मैथिलीक युवा नाट्यकार शिवेश झा’क संग खा़स मुलका़त

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    दिल्ली-मिथिला मिररः मैथिली नाट्यकारक अगर बात करी त अहि में एक सं बढ़ि कय एक नाट्यकारक नाम सामने आबैत अछि। वर्तमान में जौं मैथिली नाट्यकारक बात करी त ओहि में मैथिली नाट्यकारक सम्राट सर्वश्री महेंद्र मलंगिया’क नाम आबैत अछि ओहिक बाद युवा नाट्यकार रूप में एक दशक पहिने एकटा नाम सामने आयल छल जिनका मैथिल समाज आनंद कुमार झा’क नाम सं जानलक लेकिन आई मिथिला मिरर अपन भेंटघांटक अहि कार्यक्रम में मिथिलाक एकटा उभरैत मैथिली नाट्यकार सं अपने लोकनिक परिचय करावय जा रहल अछि जिनका नाम छन्हि शिवेश कुमार झा। शिवेश महज 26 सालक अवस्था में मैथिली में 8 गोट नाटकक पोथीक रचना कय चुकलथि जाहि में सं एकटा पोथी प्रकाशित भय चुकल अछि आ दोसर एखन प्रेस में पछवाक लेल गेल अछि। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एकटा हिन्दी दैनिक अख़बार में पत्रकारक रूप में कार्यरत शिवेश बच्चे सं मिथिला-मैथिलीक लेल समर्पित छथि। मिथिला मिरर कें संपादक ‘‘ललित नारायण झा’’क संग युवा नाट्यकार शिवेश कुमार झा’क भेल बातचीतक अंश।

    प्र. शिवेश सब सं पहिने अहां अपन परिचय देल जाऊ?
    उ. हमर नाम शिवेश कुमार झा अछि पिता जी’क नाम श्री भोला झा आ माता जी’क नाम श्रीमती प्रमिला देवी छन्हि। हमर जन्म 12 अप्रैल, 1988 कऽ मधुबनी ज़िलाक राधोपुर (बलाट) गांव में भेल छल। पांच भाई-बहिन में हम सब सं छोट छी, हमरा सं पैध दू गोट भाई आओर दू टा बहिन छथि जिनका लोकनिक विवाह-दान भय गेल छन्हि।
    प्र. अहांक प्रारंभिक शिक्षा-दिक्षा कतय सं आओर कोन विषय में भेल छल?
    उ. हमर प्रारंभिक शिक्षा अपन गामक प्राथमिक विद्यालय में भेल आओर ओहिक बाद हाई स्कूल रामपट्टी उच्च विद्यालय सं केलौह। मैट्रिक परीक्षा पास केलाक बाद हम डीवी काॅलेज जयनगर सं कला प्रकोष्ठ सं मैथिली भाषा प्रतिष्ठा पास केलौह। स्नातकोत्तर हम गुरू जंबेश्वर महाविद्यालय, हिसार, हरियाणा सं पत्रकारिता एवं जनसंपर्क सं केलौह।
    प्र. मैथिली नाटक वा मैथिली में लिखवाक प्रेरणा कतय सं भेटल?
    उ. हमरा बाल्यकाल सं लिखवाक बहुत बेसी शौख छल आ हम निरंतर किछु ने किछु लिखैत रहैत छलौह। चूंकि एकटा संस्कारी मैथिल परिवार में जन्म भेलाक कारणें छोटे सं बाबूजी सं नीक संस्कार भेटल छल आ ओ हमरा लेखनीक लेल रामबाण साबित भेल। समय बितैत गेलै आ जेना-जेना हमरा में बौद्धिक विकास होईत गेल त हमरा में चेतना जागल जे लेखनी सं समाजक किछु भलाई कैल जा सकैत अछि आ हम अपन टुटल-फुटल शब्द में लिखनाई शुरू कय देलौह।
    प्र. एखन तक कतेक नाटकक रचना कय चुकलौ आ कतेक पोथी प्रकाशित भेल अछि?
    उ. एखन धरि हम आठ गोट नाटक लिख चुकल छी जाहि में सं एकटा ‘‘ग़रीबक सपना’’ प्रकाशित भय चुकल अछि ओहिक बाद कुरीति, जिनगी जब्बह, दुलारक भूख, पावन मिथिला, कमाल भेल यौ, गामक बंटवार ‘प्रेस में’ आओर रौदी शामिल अछि।
    प्र. एखन तक कोन-कोन नाटकक मंचन भेल अछि?
    उ. सन् 2003-04 में कोलकाताक कोकिल मंच सं हमर पहिल नाटक गरीबक सपनाक मंचनक संग ओहि नाटकक पोथीक विमोचन सेहो कैल गेल छल। अहि बेर दुर्गा पूजा में गाम में ‘‘रौदी’’क मंचन करब। ओना हर बरख विभिन्न मंच सं हमर नाटकक मंचन होइत रहल अछि आओर हम अहि प्रक्रिया कें आगुओं सतत जारी राखब।
    प्र. मैथिली में लिखवाक दुःसाहस कोना केलौह?
    उ. चूंकि जन्मजात मैथिल छी आ शोनित में मैथिलीत्व रचल-बसल अछि ताहि लेल मैथिली सं दूर भगवाक त कोनो बाते नहि भय सकैत अछि मुदा मैथिली में काज केनिहार कें समाज में अखनो ओ सम्मान नहि देल जा रहल छन्हि जेकर ओ हक़दार छथि। जौं अपने मैथिलीक ले कार्य कऽ रहल छी त अपने के नानान तरहक उपहासक सेहो सामना करय पड़ैत अछि, बस इहै करण छैक कि कोनो व्यक्ति, ख़ास कय युवा लोकनि मैथिली में काज करय सं परहेज़ करैत छथि।
    प्र. मैथिली में साहित्य वा कि नाटकक लेखन आ प्रकाशन कतेक भिरहगर अछि?
    उ. मैथिली में लेखन आ प्रकाशन दुनु बहुत मुश्किल अछि। लेखन अहि लेल मुश्किल अछि कि समाज में लेखक के प्रोत्साहन नहि भेटैत छन्हि आ व्यवसायिक रूप नहि भेटवाक कारणें अहि दिस युवा पीढ़िक अभिरूचि नहि चागैत छन्हि। दोसर दिस जौं कियो युवा सामने आबि किछु रचना करवाक कोशिश करैत छथि त ओहि में स्थिति में प्रकाशन एकटा बहुत पैघ चुनौति बनि सामने आबैत अछि। नहि त सहज रूप सं प्रेस भेटैत अछि आ नहि रचना कें प्रकाशनक लेल प्रोत्साहन करैवला कोनो संस्था अहि लेल जौं कियो आगु आबितो छथि त हुनका रचनाक जीवन बेसी दिन तक नहि होइत छन्हि। हम अपना दिस सं समस्त मैथिल समाज सं आग्रह करबनि जे आगु आबि अपन मायक भाषाक लेल किुछु कार्य करौथ आ हमरा सब सन जे कोनो बच्चा किछु करवाक कोशिश करैत अछि ओकरा सब के प्रोत्साहित करौथ।
    प्र. आगुक कि योजना अछि?
    उ. कोशिश रहत जे समाज में एक बेर फेर सं रंगमंचक युग के स्थापित करवाक प्रयास होई, अहिक लेल ‘मिथिला मिरर’ सन सहयोगीक बहुत बेसी आवश्यकता अछि कारण मीडिया कें कार्य करैत हम अहि बात सं पूर्ण रूप सं परिचित छी कि संवाद संप्रेश्रणनक लेल मीडिया सब सं सशक्त माध्यम अछि।
    प्र. शिवेश मिथिला मिरर सं बातचीत करवाक लेल बहुत-बहुत धन्यवाद।
    उ. भाई जी अहां कें बहुत-बहुत धन्यवाद आ खास कय मिथिला मिरर कें अहि पहल कें नमन करैत छी कि हमरा सब सन व्यक्ति जे गुमनामी में सं उठा कय विश्वक सामने आनि हुनका एकटा नव नाम देवाक जे कोशिश अहांक आ मिथिला मिरर छैक ओकर जतेक प्रशंसा कैल जाय ओ कम अछि। हमरा दिस सं मिथिला मिरर कें समस्त पाठक लोकनि के बहुत-बहुत धन्यवाद।
    ई छलथि मैथिलीक युवा नाट्यकार शिवेश कुमार झा, आशा करैत छी जे हिनका संग मिथिला मिरर’क भेंटघांट निक लागल हैत। फेर अहि अंक में एकटा नव पाहुनक संग नव विषय पर बातचीत हैत। ता धरिक लेल बहुत-बहुत धन्यवाद।

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