ तृतीय स्थान गायक छैक ओहिमे गीतकार प्रबुद्ध छथि ओ मात्र दू रूपया आ तीन रूपया के कलम सं अद्वितीय रचना करै छथि। नवल-नंद जिनकर हम बेसी गीत गेलौं, जगदीश चन्द्र ठाकुर छैथ,रविन्द्र जी, जगदीश चंद्र ठाकुर के गीत पाहुन कैसेट सं अलग चलियौ ओहिमे हम गीत गेलियै यै ‘बड़का-बड़का पोथी पढ़लौ, पोथी केर सभ पन्ना रटलौं से सभ पढिके किछु नय भेल पहिने जोरलि जोड़ दशमलव आब जोरै छी नून आ तेलकृमोटका-मोटका पोथी पढ़लौं इ गीत हमरा बेहद पसिन अछि। नव मे जे गंगा सं कैसेट निकलल ओहिमे दू-तीनटा बड नीक गीत गेलियै जेना ‘ परम प्रिय पावन तिरहुत देश, ऐकर बाद महेन्द्र भैयाके रचना छन्हि ‘गीत गेलियै तऽ कोन जुलूम केलियै, जेब कटलौं ने ककरो हम घेंट काटलौं लूट-मारि आ ने चोरि सं पेट भरलौं हम गीत केर गंगा नहेलियै, गीत गेलियै तऽ।
प्र.-आजुक समय मे देख रहल छी जे मैथिली गीत मे फुहड़ता सेहो बढि रहल छैय एहि बारे मे अपने की कहय चाहबै?
उ.- इ प्रभाव के कारणे हम आइ 5 साल सं रिकार्डिंग छोड़ने छी, कारण छैय जे हम मिथिलांचल के लोक, हमर संस्कृति के, हमर संगीत के, हमर दर्शन के संपूर्ण विश्व के नकल केलक मुदा आजुक जे कलाकार छैथ ओ भोजपूरी के नकल कय रहल छैथ ओकर गीत कें मैथिली मे बदैलि कय गाबैय छथि लेकिन एहि साल हम पारंपरिक गीत के रिकार्डिंग करबाक लेल जा रहल छी आ लोकगीत के सेहो करबै ओना भगवती के जे कृपा हेतै।
प्र.-एखन अपने जे कैसेट रिकार्डिंग करबाक लेल जा रहल छी ओकर नाम की अछि?
उ.-ओकर एखन नामकरण नहि भेलैये।
प्र.-नवोदित कलाकार के लेल अपने की कहऽ चाहबैन?
उ.-नवोदित कलाकार सं हमर इ प्रार्थना अछि जे भोजपूरी तरफ नहि जाइथ एक, दोसर बात हुनकर अगर जमीन जड़ बनि जेतनि तऽ वृक्ष अपने फलतैन फुलतै ओ मात्र अपन कैसेट के पाछु नहि भागैत कैसेट तऽ अपने आप चलतै, हमरा समय मे कोनो मिडिया नहि छल हमसभ बड मेहनत केलियै ने ओकर आठो आना मेहनत करैथ आ मेहनत करताह तऽ कैसेट कंपनी हाथोहाथो लेतैन।
प्र.- हुनकर सभहक कहब छनि जे ज्यों मैथिली मे फुहड़ता नहि आनितौं तऽ भोजपूरी मिथिलाक घर-घर मे घुसि जाएत?
उ.-इ हुनक कमी बाजि रहल छनि हमरा एकटा बताबु आहां पहाड़ पर जेबै उँच शिखर पर जेबै की ओहु सं उपर जा सकै छियै ओहिसं ऊपर पैदल तऽ नहि जा सकै छियै कि ने ओकरा नीचा आबयै टा पड़तै आ भोजपूरी नीचा उतरि रहल छै, आहां भोजपूरी क्षेत्र मे जाउ मात्र इ छपड़ा मे चलि रहल छैक ओहिसं आगा सिवान मे गाबि कय देखा दियऽ भोजपूरी हम अप्पन बात बतबै छी हम गेल रहि प्रोग्राम मे ओतुका लोक सभ कहै लागल भोजपूरी नहि गाउ गाबैके अहि तऽ हिन्दी या नहि तऽ अपन भाषा मैथिली गाउ। ओतय परिर्वतन छैय एतय नव बात छैय तंय ललक लागल छै लेकिन हिनकर लाइफ ज्यादा दिनक नहि रहतनि। आइ मानि लियऽ कैसेट पाहुन किएक सभगोटे परिवारक संग सुनय चाहै छी जे कि ओ 1992 के छियै।
प्र.-अपने गीत गाबैय छियै सभहक प्रिये छियै मुदा आहांक प्रिय गायक के छथि? हिन्दी आ मैथिली मे।
उ.-हिन्दीयो मे पुछबै, हिन्दी बड विस्तृत बात छैक ओना गजल मे दू-तीनटा गायक छैथ स्व. जगजीत सिंह, मेंहदी हसन आ वर्तमान मे गुलाम अली, अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन।
प्र.आ मैथिली मे?
उ.-हरिनाथ जी, कुंज बिहारी मिश्र महिला मे रंजना झा छथि।
अपने मिथिला मिरर के एतेक महत्वपूर्ण समय देलियै ताहि लेल बहुत-बहुत धन्यवाद!
जी, धन्यवाद अहूं कें।
त इ छलाह मिथिलाक सुप्रसिद्ध आ सुमधुर अवाजक धनीक सुरेश पंकज जी जे अपन एक-एकटा बात कें बड़ सुन्नर सं अपने लोकनिक लेल प्रस्तुत केलैथ। भेंटघांटक आजुक अंक मे एतबे। आगु अहिना कोनो नव पाहुनक संग भेंटघांट हैत ता धैर कें लेल धन्यवाद आओर बनल रहु मिथिला मिरर’क संग।