मिथिलाक आंदोलनीक लेल आदर्श ‘‘भोगेंद्र शर्मा’’

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    दिल्ली,मिथिला मिरर-जुली रानी झाः जौं व्यक्तिक भीतर किछु करवाक जिज्ञासा हो आ ओकरा तनम्यताक संग कैल जाय त ओकर फल एतेक बेसी मीठगर होइछ जेकरा शब्द मे वर्णन नहि कैल जा सकैत अछि। इतिहास गवाह अछि कि समय-समय पर साधारण व्यक्ति सहज रूप सं हंसैत-खिलखिलाइत असाधारण कार्य कें संपादित क दैत अछि। मुदा एहन असाधारण कार्य कें संपादित करवा लेल व्यक्ति मे अटूट लगन भेनाई आवश्यक छैक, जाहिक बल पर ओ अपना आप कें आन लोक सं अलग किछु नव करवा मे अपना आप कें समर्पित क सकै। मिथिला मिरर आई अपने सब कें मिथिलाक लेल अपन प्राण तक आहूत करै वला एक टा एहने पागल सपूत सं परिचय करा रहल अछि जे निश्चित रूपहि कालांतर मे बहुत रास व्यक्तिक लेल मार्गदर्शक भ सकैत छैथ। एकटा साधारण सन देखाई वला व्यक्ति जेकरा लग नहि त कोनो मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयक डिग्री छैक आ नहि मैनेजमेंटक कोनो ज्ञान मुदा मिथिला मैथिलीक समरसताक लेल जे स्वप्न ओ व्यक्ति देखलक ओ निश्चित रूपहि मिथिला-मैथिलीक बहुत रास मैनेजमेंटक डिग्री रखनिहार बाबू लोकनिक सोच पर भारी पड़त। एक दिस मिथिला-मैथिलीक हुकरैत आंदोलन आ दोसर दिस जाति-पातिक लकवा ग्रस्त सोच सं उपेक्षित भ रहल मैथिली मुदा अहिक बीच ‘‘भोगेंद्र शर्मा’’ सन साधारण दैनिक बढ़ईक रूप मे मजूरी केनीहार एकटा व्यक्तिक मोन मे एकटा भाव उठैत छैक कि कियैक नहि एक स्थान पर मिथिलाक समस्त विभूति कें आनि विखंडित भ रहल मिथिला कें एक बेर फेर सं सहेजल जाय। 
    बस अहि सोचक बाद ओ व्यक्ति अपन नीन, चैन सब कें त्यजन क मिथिलाक धरती पर एकटा नव इतिहास लिखवाक लेल कार्य शुरू क दैत अछि। दैनिक मजूरी क अपन परिवारक भरण-पोषण करैत ओ व्यक्ति सहरसा सं दिल्ली आ पटना सं काठमांडू तक मिथिलाक ओहि समरसताक कें सहेजावक लेल एक-एक टका लेवाक लेल निस्वार्थ भ्रमण करैत अछि। भोगेंद्र शर्माक अटूट परिश्रमक ई परिणाम थिक जे सहरसाक लछमिनिया मे एके ठाम मिथिलाक सब सपूतक प्रतिमा लगाओल जा रहल अछि आ ओहि जगह कें मिथिलाक चिन्हित सांस्कृतिक धरोहरक रूप मे सेहो परिचय कराओल जा रहल अछि। विद्यापति सांस्कृतिक परिसर’क नाम सं दुनियाक सोझा आबि रहल लछमिनियाक विद्यापति धाम मे जिनका लोकनिक मूर्ति व्यवस्थित कैल जा रहल अछि ओहि मे महाकवि बाबा चूड़ामणि विद्यापतिक संग-संग राजा जनक, ऋषि याज्ञवलक्य, राजा सलहेस, वीर लोरिक, दीना भद्री, आयाची मिश्र, मांगैन खबास, बेंगठा चमार सहित आओरो प्रतिमा कें जगह देल गेल अछि। भोगेंद्र शर्माक अटूट लगन, देवनाथ यादवक भूदान, विमल कांत झा’क संरक्षण आ किसलय कृष्ण कुशल अध्यक्षताक आ मार्गदर्शनक ई परिणाम थिक जे विद्यापति सांस्कृतिक परिसर आब युग-युग तक कें लेल एकटा एहन प्रतीकक रूप मे मैथिलक सोंझा रहत जाहि ठाम सं मिथिला-मैथिलीक लेल आंदोलन क रहल युवा आ सेनानी कें सकारात्मक प्रकाश भेटैत रहतैन। 
    अक्सर व्यक्ति किछु करवा सं पहिने अपना आप कें ओहि कार्यक प्रतिफल आ अपना आप कें ही भाव सं ग्रसित क ओहि कार्य कें करवाक निश्चिय छोडि़ दैत अछि मुदा दैनिक मजदूरक रूप मे कार्य केनिहार भोगेंद्र शर्मा एक बेर फेर सं अहि बातक परिचय द देलनि जे अगर व्यक्ति मे दृढ़ विश्वास हो त ओ कोनो कठीन सं कठीन कार्य कें सहजता सं संपादन क सकैत अछि। अहि मे कोनो दुम्मैत नहि जे कोनो सार्थक कार्य करवा मे बहुत रास अरंगा लागैत छैक, नानान तरहक अड़चन आवैत छैक मुदा इहोे बात सौ टका सत्य अछि कि यज्ञक भार जगदीश पर होइत छन्हि आ परिश्रम सं कैल गेल कार्य सदिखन सफल होइत रहलैक अछि ओ दुनिया ओहि व्यक्ति कें सदिखन नमन करैत रहल अछि जे आम लोक सं हटि क किछु नव करवाक सोच राखैत हो। संपूर्ण मिथिलावासी कें भोगेंद्र शर्मा सन सपूत पर शान हेवाक चाही जे फकीरी मे रहि एहन तरहक स्वप्न देखैत हो आ ओहि स्वप्नक एहन परिणाम हो जे युग-युग तक समाज कें किछु नव करवाक प्रेरणा दैत रहै। मिथिला मिरर परिवार दिस सं भोगेंद्र शर्मा कें कोटि सह बधाई आ निश्छिल सोच कें नमन।